रोग प्रतिरोधक क्षमता और हड्डियों को मजबूती देता है तिल का तेल, कोलेस्ट्रोल करता है नियंत्रित
तिल के तेल का सबसे बड़ा गुण यह है कि यह शरीर के लिए औषधि का काम करता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करता है। शरीर में रोग के पनपते ही यह उस रोग से लडऩे की क्षमता शरीर में विकसित करना शुरू कर देता है।

प्रयागराज, जेएनएन। टीवी पर चलने वाले विज्ञापनों के प्रभाव में हम जाने या अनजाने में तमाम तरह के तेलों का इस्तेमाल अपने खाने में करते हैं जिससे कई बार हमारा स्वास्थ्य प्रभावित होता है। लेकिन तिल का तेल हमारे शरीर के लिए औषधि का काम करता है। इसमें तमाम ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर के लिए लाभदायक हैं। आयुर्वेद में इसकी बड़ी महत्ता बताई गई है।
इसके प्रयोग से शरीर में बढ़ती है रोगों से लडऩे की क्षमता
तिल के तेल का सबसे बड़ा गुण यह है कि यह शरीर के लिए औषधि का काम करता है। यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का काम करता है। आपके शरीर में रोग के पनपते ही यह उस रोग से लडऩे की क्षमता शरीर में विकसित करना शुरू कर देता है। आयुर्वेद के मुताबिक यह गुण अन्य किसी खाद्य पदार्थ में नहीं पाया जाता है।
बादाम की अपेक्षा तिल में होता है छह गुना कैल्शियम
सौ ग्राम सफेद तिल में एक हजार मिली ग्राम कैल्शियम प्राप्त होता है। बादाम की अपेक्षा तिल में छह गुना अधिक कैल्शियम मिलता है। काले तिल में लौह तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं जिसका सेवन करने से शरीर में रक्त की कमी दूर होती है। आयुर्वेदाचार्य डा. भरत नायक के अनुसार तिल में मौजूद लेसिथिन नामक रसायन कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित करने में सहायक होता है। तिल के तेल में प्राकृतिक रूप से मौजूद सिस्मोल एक ऐसा एंटी आक्सीडेंट है जो ऊंचे तापमान पर भी जल्दी खराब नहीं होता। इसलिए चरक संहिता में इसे खाना पकाने के लिए सबसे अच्छा तेल बताया गया है।
विटामिन सी को छोड़कर सभी जरूरी पौष्टिक पदार्थ होते हैं
तिल में विटामिन सी को छोड़कर सभी आवश्यक पौष्टिक पदार्थ होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैं। तिल में विटामिन बी और जरूरी फैटी एसिड भी भरपूर होता है। डॉ. भरत के अनुसार इसमें मीथोनाइन व ट्रायप्टोफन नामक दो महत्वपूर्ण एमिनो एसिड पाए जाते हैं जो चना, मूंगफली, राजमा, सोयाबीन, चौराई आदि में भी नहीं पाए जाते हैं। मीथोनाइन लीवर को ठीक रखने के साथ कोलेस्ट्राल को नियंत्रित रखता है जबकि ट्रायोप्टोफन से अच्छी नींद आने के साथ त्वचा व बाल स्वस्थ रहते हैं।
कब्ज नहीं होने देता, उच्च रक्तचाप कम करने में मददगार है
तिल का बीच स्वास्थ्य वर्धक वसा का बड़ा स्रोत है। यह कब्ज नहीं होने देता है। तिल में न्यूनतम सैचुरेटेड फैट होते हैं, इसलिए इससे बने खाद्य पदार्थ उक्त रक्तचाप को कम करने में सहायक होते हैं। सौ ग्राम तिल में तकरीबन १८ ग्राम प्रोटीन मिलता है जो बच्चों के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है। यह गर्भवती महिलाओं और भ्रूण को भी स्वस्थ रखने में मददगार होता है।
सर्दी के मौसम में करें मालिश, ठंड का अहसास नहीं होगा
तिल के तेल से शरीर की मालिश कराने से काफी आराम मिलता है। सर्दी के मौसम में इससे शरीर की मालिश की जाए तो ठंड का अहसास नहीं होता है। यह चेहरे की सुंदरता व कोमलता को बनाए रखता है। सूखी त्वचा के लिए उपयोगी है। तिल के तेल में थोड़ी सी पीसी सोंठ व एक चुटकी हींग डाल कर गर्म करके मालिश करने से जोड़ों के दर्द में लाभ मिलता है
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