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    Prayagraj Magh Mela: वीरान हुआ मेला क्षेत्र, चकर्ड प्‍लेटों की सड़कें श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रहेंगी

    Prayagraj Magh Mela गंगा नदी पर बने पांचों पांटून पुल अभी नहीं हटाए जाएंगे। हफ्ते भर बाद पांटून पुल भी खोले जाएंगे। इस बार संगम नोज और संगम अपर मार्ग पर बनी चकर्ड प्लेट की सड़के नहीं उखाड़ी जाएगी। बाढ़ के दिनों को छोड़कर सामान्य दिनों में मेला लगा रहेगा।

    By Brijesh SrivastavaEdited By: Updated: Fri, 12 Mar 2021 10:38 AM (IST)
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    महाशिवरात्रि स्‍नान पर्व के साथ ही प्रयागराज माघ मेले का समापन हो चुका है।

    जेएनएन, प्रयागराज। करीब दो महीने तक प्रयागराज में गंगा नदी के दोनों किनारे पर बसाए गए माघ मेला क्षेत्र की रौनक खत्‍म हो गई है। महाशिवरात्रि स्‍नान पर्व के साथ ही माघ मेले का समापन हो गया है। हालांकि चकर्ड प्‍लेटों की सड़कें श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए रहेंगी। वहीं गंगा नदी पर बने पांटून पुल भी अभी नहीं हटेंगे। पांटून पुल अभी कुछ दिन रहेंगे।

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    गंगा नदी पर बने पांचों पांटून पुल अभी नहीं हटाए जाएंगे। क्योंकि जल निगम, बिजली विभाग और पीडब्ल्यूडी को उस पार से सामान लाना है। हफ्ते भर बाद पांटून पुल भी खोले जाएंगे। इस बार संगम नोज और संगम अपर मार्ग पर बनी चकर्ड प्लेट की सड़के नहीं उखाड़ी जाएगी। यहां पर बाढ़ के दिनों को छोड़कर सामान्य दिनों में मेला लगा रहेगा।

    महाशिवरात्रि स्‍नान पर्व के साथ ही माघ मेले का समापन

    गुरुवार को माघ मेले का आखिरी स्नान पर्व महाशिवरात्रि था। इस स्नान पर्व के बाद अब मेला क्षेत्र वीरान हो गया है। अब वैसी भीड़ अगले साल होगी। वहां से सामान समेटने का काम जारी है। मेला समाप्त होने के बाद चारों तरफ गंदगी फैली है, इस गंदगी को गंगा की रेत में दबा दिया जाएगा।

    कोरोना संक्रमण के दौर में आनन-फानन में माघ मेले की हुई थी तैयारी

    कोरोना वायरस के संक्रमण काल में इस बार माघ मेले का आयोजन आनन-फानन में हुआ था। प्रशासन पहले तो मेला ही नहीं कराना चाह रहा था लेकिन बाद में कराया और फिर भव्य हो गया। इस दो महीने में लाखों लोगों ने संगम स्नान कर लिया। हर साल मेले का आयोजन सितंबर, अक्टूबर से शुरू हो जाता था। वहीं इस माघ मेले का आयोजन काफी देर से हुआ।

    एक माह में चकर्ड प्‍लेटों की सड़कें और पांटून पुल बने

    नवंबर तक असमंजस बरकरार था। नवंबर के आखिरी हफ्ते में मेले का स्वरूप तय हुआ तो दिसंबर से मेले के लिए निर्माण कार्य शुरू हुए। बिजली, सड़क, पानी, शौचालय आदि मुहैया कराने वाली निर्माण एजेंसियों को भी नहीं लग रहा था की महीने भर में मेला कैसे तैयार हो जाएगा। हालांकि सभी विभागों ने इस काम में अपनी पूरी ताकत झोंक दी। हर साल करीब दो से तीन महीने में तैयार होने वाला पुल और चकर्ड प्लेट की सड़क इस बार एक महीने से कम समय में भी तैयार की गई। कम समय में काम किया गया। कोई हादसा भी नहीं हुआ और पूरा मेला सकुशल गुजर गया।

    सरकारी विभाग समेट रहे सामान

    लोक निर्माण विभाग की टीम इस बार रात दिन लगकर इस काम को समय से पूरा किया। ऐसे ही बिजली और पानी सप्लाई के काम बहुत कम समय में पूरा किया गया। फिलहाल मेला सकुशल संपन्‍न हो गया तो अब बिजली के खंभे, पानी की पाइप लाइन और चकर्ड प्लेट की सड़कें समेटने काम चल रहा है। गंगा नदी के झूंसी की तरफ से इलाके के सभी टेंट उखाड़े जा चुके हैं। उधर पानी के लिए बिछाई के पाइप लाइन उखाड़कर जल निगम के स्टोर में रखने का काम चल रहा है।