Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    स्टूडेंट्स की खास पसंद है Prayagraj में कटरा वाले कल्लू की कचौड़ी, इस कचौड़ी को खाकर बने कई आइपीएस और आइएएस

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Fri, 05 Feb 2021 01:00 PM (IST)

    कल्लू कचौड़ी भंडार कटरा बाजार में खानपान की काफी पुरानी दुकान है। दुकान की शुरूआत कटरा गल्ला मंडी में रहने वाले सुशील कुमार चौरसिया ने अपने घर में की थी। सुशील कुमार को लोग कल्लू के नाम से पुकारते थे जिससे उनकी दुकान का नाम भी कल्लू कचौड़ी पड़ गया।

    Hero Image
    कचौड़ी भी स्वादिष्ट होती है। पांच कचौड़ी में पेट भर जाता है।

    प्रयागराज, जेएनएन। शहर के उत्तरी क्षेत्र में स्थित कटरा बाजार, प्रयागराज के प्रमुख व्यापारिक क्षेत्रों में से एक है। जहां दवा, पहनावे और दैनिक उपयोग की सामग्री से लेकर खानपान की ढेरों दुकानें व प्रतिष्ठान हैं। इन्हीं दुकानों में एक है कल्लू कचौड़ी भंडार जो काफी लंबे समय से लोगों को खानपान मुहैया करा रहा है। कटरा और आसपास रहने वाले छात्र समुदाय की तो यह दुकान पहली पसंद हैं। यहां की बनी कचौड़ी खाकर तमाम छात्र आइएएस-पीसीएस अफसर बन गए तो कई बड़े नेता हुए।

    काफी पुराना है कल्लू कचौड़ी भंडार, गल्ला मंडी में है दुकान
    कल्लू कचौड़ी भंडार, कटरा बाजार में खानपान की काफी पुरानी दुकान है। दुकान की शुरूआत कटरा गल्ला मंडी में रहने वाले सुशील कुमार चौरसिया ने अपने घर में की थी। तकरीबन सत्तर साल के सुशील कुमार को लोग कल्लू के नाम से पुकारते थे जिससे उनकी दुकान का नाम भी कल्लू कचौड़ी पड़ गया। नेतराम चौराहे के समीप गल्ला मंडी की संकरी गली में पहले यह छोटी सी दुकान हुआ करती थी लेकिन आज इसका आकार व सुविधाएं बढ़ गई हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें


    पांच रुपये में पांच कचौड़ी से शुरू हुआ सफर है जारी
    सुशील कुमार चौरसिया के बेटे राहुल चौरसिया बताते हैं कि दुकान जब शुरू हुई थी तो पांच रुपये में पांच कचौड़ी, दो सब्जी और रायता के साथ दी जाती थी, वह सफर आज भी जारी है केवल कीमत में कुछ इजाफा हुआ है। महंगाई को देखते हुए अब पांच कचौड़ी, रायता और दो सब्जी की थाली की कीमत 40 रुपये है। सब्जियां सीजन के हिसाब से बनाई जाती हैं। रोज सब्जी बदल जाती हैं जबकि रविवार और गुरुवार के दिन पनीर की स्पेशल सब्जी दी जाती है।

    खाने में स्वादिष्ट होती है उरद दाल की पीठी वाली कचौड़ी
    राहुल बताते हैं कि उनकी कचौड़ी में उरद दाल की पीठी डाली जाती है। कचौड़ी कुरकुरी होने के साथ काफी स्वादिष्ठ होती है। बताया कि क्वालिटी से कोई समझौता नहीं करते हैं। दुकान पर आने वालों में छात्र-युवाओं की संख्या अधिक होने के सवाल पर वे कहते हैं कि पहले और आज भी जिस रेट पर वे कचौड़ी खिलाते हैं वह छात्रों के बजट में आ जाता है और कचौड़ी भी स्वादिष्ट होती है। पांच कचौड़ी में पेट भर जाता है। उन्हें खाना बनाने व जुठे बर्तन धुलने से फुर्सत मिल जाती है जिससे पूरा समय पढ़ाई को दे पाते हैं।

    दुकान में बैठने की अच्छी जगह के अलावा रहती है साफ-सफाई

    कल्लू कचौड़ी भंडार में बैठने की अच्छी जगह के अलावा सफाई भी बेहतर रहती है। इविवि छात्रसंघ के पूर्व उपमंत्री अभिषेक शुक्ला बताते हैं कि दिन भर की भागदौड़ के बाद जब भूख लगती थी तो कल्लू के यहां कचौड़ी खा लेते थे। इतने कम पैसे में और कहां पर भरपेट खाना मिलेगा। छात्र नेता निर्भय सिंह पटेल, इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्र संघ के महामंत्री रहे सुरेश यादव, अध्यक्ष रहे उदय यादव आदि भी कल्लू की कचौड़ी के तलबगार रहे हैं। राहुल चौरसिया ने बताया कि आइपीएस अधिकारी और उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक रहे आनंद वर्धन शुक्ला भी पढ़ाई के दौरान दुकान पर आते रहे हैं। कई मौकों पर वे हमारी कचौड़ी की तारीफ कर चुके हैं। बताया कि दुकान पर कचौड़ी के अलावा रसगुल्ला और समोसा भी मिलता है।

    comedy show banner
    comedy show banner