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    त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अनारक्षित सीटों पर आरक्षित वर्ग की निगाह

    By Brijesh SrivastavaEdited By:
    Updated: Fri, 12 Feb 2021 03:59 PM (IST)

    प्रदेश सरकार से गुरुवार को जारी हुई आरक्षण की नियमावली से एक बात और स्पष्ट हो गई है कि जो पंचायतें अब तक कभी आरक्षित नहीं हुई थी। उनको पहले आरक्षण कोटे में डाला जाएगा। इससे उन लोगो का वर्चस्व भी खत्म होगा।

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    जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर सालों से दो महिलाओं के बीच चल रही अदावत अब नहीं होगी।

    प्रयागराज, जेएनएन। इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण से काफी कुछ भी बदलाव हो जाएगा। जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर सालों से दो महिलाओं के बीच चल रही अदावत अब नहीं होगी। अब यह सीट महिला कोटे के लिए आरक्षित नहीं होगी। हो सकता है सामान्य हो जाए तो दावेदार बढ़ जाएंगे और टक्कर जोरदार रहेगी। ऐसे ही अन्य तमाम सीटों पर भी दावेदारी बदल जाएगी।

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    प्रदेश सरकार से गुरुवार को जारी हुई आरक्षण की नियमावली से एक बात और स्पष्ट हो गई है कि जो पंचायतें अब तक कभी आरक्षित नहीं हुई थी। उनको पहले आरक्षण कोटे में डाला जाएगा। इससे उन लोगो का वर्चस्व भी खत्म होगा, जो सालों से एक ही सीट पर जमे है और मनमानी करते आ रहे है। मतलब साफ है कि जिन सीटों पर सालों से आरक्षित वर्ग के लोगों का कोई दखल नहीं था अब वह वहां के जनप्रतिनिधि बन सकेंगे। लेकिन ऐसे मामलों में पहले भी यह देखने को मिला है जो सालो से एक गांव का प्रधान रहा, वो आरक्षण बदलने पर अपने ही गुर्गे खड़े कर जीत की जुगत लगाता है।

    फिलहाल पंचायत चुनाव को देखते हुए हर कोई अपना अपना-अपना गणित बैठने में जुट गया। यह चुनाव बहुत छोटे स्तर का होता है इसलिए इस मामले में रंजिश भी खूब होती है। इस बार पंचायत चुनाव में 3369246 मतदाता भाग लेंगे। पंचायत का कुछ क्षेत्र नगर निगम में शामिल होने से आबादी कुछ कम हुई है। फिलहाल यह मतदाता 84 जिला पंचायत सदस्य, 2086 क्षेत्र पंचायत सदस्य और 1540 ग्राम प्रधान चुनेंगे। 16 मार्च तक आरक्षण की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। उसके चुनाव की अगली प्रक्रिया शुरू होगी।