Prayagraj Flood: 2013 की बाढ़ का रिकार्ड तोड़ सकती हैं Ganga-Yamuna, देखें जलस्तर के आंकड़े
Prayagraj Flood गंगा-यमुना की बाढ़ से अब तक प्रयागराज में साढ़े 3 लाख से ज्यादा की आबादी प्रभावित हो चुकी है। दोनों नदियों का लगातार जलस्तर लगातार बढ ...और पढ़ें

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रयागराज में खतरे के निशान से लगभग डेढ़ मीटर ऊपर बह रहीं गंगा-यमुना वर्ष 2013 की बाढ़ का रिकार्ड तोडऩे की ओर बढऩे लगी हैं। 2013 में दोनों नदियों का जलस्तर 86.06 मीटर पर पहुंच गया था। इसके पहले 1978 में बाढ़ का रिकार्ड आज तक बरकरार है। आइए जानें 1978, 2013 और वर्तमान समय में 28 अगस्त की दोपहर दो बजे तक गंगा-यमुना का जलस्तर कहां तक पहुंचा है।
गंगा-यमुना का जलस्तर खतरे के निशान से डेढ़ मीटर ऊपर, लगातार बढ़ रहा जलस्तर : गंगा-यमुना की बाढ़ से अब तक प्रयागराज में साढ़े तीन लाख से ज्यादा की आबादी प्रभावित हो गई है। रविवार को भी दोनों नदियों का लगातार जलस्तर बढ़ रहा है। लगभग 42 मोहल्ले और 123 गांव बाढ़ के पानी से घिर गए हैैं। हालात भयावह होने लगे हैैं। दोनों नदियां गांव से लेकर शहर तक तबाही मचाने लगी हैैं।
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1978 में प्रयागराज में क्या था गंगा-यमुना का जलस्तर (खतरे का निशान 84.73 मीटर)
फाफामऊ में गंगा नदी का जलस्तर- 87.98 मीटर
छतनाग में गंगा नदी- 88.03 मीटर
नैनी में यमुना नदी- 87.99 मीटर।
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2013 में गंगा-यमुना का जलस्तर
वर्ष 2013 में भी प्रयागराज में भीषण बाढ़ आई थी। उस समय गंगा और यमुना नदियों का जलस्तर 86.06 मीटर पर पहुंच गया था।

28 अगस्त की दोपहर 12 बजे गंगा-यमुना का जलस्तर (खतरे का निशान 84.73 मीटर)
फाफामऊ में गंगा नदी का जलस्तर- 85.75 मीटर, पिछले 2 घंटे में 2 सेमी जलस्तर बढ़ा
छतनाग में गंगा नदी- 84.97 मीटर- पिछले 2 घंटे में 4 सेमी जलस्तर बढ़ा
नैनी में यमुना नदी- 85.70 मीटर, पिछले 2 घंटे में 2 सेमी जलस्तर बढ़ा।
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कई राज्यों से आ रहा पानी का सैलाब : मप्र, राजस्थान, हरियाणा और उत्तराखंड से पानी का सैलाब गंगा-यमुना नदियों में आ रहा है। अभी सोमवार तक 33 लाख क्यूसेक पानी आने की आशंका जताई जा रही है। बाढ़ से 48 हजार लोग बेघर हो गए हैैं। अब तक 9 हजार से ज्यादा लोग, राहत शिविरों में शरण ले चुके हैैं। गंगा और यमुना किनारे बसे मोहल्लों में हालात बिगड़ चुके हैैं। तटीय क्षेत्रों में स्थित घरों में अब भी हजारों की तादाद में लोग फंसे हैैं। राहत शिविरों में शरणार्थियों की संख्या बढ़ती जारही है जिससे इंतजाम घटते जा रहे हैैं।
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क्षमता से अधिक लोग बाढ़ राहत शिविरों में हैं : अभी तक 20 बाढ़ राहत शिविर संचालित किए जा चुके हैैं। हर शिविर में क्षमता से ज्यादा शरणार्थी पहुंच चुके हैैं। इसके कारण इंतजाम कम पडऩे लगा है। खासतौर पर रहने के लिए बिस्तर की कमी, शौचालय के लिए कतार लगानी पड़ रही है। समय से न नाश्ता और न ही भोजन मिल पा रहा है। छोटे बच्चों को दूध तक मिलना मुश्किल हो गया है।

रात बाइक से घर पहुंचे, सुबह गली चलती मिली नाव : रात को सोए तो यमुना का पानी घर से काफी दूर था।सुबह आंख खुली तो गली में घुटनों तक पानी भरा था। काफी तेजी से पानी चढ़ रहा है और लोगों ने छतों पर जरूरी सामान रखना शुरू कर दिया है। जिन गलियों में बाइकें दौड़ती थीं, वहां अब नावें चल रही हैं। यह दृश्य करेलाबाग के एैनुद्दीनपुर और हड्डी गोदाम के आसपास की 20 से अधिक यमुना के तटीय मोहल्लों का है। पानी धीरे-धीरे सड़कों पर फैल रहा है।
पुराने यमुना पुल के नीचे का रास्ता बंद : यमुना नदी के उफनाने से पुराने यमुना पुल के नीचे का रास्ता जलमग्न हो गया। इधर से आवागमन बंद कर दिया गया है। बैरीकेडिंग लगाने के साथ ही पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया है। वहीं, पुल के नीचे झोपड़ी में रहने वालों को वहां से हटाया जा रहा है।
छात्रों के लिए खाने, ठहरने की कराई व्यवस्था : गंगा-यमुना नदियों का जलस्तर बढ़ने के कारण बड़ी संख्या में लोग बेघर हो गए हैं। वहीं, दूसरे जनपदों और राज्यों से यहां पढ़ाई करने आए छात्रों के सामने भी बड़ा संकट खड़ा हो गया है। सिर छिपाने के लिए उनके पास जगह नहीं है। ऐसे में शुक्ला मार्केट के पास कोचिंग चलाने वाले राजस्थान निवासी डा. अशोक स्वामी उनकी मदद को आगे आए हैं। बाढ़ प्रभावित छात्रों के ठहरने और भोजन की व्यवस्था निश्शुल्क की है। जिस मकान में उनकी कोचिंग चलती है, वहां के मकान मालिक से तीन हाल और लिए हैं। मकान मालिक ने भी निश्शुल्क तीनों हाल दे दिया है। डा. अशोक स्वामी का कहना है कि अब तक 78 छात्र यहां आ चुके हैं। इनके भोजन की व्यवस्था कोचिंग में काम करने वाली महिमा सिंह, कंचन, गुड्डू यादव आदि कर रहे हैं।

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