Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जब सर सीवाई चिंतामणि ने चंदा मांगने वाले को दिखाई पासबुक, जानिए बैंक में कितनी थी जमा पूंजी

    By Rajneesh MishraEdited By:
    Updated: Sun, 28 Feb 2021 08:38 AM (IST)

    तब लीडर अखबार के मुख्य संपादक और विधानसभा में विरोधी दल के नेता सर सीवीई चिंतामणि ने उन लोगों से विनम्रतापूर्वक कहा कि वे इससे अधिक चंदा देने की हैसियत नहीं रखते हैं। उन्हें अपनी बैंक की पास बुक दिखाने में कोई संकोच नहीं हुआ।

    Hero Image
    प्रख्यात पत्रकार सर सीवाई चिंतामणि की बैंक पासबुक देखकर चंदा मांगने वाले चकित रहे गए।

    प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज में महान विभूतियों के तमाम किस्से आज भी प्रचलित हैं। उनको बताने और सुनने वालों की कमी नहीं है। इनमें कई के किस्से बहुत प्रेरणादायक हैं। प्रख्यात पत्रकार सर सीवाई चिंतामणि इन्हीं में एक थे। उनका जीवन काफी पारदर्शी था। वे जो कहते थे करते थे। वे गरीब थे पर अपनी गरीबी पर कभी लज्जित नहीं हुए। उन्हें किसी तरह के दिखावे से चिढ़ थी। महात्मा गांधी ने उनके बारे में लिखा था कि 'कुछ समय से हम लोग एक दूसरे से दूर होते जा रहे हैं पर उनके दिल और दिमाग की मेरी प्रशंसा में कोई अंतर नहीं आया'। जवाहर लाल नेहरू भी उनके प्रशंसक रहे थे। बिहार में भीषण भूकंप आने पर उनसे कुछ लोग चंदा मांगने आए तो उन्होंने अपनी पासबुक दिखा दी। पासबुक देखकर चंदा मांगने वाले चकित रहे गए।

    पचास रुपये चंदा दिया था
    इतिहासकार नृपेंद्र सिंह बताते हैं कि 1934 में बिहार में भीषण भूकंप के बाद देश भर में जगह-जगह सहायता केंद्र खोले गए थे। प्रयागराज में लोग उनसे चंदा मांगने के लिए गए। उनसे लोगों को उम्मीद थी कि वे काफी पैसा देंगे। सीवाई चिंतामणि ने पचास रुपये का चेक काट दिया। उनकी जैसी सामाजिक प्रतिष्ठा वाले व्यक्ति के लिए पचास रुपये की धनराशि पर्याप्त नहीं समझी गई। तब लीडर अखबार के मुख्य संपादक और विधानसभा में विरोधी दल के नेता सर सीवीई चिंतामणि ने उन लोगों से विनम्रतापूर्वक कहा कि वे इससे अधिक चंदा देने की हैसियत नहीं रखते हैं। उन्हें अपनी बैंक की पास बुक दिखाने में कोई संकोच नहीं हुआ। बैंक में कुल ढाई सौ रुपये जमा थे। जिन्होंने अधिक चंदा की मांग की थी उन्हें आश्चर्य भी हुआ और वे लज्जित भी हुए।

    आंध्र प्रदेश से प्रयागराज आए थे
    नृपेंद्र सिंह बताते हैं कि सीवाई चिंतामणि का पूरा नाम चिर्रावूरी यज्ञेश्वर चिंतामणि था। वे देश के महान संपादकों में से एक थे। 10 अप्रैल 1880 को आंध्र में एक रूढि़वादी वेलनाट ब्राह्मण परिवार में उनका जन्म हुआ था। वे डॉ.सच्चिदानंद सिन्हा के आमंत्रण पर प्रयागराज आए और फिर यहीं के होकर रह गए। इलाहाबाद (अब प्रयागराज) से उन्हें इतना प्रेम था कि जितना इलाहाबादियों को नहीं था। पहली पत्नी के निधन के बाद उन्होंने भागवतुल कृष्णाराव की विधवा बेटी कृष्णवेणी से विवाह किया। इनके इस साहसिक कदम से उनकी बिरादरी के लोग उनसे नाराज हो गए। पर उन्होंने चिंता नहीं की। जवाहर लाल नेहरू ने उनके बारे में लिखा था कि 'यह मेरा दुर्भाग्य है कि कई मौकों पर राजनीतिक कारणों से मेरा उनसे मतभेद रहा। किंतु कई और मौकों पर उनके साथ सहयोग करने का सौभाग्य रहा है। हम उनसे सहमत हो यह असहमत, हम उनके गुणों के और किसी मसले पर मजबूती से अड़े रहने की क्षमता के हमेशा प्रशंसक रहे हैं'।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें