अब शोधगंगा पोर्टल पर होंगे दुर्लभ थिसिस, Allahabad Central University ने उठाया महत्वपूर्ण कदम
शोधगंगा पोर्टल पर देशभर के विश्वविद्यालयों में शोधर्थियों की थिसिस अपलोड की जाती है। इससे शोधार्थियों के शोध का लाभ भारत के दूसरे कोने पर बैठे व्यक्ति व छात्र को मिलता है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय और यूजीसी के इंफ्लिबनेट के बीच 2015 में ममोरंडम आफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) हुआ था
गुरुदीप त्रिपाठी, प्रयागराज। पूरब के आक्सफोर्ड कहे जाने वाले इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय में किया गया पहला शोध भी अब आसानी से सबको पढऩे को मिल सकेगा। इसके अलावा तमाम दुर्लभ शोध भी अब सिर्फ एक क्लिक पर मिल जाएंगे। एक जनवरी 2010 से पूर्व किए गए करीब 17 हजार शोध की थिसिस जल्द विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के शोधगंगा पोर्टल पर अपलोड कर दी जाएगी। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसकी कवायद भी शुरू कर दी है।
साहित्यिक चोरी रोकने के लिए यूजीसी ने तैयार किया था रेगुलेशन
साहित्यिक चोरी रोकने के लिए यूजीसी ने वर्ष 2009 में पीएचडी का रेगुलेशन तैयार किया था। इसके मुताबिक एमफिल व पीएचडी की उपाधि प्रदान किए जाने के बाद थिसिस की एक इलेक्ट्रानिक प्रति इंफ्लिबनेट के द्वारा संचालित शोध गंगा पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य कर दिया गया था। शोधगंगा पोर्टल पर देशभर के विश्वविद्यालयों में शोधर्थियों की थिसिस अपलोड की जाती है। इससे देश भर के शोधार्थियों के शोध कार्य का लाभ भारत के दूसरे कोने पर बैठे व्यक्ति व छात्र को मिलता है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय और यूजीसी के इंफ्लिबनेट के बीच 2015 में ममोरंडम आफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) हुआ था। इसके तहत पीएचडी अवार्ड किए जाने वाले अभ्यर्थियों के शोध को इंफ्लिबनेट में भेजा जाएगा फिर उसे शोधगंगा पर अपलोड किया जाना था। वर्तमान में एक जनवरी 2010 से अब तक केवल 1675 थिसिस ही पोर्टल पर अपलोड किए गए हैं। इससे पहले के 16885 थिसिस अभी पोर्टल पर अपलोड ही नहीं हुए हैं। इसका असर शोधगंगा की रैकिंग पर भी पड़ता है। ऐसे में अब इन थिसिस को भी जल्द पोर्टल पर अपलोड करने की कवायद चल रही है। इसमें प्रोफेसर मेघनाद साहा, सर अमर नाथ झा, सर गंगा नाथ झा जैसे कई महान शिक्षाविदों की लिखी गईं कृतियां भी शामिल हैं। इसके लिए कुलपति के निर्देश पर डीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट की अध्यक्षता में कमेटी गठित कर दी गई है। इस कमेटी में डीन कालेज डेवलपमेंट सेल, आइसीटी सेल के चेयरमैन, फाइनेंस अफसर और लाइब्रेरियन को शामिल किया गया है। अब यह कमेटी जल्द बैठक की अगली प्रक्रिया शुरू करेगी।
पुस्तकालय अध्यक्ष ने कहा
एक जनवरी 2010 से इलाहाबाद विश्वविद्यालय में जो भी थिसिस अवार्ड हुई है। उसकी साफ्ट कापी पुस्तकालय ने संबंधित शोधार्थी से लिया है। उसको शोधगंगा पोर्टल पर अपलोड कर दिया है। तकरीबन 17 हजार थीसिस 2010 से पहले अवार्ड हुए हैं, वह हार्ड कापी में हैं। उसको डिजिटलाइज कराकर शोधगंगा पोर्टल पर अपलोड कर दिया जाएगा।
- डाक्टर बीके सिंह, पुस्तकालय अध्यक्ष
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