Prayagraj: तोते के मालिकाना हक को लेकर शंकरगढ़ थाने में बैठी पंचायत, फिर इस तरह हुआ फैसला
उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में एक तोते के मालिकाना हक को लेकर विवाद इतना बढ़ गया की पुलिस थाने में पंचायत बुलानी पड़ गयी। इसके बाद पंचायत के सामने पुलिस न ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, प्रयागराज: उत्तरप्रदेश के प्रयागराज से एक अजीबोगरीब घटना सामने आ रही है। यहां एक तोते के मालिकाना हक को लेकर विवाद इतना बढ़ गया की पुलिस थाने में पंचायत बुलानी पड़ गयी। इस दौरान पिंजरे में कैद तोता शंकरगढ़ थाने में चल रही पंचायत को सुनता रहा, क्योंकि सवाल उसके भविष्य का था। उसे तय करना था कि किसके पास जाना है, मगर वह आजाद नहीं था। बता दें तोते के भाग्य को लेकर थाने में दो घंटे तक चली पंचायत ग्रामीणों के बीच चर्चा का विषय भी बनी रही।
नवंबर 2020 में बूटी से बिछड़ गया था तोता
दरअसल, शंकरगढ़ भडीवार गांव निवासी 16 वर्षीय बूटी ने चार साल पहले तोते के एक बच्चे को पाला था और बड़े प्यार से उसका नाम मिट्ठू रखा था। बूटी ने तोते के लिए अपने घर में ही आशियाना बनाया, उसे बहुत प्यार से खिलाती-पिलाती थी। बड़ा होने पर तोता इतना समझदार हो गया था कि घर के बाहर बाग में अमरूद खाकर लौट आता था। इसके बाद नवंबर 2020 में जब बूटी तोते को कुछ खिला रही थी, तभी कौवों ने झपट्टा मारा तो जान बचाने के लिए तोता उड़ गया और दूसरे मोहल्ले में रहने वाली महिमा के घर में छिप गया। महिमा ने उसे पाया तो पिंजरे में कैद कर लिया।
तीन दिन पहले बूटी को तोते की मिली जानकारी
वहीं तीन दिन पहले बूटी को पता चला तो अपने मिट्ठू को लेने के लिए महिमा के घर पहुंच गई, लेकिन उसने देने से मना कर दिया। रविवार को गांव वालों के कहने पर बूटी ने डायल-112 पर फोन करके पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस दोनों पक्षों को तोता के साथ थाने ले आई। वहां दोनों पक्ष तोते पर अपना हक जताने लगे। दारोगा अमरेंद्र सिंह ने कहा कि तोते को पिंजरे में रखना अपराध और बूटी भी यही चाहती थी कि उसे बाहर निकाला जाए। इसकी मांग भी वह बार-बार कर रही थी।
पुलिस ने इस आधार पर सुनाया फैसला
पुलिस ने जैसे ही पिंजरे से तोते को बाहर निकलवाया वह उड़कर बूटी की हथेली पर बैठ गया और बूटी-बूटी कहने लगा। उसके परिवार के दूसरे सदस्यों का भी नाम लेने लगा। तब पुलिस के साथ ही दोनों पक्ष के लोग उठ गए और पुलिस ने किशोरी के पक्ष में फैसला सुना दिया। मिट्ठू को दो साल बाद फिर से पाकर बूटी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

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