Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पर्यटन के साथ करिए दर्शन-पूजन भी, प्रयागराज और आसपास हैं कई प्रमुख मठ-मंदिर और धाम

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Fri, 08 Apr 2022 04:21 PM (IST)

    प्रयागराज के 80 किलोमीटर के दायरे में कई सिद्धपीठ के साथ वृंदावन के प्रेम मंदिर की तर्ज पर मनगढ़ धाम है। पवित्र संगम के जल में डुबकी लगाकर यात्रा की श ...और पढ़ें

    Hero Image
    प्रयागराज के 80 किलोमीटर के दायरे में कई सिद्धपीठ के प्रेम मंदिर की तर्ज पर मनगढ़ धाम स्थित है।

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता। उपवास, उपासना के जरिए उन्नति का मार्ग प्रशस्त करने को सनातन धर्मावलंबी मां दुर्गा को रिझाने में लीन हैं। मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए नवरात्र पर देवी धामों में भीड़ जुट रही है। शनिवार को अष्टमी व रविवार को नवमी तिथि पड़ेगी। इन तिथियों पर देवी मां के दरबार में मत्था टेकना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है। सुखद यह है कि अधिकतर कार्यालय दोनों दिन बंद रहते हैं। ऐसी स्थिति में अगर शुक्रवार को सप्तमी तिथि पर भी अवकाश ले लिया जाय तो एक साथ कई धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया जा सकता है। प्रयागराज के आस-पास कई सिद्धपीठ मंदिरों का दर्शन-पूजन का पुण्य प्राप्त होता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    संगम स्नान के बाद देखिए प्रतापगढ़ में प्रेम मंदिर की तर्ज पर मनगढ़ धाम

    प्रयागराज के 80 किलोमीटर के दायरे में कई सिद्धपीठ के साथ वृंदावन के प्रेम मंदिर की तर्ज पर बने मनगढ़ धाम स्थित है। पवित्र संगम के जल में डुबकी लगाकर यात्रा की शुरुआत करना अत्यंत सुखद होता है। संगम के पास लेटे हनुमान जी के दरबार में हाजिरी लगाकर चार किलोमीटर की दूरी पर स्थित प्राचीन मां अलोपशंकरी का मंदिर। अलोपीबाग मोहल्ले में स्थित उक्त मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां माता सती का जो अंग गिरा वो लोप हो गया।

    मां कल्याणी के प्राचीन मंदिर में जुटते हैं भक्त

    कल्याणी देवी मोहल्ले में मां कल्याणी का प्राचीन मंदिर स्थित है। पद्म पुराण, मत्स्य पुराण व ब्रह्मवैवर्त पुराण में मंदिर की महिमा का बखान है। वहीं, मीरापुर में यमुना नदी के पास मां ललिता देवी का प्राचीन मंदिर है। मां ललिता की महिमा कई पुराणों में बखानी गई है। मुट्ठीगंज मोहल्ले में मां काली का प्राचीन कालीबाड़ी मंदिर स्थित है। ये तंत्र साधना के जरिए मइया की स्तुति का प्रमुख स्थल है।

    श्रीराम और निषादराज का मिलन स्थल श्रृंग्वेरपुर

    प्रभु श्रीराम व निषादराज की मिलन स्थली श्रृंगवेरपुर धाम का भ्रमण भी किया जा सकता है। प्रयागराज के करीब कौशांबी में मां शीतला का प्राचीन मंदिर कड़ा धाम है, जहां नवरात्र पर दर्शन-पूजन का विशेष महत्व है। वहीं, प्रतापगढ़ के रानीगंज तहसील में सिद्धपीठ मां बाराही का धाम है। सई नदी के तट पर स्थित उक्त धाम का उल्लेख दुर्गा सप्तशती में आता है। प्रतापगढ़ की कुंडा तहसील में मनगढ़ का धाम है। इसे वृंदावन के प्रेम मंदिर की तर्ज पर मनाया गया है। श्रीराधा-कृष्ण को समर्पित विहंगम मंदिर में देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं।

    पर्यटन विभाग की विशेष तैयारी

    धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग ने विशेष तैयारी की है। होटल इलावर्त में 24 घंटे के लिए 2500 से 3500 रुपये में डीलक्स कमरा उपलब्ध कराते हैं। इसमें नाश्ता भी मिलता है। पर्यटकों के आने-जाने के लिए 15 रुपये प्रति किलोमीटर की दर से गाड़ी उपलब्ध कराई जाती है। इसके ड्राइवर को गाइड का प्रशिक्षण दिया गया है, जिससे वो घुमाने के साथ हर जगह की खासियत बताता है।

    84 किमी दूर विंध्याचल

    प्रयागराज से मात्र 84 किलोमीटर पर स्थित है मां विंध्यवासिनी का शक्तिपीठ। नवरात्र में विंध्यवासिनी के दर्शन-पूजन करने वालों का तांता लगा रहता है। प्रयागराज से वहां जाने के लिए बस, ट्रेन की काफी सुविधा है।

    सैलानियों को दिलाते हैं सुविधा : डीपी सिंह

    पर्यटन विभाग के होटल इलावर्त के वरिष्ठ प्रबंधक डीपी सिंह बताते हैं कि चेन्नई, कोलकाता, जयपुर, मुंबई जैसे शहरों से पर्यटक आ रहे हैं। अधिकतर लोगों की इच्छा संगम स्नान की होती है। उन्हें गाड़ी उपलब्ध कराकर संगम स्नान करके किला, लेटे हनुमान मंदिर, आनंद भवन, भरद्वाज पार्क, आनंद भवन, आजाद पार्क, संग्रहालय, खुशरूबाग व कैथिड्रल चर्च घुमाया जाता है। अब श्रृंगवेरपुर, सुजावन देव ले जाने की योजना है। जिन्हें काशी, अयोध्या, चित्रकूट, विंध्याचल जाना होता है उन्हें गाड़ी उपलब्ध कराने के साथ घूमने व रुकने का प्रबंध कराया जाता है।