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महाभारत काल की यादें संजोए है हंडिया का लाक्षागृह, प्रदेश सरकार की कृपादृष्टि से बहुरेंगे दिन Prayagraj News

महाभारत कालीन लाक्षागृह के विकास के लिए प्रदेश सरकार ने अहम कदम उठाए हैैं। सरकार की ओर से यहां सत्संग भवन के लिए 20 लाख रुपये की राशि जारी की गई है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 02 Jun 2020 12:09 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jun 2020 12:09 PM (IST)
महाभारत काल की यादें संजोए है हंडिया का लाक्षागृह, प्रदेश सरकार की कृपादृष्टि से बहुरेंगे दिन Prayagraj News
महाभारत काल की यादें संजोए है हंडिया का लाक्षागृह, प्रदेश सरकार की कृपादृष्टि से बहुरेंगे दिन Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। महाभारत कालीन यादों को संजोए लाक्षागृह प्रयागराज के हंडिया तहसील में स्थित है। यह धार्मिक के साथ ही पौराणिक स्थल के रूप में भी जाना जाता है। इतिहासकारों एवं महाभारत की कथाओं में हंडिया के लाक्षागृह गांव के बारे में कई मत हैं। बताते हैं कि कौरव-पांडवों के बीच मतभेदों के कारण दुर्योधन ने पांडवों को जलाकर मारने के लिए अपने राज मिस्त्री शिल्पकार त्रिलोचन द्वारा लाख के भवन का निर्माण कराया था। हालांकि गुप्तचरों द्वारा जानकारी मिलने पर पांडवों ने लाक्षागृह में निॢमत भवन में से परानीपुर गांव गंगा इस पार से उस पार तक सुरंग बना डाली थी। उसी सुरंग द्वारा जान बचा कर निकल गए थे।

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लाक्षागृह के विकास को प्रदेश सरकार ने कदम बढ़ाए

हालांकि इतिहास को अपने में समेटे लाक्षागृह के प्रति अभी तक शासन और प्रशासन की उदासीनता ही लोगों को नजर आ रही थी। हालांकि अब इसके दिन बहुरेंगे। महाभारत कालीन लाक्षागृह के विकास के लिए प्रदेश सरकार ने अहम कदम उठाए हैैं। सरकार की ओर से यहां सत्संग भवन के लिए 20 लाख रुपये की राशि जारी की गई है। जल्द ही इसका निर्माण शुरू कराया जाएगा। सरकार की ओर से उत्तर प्रदेश प्रोजेक्ट्स कॉरपोरेशन लिमिटेड को इस निर्माण की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

गंगा यात्रा के दौरान सीएम योगी भी जाने वाले थे

हंडिया तहसील क्षेत्र में गंगा किनारे स्थित लाक्षागृह में गंगा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभा होने वाली थी, मगर रूट बदल जाने के कारण वह नहीं जा सके थे। लाक्षागृह के विकास के लिए सरकार की यह पहली योजना है।

सुरंग दिखने पर पहुंचे थे अफसर

शहर से करीब 40 किमी की दूरी पर स्थित हंडिया का लाक्षागृह गांव महाभारत काल की यादों को समेटे हुए है। यहां समय-समय पर कुछ न कुछ खोदाई में मिलता रहता है। अभी यहां पिछले साल लंबी सुरंग दिखाई दी थी। इसकी जानकारी होने पर कई विभागों के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे थे। इसके बाद ही इसके विकास के लिए परियोजनाएं बनने लगीं।

मिल चुके हैैं अवशेष

लाक्षागृह गंगा घाट पर किला कोट व टीला मौजूद है। लाक्षागृह पर्यटन स्थल विकास समिति के ओंकार नाथ त्रिपाठी ने बताया कि महाभारत काल के समय के कई अवशेष यहां मिले हैं, जिसे संग्रहालय में सुरक्षित रखा गया है। केंद्र व राज्य सरकार से कई बार इसे पर्यटन स्थल बनाए जाने की मांग की जा चुकी है।


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