Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    करपात्री जी महाराज का असली नाम था कुछ और... करपात्री नाम रखने के पीछे वजह भी है अनोखी

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Sat, 30 Jul 2022 06:30 AM (IST)

    Karpatri ji Birth Anniversary करपात्री जी प्रतापगढ़ के भटनी गांव में 30 जुलाई 1907 को जन्मे थे। इनका वास्तविक नाम हरि नारायण ओझा था। संत समाज में प्रभाव रखने पर इनका नाम हरिहरानंद सरस्वती हो गया। वह उतना भोजन करते थे जितना उनके दोनों हाथों में आ पाता था।

    Hero Image
    व्याकरण, दर्शन शास्त्र, भागवत और वेदांत के उद्भट विद्वान थे करपात्री जी महाराज

    धर्मसम्राट करपात्री जी महाराजकी जन्मतिथि आज

    प्रयागराज, जेएनएन।  धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो, प्राणियों में सद्भावना हो, विश्व का कल्याण हो, गोहत्या बंद हो...। इन जयकारों के बिना धार्मिक अनुष्ठान पूरे नहीं होते। सनातन धर्म के गौरव और विराटता को प्रदर्शित करने वाले यह जयकारे प्रतापगढ़ के स्वामी करपात्री जी महाराज की देन हैं। वह धर्म के साथ देश, गाय, देववाणी संस्कृत के लिए भी लड़े। उनके अनुकरणीय व्यक्तित्व पर मोदी सरकार ने इसी महीने डाक टिकट भी जारी किया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    छात्र जीवन में छोड़ दिया था घर, काशी में रहकर लिखे कई ग्रंथ

    व्याकरण, दर्शन शास्त्र, भागवत, न्यायशास्त्र, वेदांत के विद्वान करपात्री जी प्रतापगढ़ के लालगंज के भटनी गांव में 30 जुलाई 1907 को जन्मे थे। इनका वास्तविक नाम हरि नारायण ओझा था। छात्र जीवन में 15 वर्ष की आयु में ही घर-बार त्याग कर अध्यात्म जगत में प्रवेश कर गए थे। वह स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती महाराज के शिष्य रहे। संत समाज में प्रभाव रखने पर काशी में इनका नाम हरिहरानंद सरस्वती हो गया। वह उतना ही भोजन करते थे, जितना उनके दोनों हाथों में आ पाता था। कर काे पात्र बनाने के कारण वह करपात्री कह लाए। उन्होंने भागवत सुधा, रस मीमांसा, गोपी गीत व भक्ति सुधा समेत कई ग्रंथ भी लिखे थे।

    गोहत्या के विरुद्ध लड़े सरकार से भी

    वह भारतीय संस्कृति, देववाणी संस्कृत के प्रबल समर्थक व गायों के पालक रहे। गोहत्या के विरुद्ध तत्कालीन कांग्रेस सरकार से भी टकराए। इसको लेकर सात नवंबर 1966 को संसद भवन के सामने संतों ने उनके नेतृत्व में धरना दिया था। भारी भीड़ देखकर पीएम इंदिरा गांधी के इशारे पर फायरिंग व लाठीचार्ज होने से कई संतों की मौत हो गई थी। स्वामी जी राजनीति में धर्म व नीति की स्थापना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने अखिल भारतीय रामराज्य परिषद बनाकर उम्मीदवार उतारे। कई सीटें जीतीं और राजनीति में हलचल मचा दी।

    स्वजन चाहते हैं, बने संग्रहालय

    उनके पैतृक गांव भटनी में स्मारक बना है। उनकी मूर्ति लगाई गई है। वहां पर हर वर्ष जन्म व पुण्यतिथि मनाई जाती है। उनके पौत्र शिवराम ओझा के साथ ही परिवार के गोकरन नाथ, आशुतोष ओझा, चंद्रमोलेश्वर व चंद्रशेखर को इस बात की प्रसन्नता है कि करपात्री जी पर सरकार ने डाक टिकट जारी किया। वह चाहते हैं कि भटनी गांव को पर्यटन व शोध के लिहाज से विकसित किया जाए। संग्रहालय बनवाया जाए।

    भारत रत्न की मांग

    धर्माचार्य ओम प्रकाश पांडेय अनिरुद्ध रामानुजदास बताते हैं कि करपात्री जी समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी के रूप में भी देश की सेवा करते रहे। उनकी स्मरण शक्ति गजब की थी। जो पढ़ लिया, वह भूलते नहीं थे। वह अधिकांश समय काशी में रहे। उनको मरणोपरांत भारत रत्न दिया जाना चाहिए। यह मांग सांसद संगम लाल गुप्ता के माध्यम से संसद तक भी पहुंची है।