खूंखार डाकू बरसाती से मुठभेड़ में शहीद हुए थे थानेदार सीपी शुक्ला, प्रतिमा लगाकर भुला दिया विभाग ने
अंतू के थानाधयक्ष रहे सीपी शुक्ला ने बरसाती गैंग के सफाए के लिए बीडा उठाया था। उन्होंने मुठभेड़ में गैंग के दो सदस्यों को मार गिराया था। 8 मार्च 1976 को लालगंज कोतवाली के महुआगाबी जंगल में बरसाती से मुठभेड़ के दौरान सीपी शुक्ला शहीद हो गए थे

प्रयागराज, जेएनएन। तकरीबन 46 वर्ष पहले दस्यु सरगना बरसाती डाकू से मुठभेड में शहीद हुए में प्रतापगढ़ के तत्कालीन थानेदार सीपी शुक्ला की शहादत को पुलिस महकमा भूलता जा रहा है। पिछले 46 साल से उनकी शहादत पर होने वाला दो दिवसीय वालीवाल प्रतियोगिता का आयोजन इस वर्ष नहीं आयोजित किया जाएगा।
दो डाकू मार गिराए लेकिन खुद हो गए थे शहीद तब लगी प्रतिमा
पांच दशक पूर्व प्रतापगढ, सुल्तानपुर, जौनपुर, अमेठी, प्रयागराज (तब इलाहाबाद), अयोध्या जनपद में आतंक का पर्याय बने बरसाती डाकू से निजात पाने के लिए चार जिले की पुलिस परेशान थी। तब अंतू के थानाधयक्ष रहे सीपी शुक्ला ने बरसाती गैंग के सफाए के लिए बीडा उठाया था। उन्होंने मुठभेड़ में गैंग के दो सदस्यों को मार गिराया था। 8 मार्च 1976 को लालगंज कोतवाली के महुआगाबी जंगल में बरसाती से मुठभेड़ के दौरान सीपी शुक्ला शहीद हो गए थे। उनकी शहादत पर पुलिस के साथ जिले के लोगों को गर्व था। अंतू की जनता ने थाने पर उनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित कराई थी।
46 साल बाद नहीं आयोजित हो रही प्रतियोगिता
स्व. शुक्ला वालीवाल के प्रदेश स्तर के खिलाडी भी रहे। उनकी शहादत पर पिछले 46 साल से दो दिवसीय अंतर्जनपदीय वालीवाल प्रतियोगता का आयोजन होता है। इस दिन उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण करके उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। उनकी विधवा छविराजी शुक्ला का पुलिस के उच्च अधिकारियों द्वारा सम्मान भी होता है। लेकिन महकमा इस वर्ष उनकी शहादत पर होने वाले वालीबाल प्रतियोगिता का आयोजन नहीं करेगा। इससे स्व. शुक्ला को चाहने वाले लोगों में निराशा है। इस बारे में थाने के एसएसआइ कमलेश पांडेय ने बताया कि चुनाव व होली के त्योहार के चलते वालीबाल प्रतियोगिता आयोजित नहीं की जाएगी। उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें पुलिस जनों द्वारा याद किया जाएगा।
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