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    आजम खान की बढ़ सकती मुश्किलें, HC ने आपत्तिजनक भाषण मामले में आवाज के नमूने रिकॉर्ड करने के दिए निर्देश

    इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2007 के विधानसभा चुनाव के दौरान भड़काऊ व आपत्तिजनक भाषण देने के मामले में सपा नेता आजम खान को अपनी आवाज का नमूना रिकॉर्ड कराने का निर्देश दिया है। इससे पहले एमपी/एमएलए कोर्ट रामपुर ने आजम खान को आवाज का नमूना रिकॉर्ड कराने का निर्देश दिया था। जिसे उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने उनकी यह मांग खारिज कर दी।

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Fri, 28 Jul 2023 10:48 AM (IST)
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    आजम खान की बढ़ सकती मुश्किलें, HC ने आपत्तिजनक भाषण मामले में आवाज के नमूने रिकॉर्ड करने के दिए निर्देश

    विधि संवाददाता, प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2007 के विधानसभा चुनाव के दौरान भड़काऊ व आपत्तिजनक भाषण देने के मामले में सपा नेता आजम खान को अपनी आवाज का नमूना रिकॉर्ड कराने का निर्देश दिया है।

    इससे पहले एमपी/एमएलए कोर्ट रामपुर ने आजम खान को आवाज का नमूना रिकॉर्ड कराने का निर्देश दिया था। जिसे उन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने उनकी यह मांग खारिज कर दी।

    2007 विधानसभा चुनाव में दिया था आदेश

    न्यायमूर्ति राजीव मिश्र ने आजम खान की याचिका निस्तारित करते हुए यह आदेश दिया है। विधानसभा चुनाव 2007 के दौरान आजम खान ने एक जनसभा में भड़काऊ भाषण दिया। जिसमें आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करने के खिलाफ धीरज कुमार सिंह ने रामपुर के टांडा थाने में आजम के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम व एससी/एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया।

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    प्रकरण में विवेचक ने आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल करने पर कोर्ट ने संज्ञान लेकर मुकदमे का ट्रायल शुरू कर दिया। ट्रायल के दौरान यह सामने आया कि उक्त भाषण की रिकार्डिंग कराई गई थी। जिसे विवेचक ने अपनी केस डायरी का हिस्सा बनाया है, लेकिन चार्ज शीट में रिकार्डिंग का जिक्र नहीं है।

    स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए ने आडियो से आजम खान के आवाज का मिलान कराने का निर्देश दिया। आदेश के खिलाफ आजम खान की आपत्ति 29 अक्टूबर 2022 को स्पेशल कोर्ट एमपी/एमएलए ने खारिज कर दी। जिसे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।

    आजम के वकीलों ने कई तकनीकी बिंदुओं पर इस आदेश को गलत बताते हुए कहा कि रिकार्डिंग नायब तहसीलदार गुलाब राय ने व्यक्तिगत स्तर पर कराई थी, न कि उन्हें किसी वरिष्ठ पुलिस या प्रशासनिक अधिकारी ने ऐसा करने का आदेश दिया था।