गोद लेकर किन्नराें का व्यक्तित्व निखार रहीं हैं टीना मां, दिला रहीं शासन की योजनाओं का भी लाभ
टीना ने सबको गोद लेकर अपना नाम दिया। किन्नरों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने उन्हें शासन द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ देने के लिए शासन ने सबका पहचान पत्र बनाने का निर्देश दिया। पहचान पत्र के लिए स्वयं का आधार कार्ड पैन कार्ड घर का पता होना आवश्यक है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। जो कभी उपेक्षित थे, आज उनमें समाज की मुख्यधारा से जुड़ने की इच्छा हिलोर मार रही है। मांगने, नाचने गाने के बजाय उनमें स्वयं की पहचान बनाने की ललक है। यहां बात हो रही है किन्नरों की। कोई शास्त्रीय नृत्य सीख रहा है, कोई संस्कृत पढ़ने में लीन हैं। उन्हें सहारा मिला है उत्तर प्रदेश किन्नर कल्याण बोर्ड की सदस्य व किन्नर अखाड़ा की प्रदेश प्रभारी महामंडलेश्वर कौशल्यानंद गिरि (टीना मां) का।
सनातन धर्म से जोड़ने के साथ व्यक्तित्व को भी रहीं निखार
टीना मतांतरण करने वाले किन्नरों को सनातन धर्म से जोड़ रही हैं। साथ ही उनके व्यक्तित्व को निखारने में लगी हैं। मौजूदा समय इनसे सौ से अधिक किन्नर जुड़े हैं। इसमें 50 किन्नरों को गोद लेकर परवरिश कर रही हैं। सभी उन्हें मां कहकर पुकारते हैं।
गोद लेकर दिया सबको अपना नाम
टीना ने सबको गोद लेकर अपना नाम दिया है। किन्नरों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने, उन्हें शासन द्वारा संचालित योजनाओं का लाभ देने के लिए शासन ने सबका पहचान पत्र बनाने का निर्देश दिया। पहचान पत्र के लिए स्वयं का आधार कार्ड, पैन कार्ड, घर का पता होना आवश्यक है।
बैरहना मोहल्ला के इंद्रपुरी में कौशल्यानंद का मकान है। उन्होंने अपना पहचान पत्र बनवाने के बाद दूसरे किन्नरों को वैसा करने के लिए प्रेरित किया। जब जरूरी दस्तावेज न हाेने की समस्या आयी तो कौशल्यानंद ने सबको गोद लेकर अपना नाम, पता दिया, फिर उसी के आधार पर पहचान पत्र बनना शुरू हुआ। अभी तक 25 किन्नरों का पहचान पत्र बन चुका है।
हर जनपद में चल रही है मुहिम
कौशलयानंद गिरि का कहना है कि किन्नरों का पहचान पत्र बनाने की मुहिम हर जिला में चल रही है। इसमें हर जिला के प्रभावशाली किन्नरों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। वे स्वयं प्रतिदिन सुबह व शाम को सबके साथ वर्चुअल मीटिंग करके सारी स्थिति की जानकारी लेती हैं। कहा कि प्रदेश में जिस किन्नर का कोई नहीं है वे उसे गोद लेकर अपना नाम व पता देने के लिए तैयार हैं।
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