देश के लिए चिरौंजी की खान बनेगा प्रयागराज, 8 राज्यों से लाए गए बीजों से तैैयार किए उन्नत प्रजाति के 6000 पौधे
चिरौंजी के पेड़ की छाल फल और बीज तीनों में औषधीय गुण हैं। भारतीय पकवान का प्रमुख हिस्सा चिरौंजी में 52 प्रतिशत तक तेल होता है जो जैतून और बादाम के विकल्प है। इसकी छाल से बना अर्क डायरिया और अतिसार में भी कारगर है।

मृत्यंजय मिश्र, प्रयागराज। जंगलों में अवैध कटान और भारी मात्रा में दोहन के कारण बिलुप्ति की कगार पर पहुंची चिरौंजी (कडप्प अलमंड) को सैम हिग्गिन्बाटम कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान विश्वविद्यालय (शुआट्स) के विज्ञानियों ने नया जीवन दिया है। शुआट्स के विज्ञानियों ने अपनी हाइटेक नर्सरी में देश के आठ राज्यों से चिरौंजी के बीजों में से बेहतरीन जीन की पहचान कर उन्नत प्रजाति के 6000 पौधे तैयार किए गए। व्यावसायिक खेती के लिए यह पौधे देशभर के किसानों को बांटे जाएंगे। साथ ही संस्थान एक चिरौंजी पार्क भी तैयार करेगा, यहां सैकड़ों पौधे लगेंगे और यहां से बीज का भी उत्पादन होगा।
चिरौंजी को बचाने के लिए उप्र सरकार ने शुआट्स को सौंपा प्रोजेक्ट
औषधीय गुणों से भरपूर चिरौंजी के पेड़ मुख्यतः ऊष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के जंगली इलाकों में पाए जाते हैं। उत्तर प्रदेश के मीरजापुर और सोनभद्र के जंगलों में चिरौंजी के पेड़ों की संख्या बहुतायत में थी। अवैध कटान और जंगलों के दोहन से यह विलुप्ति की कगार पर पहुंच गई। इसको देखते हुए 2020 में उत्तर प्रदेश कृषि शोध परिषद (उपकार) ने शुआट्स के कालेज आफ फारेस्ट्री को उन्नत प्रजाति विकसित करने और संगठित खेती में इसे प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी दी थी।
इसकी कमान कालेज आफ फारेस्ट्री के डीन प्रो. एंटनी राज ने संभाली। प्रो. एंटनी ने झारखंड, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान से चिरौंजी के बीज लाकर अपनी हाइटेक नर्सरी में इनको उगाया और बेहतरीन जीनोटाइप की पहचान कर 6000 से अधिक उन्नत प्रजाति के पौधे तैयार कर लिए।
औषधीय गुणों से भरपूर है चिरौंजी
चिरौंजी के पेड़ की छाल, फल और बीज तीनों में औषधीय गुण हैं। भारतीय पकवान का प्रमुख हिस्सा चिरौंजी में 52 प्रतिशत तक तेल होता है, जो जैतून और बादाम के विकल्प है। इसकी छाल से बना अर्क डायरिया और अतिसार में भी कारगर है। बाजार में 600 से 2000 रूपये प्रति किलो बिकने वाली चिरौंजी प्रदेश में सर्वाधिक मिर्जापुर-सोनभद्र में बहुतायात में पैदा होती थी लेकिन पिछले एक दशक में इसमें काफी कमी आई है।
सरकार खत्म करने जा रही है ट्रांजिट परमिट
उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को बड़ी राहत देते हुए चिरौंजी पर अभिवहन शुल्क माफ करने जा रही है। यह वनोपज में आता है और किसानों को इनकी बिक्री के लिए वन विभाग में अभिवहन शुल्क जमा कर ट्रांजिट परमिट बनवाना पड़ता है। इसके लिए सरकार जल्द कैबिनेट में प्रस्ताव लाने जा रही है। इसके पास होने के बाद किसान चिरौंजी को आसानी से बेरोकटोक बाजार में अच्छे दामों पर बेंच सकेंगे। सूखा मेवा में आने वाली चिरौंजी उत्तर प्रदेश में सोनभद्र, मीरजापुर, चंदौली, ललितपुर, झांसी व महोबा में होती है। आदिवासी ही जंगलों में जाकर चिरौंजी के फल एकत्र करते हैं। इन्हें सुखाने के बाद इनकी कुटाई कर चिरौंजी बनाई जाती है।
पैदावार बढाने के लिए संगठित खेती को प्रोत्साहन
शुआट्स के कालेज आफ फारेस्ट्री के डीन प्रो. एंटनी राज ने कहा कि चिरौंजी जंगली पेड़ है, अब तक इसे बागवनी में नहीं लाया गया है। जंगलों के कटान से इसमें काफी कमी आई है। ऐसे में पैदावार बढाने के लिए संगठित खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कई नई प्रजाति विकसित की गई है, वर्ष के अंत तक 10 हजार से अधिक पौधे तैयार कर लिए जाएंगे। वर्तमान में 6 हजार पौधों को तैयार किया गया है, इसे कई किसानों को वितरित किया जाएगा।
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