प्रयागराज में श्री नारायण आश्रम धर्म के मर्म के साथ फैला रहा है शिक्षा का प्रकाश
आश्रम में घनी हरियाली के बीच बने कई मंदिरों में जहां लोग दर्शन-पूजन के लिए जाते हैं वहीं सुबह-शाम टहल कर स्वास्थ्य भी दुरुस्त रखते हैं। आश्रम परिसर में बने स्कूल-कालेज बच्चों में शिक्षा का संचार कर उन्हें बेहतर नागरिक बनाने के लिए प्रयत्नशील हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। शहर उत्तरी क्षेत्र के शिवकुटी इलाके में श्रीनारायण आश्रम स्थित है। कई एकड़ में बना यह आश्रम लोगों को सनातन धर्म का मर्म बताने के साथ स्वास्थ्य व शिक्षा का प्रकाश भी बांट रहा है। आश्रम में घनी हरियाली के बीच बने कई मंदिरों में जहां लोग दर्शन-पूजन के लिए जाते हैं वहीं सुबह-शाम टहल कर स्वास्थ्य भी दुरुस्त रखते हैं। आश्रम परिसर में बने स्कूल-कालेज बच्चों में शिक्षा का संचार कर उन्हें बेहतर नागरिक बनाने के लिए प्रयत्नशील हैं।
गुरु का दर्शन पाने के लिए पार करने पड़ते हैं पांच द्वार
कहते हैं कि एक अच्छे गुरु की प्राप्ति बहुत आसानी से नहीं होती है। इसकी जानकारी आश्रम में प्रवेश के समय ही हो जाती है। गुुरु के आश्रम पहुंचने के लिए यहां पांच द्वार पार करने पड़ते हैं। पहले द्वार पर रक्षक के रूप में तैनात हनुमान जी से अनुमति लेनी पड़ती है। फिर गणपति द्वार, दुर्गा द्वार, गीता द्वार के बाद गुरुद्वार पार कर आशीर्वाद लेने को गुरु आश्रम जाया जा सकता है। आश्रम में पीछे की ओर छठा द्वार भी है जिसे गंगा द्वार कहते हैं। यहां से गंगा नदी की ओर सीढिय़ां उतरती हैं जहां से पर्वों आदि पर भक्तगण स्नान-दान को गंगा तट पर जाते हैं।
गुरु आश्रम में रहते हैं पीठाधीश्वर समेत प्रमुख संत
आश्रम में सबसे पीछे की ओर गंगा तट के करीब गुरु आश्रम या निवास बना है। हरियाली युक्त इस परिसर में एक ओर आश्रम के पीठाधीश्वर सहित संतों के निवास बने हैं जबकि एक ओर मंदिर व हवनकुंड बने हैं। मंदिर में मां दुर्गा के अलावा समाधि ले चुके गुरुओं की मूर्तियां हैं। पहले गुरु श्रीनारायण महाप्रभु और अन्य गुरुओं के कक्ष भी हैं जहां उनके चित्र और उपयोग की गई सामग्री भक्तों के दर्शनार्थ रखी हुई हैं। एक बड़ा हाल है जिसमें सुबह-शाम प्रवचन के अलावा भजन-कीर्तन होता है। गुरु जी यहीं पर शिष्यों को दर्शन, आशीर्वाद भी देते हैं। इसी परिसर में शिवालय व राधा-कृष्ण के मंदिर के साथ एक पुस्तकालय भी है जिसमें धार्मिक पुस्तकें मिलती हैं।
साकेत धाम, रामधाम, अयोध्या और मिथिला में रहते हैं भक्त
गुरु निवास के बाहर मिथिला, उपवन, साकेत धाम, राम धाम, अयोध्या धाम, विधि धाम, श्रीगणपति धाम के नाम से कई भवन निर्मित हैं जिनमें कई में भक्त गण निवास करते हैं तो कई खाली हैं जिनमें गुरु पर्व पर बाहर से आने वाले भक्तगण ठहरते हैं। गुरु पर्व, शिवरात्रि आदि यहां धूमधाम से मनाई जाती है। गुरु पर्व यानी श्रीनारायण महाप्रभु की जयंती पर कई दिनों तक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें बाहर से भी बड़ी संख्या में आश्रम से जुड़े भक्त गुरु चरणों का आशीर्वाद लेने आते हैं।
विशाल मंदिर में विराजमान हैं श्रीहरि, दुर्गा मंदिर में हैं मां भवानी
गुरु निवास से बहुत पहले आश्रम के बीच में एक विशाल मंदिर निर्मित है। जिसमें श्रीहरि विष्णु एवं सियाराम संग लक्ष्मण जी के दर्शन होते हैं। मंदिर के भीतर बहुत बड़ा हाल है और चारो तरफ बरामदा है जहां भक्तगण कुछ देर बैठकर अपने आराध्य को याद करते हैं। मंदिर में सामने की ओर एक रथ पर योगेश्वर श्रीकृष्ण के साथ युद्ध की मुद्रा में अर्जुन की प्रतिमा लोगों को आकर्षित करती है। इसके बगल में दुर्गा मंदिर व यज्ञशाला बना हुआ है।
इस आश्रम में नारी शक्ति का है एकाधिकार
आश्रम से तकरीबन 70 साल से जुड़े एवं गुरु के अनन्य भक्त तथा संचालित हो रहे शिक्षालयों का प्रबंधन देख रहे श्रीभगवान पांडेय के मुताबिक आश्रम में नारी शक्ति का डंका बजता है। यहां पर महिला संतों का ही एकाधिकार है। यहां प्रथम गुरु श्रीनारायण महाप्रभु थीं, उनकी समाधि के बाद निर्मल नारायण महाराज गुरु की गद्दी पर विराजमान हुईं। वर्तमान में गिरिधर महाराज यहां पीठाधीश्वर हैं।
आश्रम में चार विद्यालय और चलता है एक अस्पताल
कई एकड़ में फैले श्रीनारायण आश्रम में चार विद्यालय और एक अस्पताल संचालित होता है। आश्रम के मुख्य द्वार से प्रवेश करते ही बाएं हाथ श्रीनारायण अस्पताल है। उसी से सटा श्रीमहाप्रभु पब्लिक स्कूल एंड कालेज है जिसमें अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा दी जाती है। कुछ आगे बढऩे पर श्रीनारायण इंटर कालेज है। बगल में ही प्राथमिक और जूनियर हाईस्कूल है जहां हिंदी माध्यम से बच्चों को शिक्षा प्रदान की जाती है। होम्योपैथ की एक डिस्पेंसरी भी है जहां पर रोगियों को निश्शुल्क दवा दी जाती है।
चारो तरफ है हरियाली का वास, सैर करने आते हैं लोग
आश्रम में चहुंओर हरियाली का डेरा है। मुख्य द्वार से गुरु निवास तक करीब डेढ़ किलोमीटर तक बनी सड़क पर मार्निंग वॉक करने वालों की भीड़ सी होती है। शांत महौल में तमाम लोग टहलने भी आते हैं। तमाम छात्र भी यहां के शांत माहौल में बैठकर पढ़ते रहते हैं। बड़े क्षेत्रफल में एक बाग भी यहां विकसित है जिसमें हजारों की संख्या में पेड़ लगे हैं जिसमें आश्रम के गोवंश भी विचरण करते हैं। खाली पड़ी कुछ जमीन पर गेहूं, सरसों, आलू, अरहर आदि की फसल भी उगाई जाती है। आश्रम को देखने और टहलने के लिए आसपास के साथ दूर-दराज से भी लोग आते हैं। आश्रम की ओर से माघ और कुंभ मेले में शिविर भी लगाया जाता है जिसमें रहकर महिला संत एक-डेढ़ माह धर्म का प्रचार करती हैं।
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