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रोडवेज बस यात्रियों की परेशानी, वाराणसी का किराया लिया जाता है 162 रुपये, रसीद देते हैं 161 रुपये की

परिवहन निगम के अधिकारियों से प्रयागराज से वाराणसी के यात्रियों के साथ कथित धोखाधड़ी करने की शिकायतें की जा रही हैं। यात्रियों से किराया 162 रुपये लिया जाता है उन्हें रसीद 161 रुपये की दी जाती है। यह गड़बड़ी कंडक्टरों द्वारा ई-पाश मशीनों के प्रयोग करने से हो रही है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Mon, 11 Oct 2021 08:53 AM (IST)Updated: Mon, 11 Oct 2021 08:53 AM (IST)
रोक के बाद भी ई-पाश मशीन का रोडवेज बस कंडक्‍टर प्रयोग करते हैं, जिससे यात्रियों को दिक्‍कत हो रही है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। अभी तक तक तो निजी बस चालक ही मनमाना किराया यात्रियों से वसूलते थे लेकिन अब रोडवेज बस के कंडक्‍टर पर ऐसे आरोप लग रहे हैं। उन पर आरोप है कि वे यात्रियों से निर्धारित से अधिक किराया ले रहे हैं। इससे रोडवेज बस यात्रियों को परेशानी हो रही है। उनका रोडवेज के प्रति विश्‍वास भी धूमिल हो रहा है। इसका नमूना प्रयागराज से वाराणसी रूट पर देखा जा सकता है। इस रूट पर वाराणसी तक का किराया तो 161 रुपये है लेकिन यात्रियों से 162 रुपये वसूला जाता है। हालांकि सत्‍यता कुछ और है। इस खबर के माध्‍यम से आप भी पूरा मामला जानें।

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परिवहन निगम के अधिकारियों से शिकायत

परिवहन निगम के अधिकारियों से प्रयागराज से वाराणसी के यात्रियों के साथ कथित धोखाधड़ी करने की शिकायतें की जा रही हैं। यात्रियों से किराया 162 रुपये लिया जाता है लेकिन, उन्हें रसीद 161 रुपये की दी जाती है। यह गड़बड़ी कंडक्टरों द्वारा ई-पाश मशीनों के प्रयोग किए जाने के कारण हो रही है। ई-पाश मशीनों का प्रयोग न करने के अधिकारियों के आदेश को भी कंडक्टर नहीं मानते। इसकी वजह से ऐसा हो रहा है। अब इस रूट के कंडक्टरों को ई-पाश मशीन नहीं देने की तैयारी है।

रोक के बाद भी ई-पास मशीनों का बस कंडक्‍टर कर रहे प्रयोग

उत्तर प्रदेश परिवहन निगम का ई-पाश मशीन वाली कंपनी से ठेका करीब पांच-छह महीने पहले समाप्त हो चुका है। इसके बाद भी कंडक्टरों द्वारा उसी ई-पाश मशीन का प्रयोग अब भी किया जा रहा है। ठेका समाप्त होने के बाद प्रयागराज-वाराणसी रूट पर टोल प्लाजा का किराया एक रुपये बढ़ गया है। इसकी वजह से ई-पाश मशीन से अभी भी रसीद 161 रुपये की निकलती है मगर किराया एक रुपये बढ़ जाने से 162 रुपये हो गया है। ऐसे में कंडक्टरों द्वारा यात्रियों को इस मशीन से रसीद काटकर देने पर 161 रुपये ही लिखा होता है, जबकि टोल का किराया जोड़कर 162 रुपये लिया जाता है। इससे यात्रियों को लगता है कि उनसे एक रुपये अधिक लिया जाता है। इसकी शिकायत अधिकारियों के पास अक्सर यात्रियों द्वारा की जाती है।

सिविल लाइंस डिपो के एआरएम ने कहा-यात्रियों से नहीं हो रही धोखाधड़ी

सिविल लाइंस डिपो के एआरएम सीबी राम का कहना है कि कंडक्टरों को मैन्युअली टिकट बनाने के निर्देश दिए गए हैं, फिर भी हाथ से रसीद बनाने के झंझट से बचने के लिए वह मशीन से ही रसीद काटते हैं। जमा उन्हें 162 रुपये ही करना होता है, फिर भी यात्रियों को लगता है कि उनके साथ धोखाधड़ी हो रही है। अब इस रूट के कंडक्टरों को मशीन देना बंद करना पड़ेगा।

10 फीसद घट गया राजस्व

एआरएम का कहना है कि मैन्युअली टिकट काटने की व्यवस्था के कारण प्रदेश स्तर पर निगम का राजस्व करीब 10 फीसद घट गया है, क्योंकि कंडक्टर मैन्युअली टिकट काटने से बचने के लिए यात्रियों को कम बैठाते हैं। नई ई-पाश मशीन की कंपनी के चयन के लिए मुख्यालय स्तर से प्रक्रिया चल रही है।


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