सामाजिक विचारक पुष्पेंद्र बोले- धर्म, मजहब की राजनीति करने वाले सनातन धर्म की एकजुटता से परेशान
सामाजिक विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ लोकतांत्रिक व्यवस्था में सनातन मूल्यों की महत्ता विषय पर आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। इसका आयोजन सनातन एकता मिशन की ओर से किया गया। पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा सनातन धर्म को मानने वाले उदारवादी विचार को महत्व देते हैं।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। सनातन धर्म को मानने वाले अब एकजुट हो गए हैं। अपनी शक्ति को वह समझ चुके हैं। स्वार्थ और चाटुकारिता की राजनीति से दूर होकर सनातन धर्म को मजबूत करने में लग हुए हैं। पिछले दो चुनाव में हिंदुओं ने अपनी एकता को दिखाते हुए सनातन धर्म को बहुत दिया है। 2014 और 2019 का चुनाव इस बात का प्रमाण है। इन दोनों चुनाव में देश की जनता ने किसी पार्टी या व्यक्ति को बहुमत नहीं दिया था। सनातन धर्म को बहुमत दिया था। हिंदू अब एकजुट हो गया है। धर्म और मजहब की राजनीति करने वाले सनातन धर्म की एकजुटता से परेशान हैं। आतंकी और जेहादी विचार धारा रखने वाले अब हिंदुओं को आक्रामक बताने में जुटे हुए हैं। यह बातें सामाजिक विचारक पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहीं।
प्रयागराज में सेमिनार का आयोजन
पुष्पेंद्र लोकतांत्रिक व्यवस्था में सनातन मूल्यों की महत्ता विषय पर प्रयाग संगीत समिति में आयोजित सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। इसका आयोजन सनातन एकता मिशन की ओर से किया गया। पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा सनातन धर्म को मानने वाले उदारवादी विचार को महत्व देते हैं। मुगलों ने शुरू से ही हमारे धर्म और धरोहर को नष्ट करने का काम किया था। उसी विचार धारा को आज भी उसके वंशज अपनाए हुए हैं। हिंदू अब मजबूत हो गया है और जवाब देने लगा है तो यह सब शोर मचाने लगे हैं। वोट की राजनीति के लिए हम सभी को अलग-थलग कर दिया गया था। सत्ता के लिए शहीद चंद्रशेखर आजाद और सुभाषचंद्र बोस जैसे वीर सपूतों की कुर्बानी को भी भूल दिए। जाति और धर्म के नाम पर हम सभी को लड़ाने के साथ अपना मतलब साधते रहे। देश का बंटवारा इसका इसका बाद का संकेत है। जिसका भी शासन आया मदरसे बढ़ाए, प्राइवेट स्कूल बढ़ाए लेकिन गुरुकुल बढ़ाने के बारे में किसी ने सोचा तक नहीं।

बोले, अब समय बदल गया है
मुगलों ने गंगा जमुनी तहजीब के नाम पर हमारी संस्कृति और सभ्यता के साथ हमेशा खिलवाड़ किया है। हम उनके अत्याचार को सहते जा रहे हैं। समय बदल गया है अब ऐसा नहीं होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी हरिचैतन्य ब्रह्मचारी ने किया। इस दौरान अशोक पाठक, देवराज पाठक, राजेंद्र पांडेय, सहजदेव मुखर्जी, दिलीप द्विवेदी, सीताराम शास्त्री, अनूप त्रिपाठी, विनोद पांडेय, फूलचंद्र दुबे आदि मौजूद रहे।

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