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    Sawan 2022: सोमेश्‍वरनाथ मंदिर के त्रिशूल की दिशा प्रत्‍येक पूर्णिमा की रात में बदलती, मान्‍यता पर खिंचे चले आते हैं भक्‍त

    By Brijesh SrivastavaEdited By:
    Updated: Fri, 15 Jul 2022 04:37 PM (IST)

    Sawan 2022 प्रयागराज में सोमेश्वर महादेव मंदिर प्राचीन सिद्ध शिवालय है। इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक गाथा है। कहा जाता है कि मंदिर की स्थापना चंद्रदेव ने क्षयरोग के श्राप से मुक्त होने के लिए की थी। शिवलिंग की स्थापना कर चंद्र देव ने भगवान शिव की घोर तपस्या की।

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    प्रयागराज के प्राचीन सोमेश्‍वरनाथ मंदिर से जुड़ी पौराणिक मान्‍यता होने से दूर-दूर से भक्‍त यहां आते हैं।

    प्रयागराज, जेएनएन। सावन का महीना शुरू है। ऐसे में प्रयागराज के एक अनोखे शिव मंदिर की विशेषता से आप भी परिचित हों। नैनी के अरैल गंगा तट पर स्थित है सोमेश्‍वर नाथ मंदिर। इस प्राचीन से जुड़ी एक रहस्‍यमय मान्‍यता भी है। कहते हैं कि प्रत्येक माह की पूर्णिमा की रात में इस शिव मंदिर की शिखा पर लगे त्रिशूल की दिशा बदल जाती है। कहते हैं कि इस करामात को देखने के लिए कई बार लोगों ने प्रयास किया किया लेकिन दिखा कुछ नहीं। सुबह त्रिशूल की दिशा बदली ही नजर आई। यह अनहोनी ही मंदिर में दूर-दूर से आने वाले लोगों को आकर्षित करती है।

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    मंदिर से जुड़ी पौराणिक मान्‍यता, चंद्रदेव ने की थी सोमेश्वर महादेव की स्‍थापना : तीर्थराज प्रयाग के अरैल नैनी में सोमेश्वर महादेव मंदिर प्राचीन और सिद्ध शिवालय है। इस मंदिर से जुड़ी पौराणिक गाथा भी है। कहा जाता है कि मंदिर की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने क्षयरोग के श्राप से मुक्त होने के लिए की थी। शिवलिंग की स्थापना कर चंद्र देव ने भगवान शिव की घोर तपस्या की। शिवजी प्रकट हुए और वरदान दिया तो चंद्रदेव राजा दक्ष के श्राप से मुक्‍त हुए।

    चंद्रदेव को दक्ष ने दिया था श्राप का पुराणों में उल्‍लेख : ऐसा कहा जाता है कि पुराणों में उल्लिखित है कि राजा दक्ष की 60 बेटियां थी। सभी से चंद्रदेव ने विवाह किया था। चंद्रदेव राजा दक्ष की सबसे छोटी बेटी रोहणी पर मोहित हो गए। वे उसके अलावा अन्य को भी समय नहीं देते थे। इससे दक्ष की अन्य बेटियां काफी दुखी थीं। वे जब मायके गईं तो मां ने उसका कारण पूछा। बेटियों ने बात बता दी। इसकी जानकारी राजा दक्ष को हुई तो वे क्रोधित हुए और चंद्रदेव को क्षयरोग से ग्रसित होने का श्राप दे दिया। श्राप से मुक्त करने के लिए अन्य देवताओं ने राजा दक्ष से गुहार लगाई थी।

    सच्‍चे दिल से पूजन करने वाले की पूरी होती है मनोकामना : मान्‍यता है कि सोमेश्वरनाथ मंदिर में भगवान शिव की सच्‍चे दिल से पूजा-अर्चना करने वाले भक्‍तों की मनोकामना पूरी होती है। कुष्‍ठ रोगी भी पूजा करे तो रोग से मुक्ति मिलती है। इस मंदिर से अन्‍य राज्‍यों के लोगों की भी आस्‍था जुड़ी है।

    सावन व महाशिवरात्रि में उमड़ते हैं भक्‍त : गंगा तट पर स्थित प्राचीन सोमेश्‍वरनाथ मंदिर में यूं तो वर्ष भर भक्‍तों की आवाजाही रहती है। सावन के एक माह तक यहां प्रतिदिन सुबह से रात तक पूजन-अर्चन के लिए एक माह तक भक्‍तों की भीड़ जुटती है। महाशिवरात्रि के दिन भी पूजन अर्चन और जलाभिषेक के लिए मंदिर परिसर में काफी भीड़ रहती है।