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    Rajarshi Tandon Death Anniversary : जलकर न जमा करने पर रोक दी थी 'फिरंगियों' की वाटर सप्लाई Prayagraj News

    By Brijesh SrivastavaEdited By:
    Updated: Wed, 01 Jul 2020 05:48 PM (IST)

    एक अगस्त 1882 को अहियापुर में पिता सालिगराम टंडन के घर में जब स्‍वाधीनता सेनानी का जन्म हुआ तब पुरुषोत्तम का महीना था। उसी वजह से उनका नाम पुरुषोत्तम दास रखा गया।

    Rajarshi Tandon Death Anniversary : जलकर न जमा करने पर रोक दी थी 'फिरंगियों' की वाटर सप्लाई Prayagraj News

    प्रयागराज, जेएनएन। तमाम खासियतों के साथ भारत रत्न राजर्षि पुरुषोत्तम दास (पीडी) टंडन की पहचान उनकी अपनी इच्छाशक्ति के लिए भी थी। इसे इस घटना से भी समझा जा सकता है। राजर्षि टंडन 1921 में नगर पालिका इलाहाबाद (वर्तमान प्रयागराज) के चेयरमैन थे। उन्होंने जलकर (वाटर टैक्स) जमा करने के लिए उस छावनी क्षेत्र को नोटिस भेजी, जहां अंगे्रजी हुकूमत के बड़े अफसर रहते थे। वह जलकर की अदायगी नहीं कर रहे थे। दोबारा नोटिस भेजने पर भी जलकर नहीं जमा किया तो राजर्षि टंडन ने फिरंगियों के इलाके की पानी की सप्लाई रोक दी और कनेक्शन काटने के लिए टीम को भेज दिया था। इससे घबराकर अंग्रेजों ने कर जलकर जमा कर दिया था। इस वाकया का उल्लेख राजर्षि टंडन के पौत्र संत प्रसाद टंडन की पुस्तक 'राजर्षि टंडन' में भी मिलता है। 

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    राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन

    जन्म दिवस- 01 अगस्त 1882

    पुण्य तिथि- 01 जुलाई 1962

    आज ही के दिन 1962 को कल्याणी देवी स्थित निवास में निधन हुआ था

    देश के प्रमुख स्‍वाधीनता सेनानी एक अगस्त 1882 को अहियापुर में पिता सालिगराम टंडन के घर में जब उनका जन्म हुआ तब पुरुषोत्तम का महीना था। उसी वजह से उनका नाम पुरुषोत्तम दास रखा गया। उन्हें राजर्षि की उपाधि देवरहा बाबा ने 15 अप्रैल 1948 को देकर आशीर्वाद दिया था। इसके बाद से उन्हें राजर्षि कहा जाने लगा। उन्होंने विधि स्नातक के बाद इतिहास विषय से परास्नातक किया। वह हिंदी के प्रबल पैरोकार थे। वह चाहते थे कि हिंदी राष्ट्रभाषा बने। इसके लिए सदैव प्रयासरत रहे। एक जुलाई 1962 को कल्याणी देवी स्थित निवास में उनका निधन हुआ।

    दुर्लभ वस्तुओं का है पूरा संग्रहालय

    हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयागराज में राजर्षि पीडी टंडन के नाम पर एक कक्ष में संग्रहालय है। इसमें उनके कपड़े, लोटा, बर्तन, अभिनंदन पत्र, सम्मेलनों में मिला प्रतीक चिह्न, पुरस्कार, हस्तलिखित पत्र रखे हैैं। प्रतीक चिह्न के रूप में मिली ऐसी संपूर्ण भागवत भी है, जिसके अक्षर केवल उत्तल लेंस के जरिए ही देखे जा सकते हैैं। उनकी दर्जनों दुर्लभ तस्वीरें और उनके द्वारा घर के लॉन में इस्तेमाल की जाने वाली खुरपी व कन्नी भी मौजूद है।

    पीडी टंडन के नाम पर प्रयागराज में ये संस्थान हैं

    प्रयागराज में पीडी टंडन के नाम पर उत्तर प्रदेश राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय, राजर्षि टंडन महिला महाविद्यालय, पीडी टंडन पार्क, पीडी टंडन रोड, राजर्षि टंडन मंडपम सहित अन्य संस्थान भी हैं।

    पूर्व राष्‍ट्रपति राधाकृष्णन से संस्कृत में संवाद किया था

    राजर्षि टंडन की पौत्रवधु शशि टंडन बताती हैं कि कल्याणी देवी स्थित घर पर एक बार पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन आए थे। वे ङ्क्षहदी बोलना नहीं जानते थे और बाबूजी (पीडी टंडन) को अंग्रेजी से नफरत थी। बात तो होनी ही थी, इसलिए उन्होंने डॉ. राधाकृष्णन से करीब डेढ़ घंटे संस्कृत में बात करके उन्हें चकित कर दिया था।

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