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    घायल की जान बचाएं, नेक आदमी का प्रशस्त्रि पत्र और पांच हजार रुपये पुरस्कार पाएं

    आमतौर पर देखा जाता है कि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने से लोग कतराते हैं। वजह यह होती है कि भर्ती कराने पर उसका पूरा नाम लिखा जाता है। उसकी जिम्मेदारी तय कर दी जाती है। यही नहीं पुलिस उससे तमाम तरह के सवाल करती है।

    By Ankur TripathiEdited By: Updated: Thu, 06 Jan 2022 07:00 AM (IST)
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    योजना के प्रति जागरूकता के लिए जिले के प्रमुख अस्पतालों और थानों में पोस्टर लगाए जा रहे हैं।

    प्रतापगढ़, जागरण संवाददाता। सड़क और रेल दुर्घटना में घायल होने वाले व्यक्ति की मदद करने वाले को सरकार नेक आदमी का दर्जा देगी। साथ ही पुरस्कार देकर उसे प्रोत्साहित करेगी। इस योजना के प्रति जागरूकता के लिए जिले के प्रमुख अस्पतालों और थानों में पोस्टर लगाए जा रहे हैं।

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    पुलिस के सवालों के डर से मदद करने से कतराते हैं लोग

    आमतौर पर देखा जाता है कि दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को अस्पताल पहुंचाने से लोग कतराते हैं। वजह यह होती है कि भर्ती कराने पर उसका पूरा नाम लिखा जाता है। उसकी जिम्मेदारी तय कर दी जाती है। यही नहीं पुलिस उससे तमाम तरह के सवाल करती है। उसका कौन है, वह वहां कैसे पहुंच गया, उसके पास क्या-क्या था। इतना ही नहीं मदद करने वाला ही कई बार मुकदमे का वादी भी बना दिया जाता है। इस झमेले व सवालों से बचने के लिए लोग घायल की मदद से दूर भागते हैं। ऐसे में घायल की मौके पर तड़पकर मौत हो जाती है।

    प्रतापगढ़ में स्थिति लगभग ऐसी ही है। मदद करने वाला अपने कार्य पर पछताने लगता है, क्योंकि होम करते वक्त उसका हाथ जल चुका होता है। अब घायल लोगों की जान बचाने के लिए शासन ने एक नई पहल की है। गोल्डन आवर यानि दुर्घटना के एक घंटे के अंदर पीड़ित को अस्पताल पहुंचाने वाले को गुड सेमेरिटन यानि नेक आदमी माना जाएगा। उसे पांच हजार रुपये का पुरस्कार भी मिलेगा। यही नहीं अस्पताल में मदद करने वाले का नाम पता उसकी इच्छा के बिना नहीं पूछा जा सकेगा। उसे परेशान नहीं किया जाएगा। इलाज व लिखापढ़ी, जांच की जिम्मेदारी अस्पताल व पुलिस की होगी, मदद करने वाली की नहीं। यही नहीं मददगार की तारीफ करते हुए पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा। उसके नेक कार्य से औरों को प्रेरणा मिलेगी।

    एआरटीओ का है कहना

    मानवता की सोच को सम्मान देने व घायल की जान बचाने के इरादे से सरकार ने यह पहल की है। इस आशय का जागरूकता पत्रक बांटा जा रहा है। अस्पतालों और थानों और प्रमुख स्थानों पर इसके पोस्टर बैनर लगाए जा रहे हैं।

    -सुशील कुमार मिश्र,एआरटीओ