Prayagraj Coronavirus News: भर्ती और मौत कोविड वार्ड में, डेथ सर्टिफिकेट में वजह नहीं, परेशान हो रहे आश्रित
भर्ती करते समय पर्चे पर कोविड पॉजिटिव लिखा गया और मृत्यु की वजह कार्डियक पल्मोनरी अरेस्ट बताई गई। डेथ सर्टिफिकेट में कारण ही नहीं लिखा गया। 15 अप्रैल की रात में ही जय प्रकाश की मां सत्या देवी की भी कोविड वार्ड में मृत्यु हुई थी।
प्रयागराज, अमरदीप भट्ट। कोरोना से जान गंवाने वालों के स्वजन की त्रासदी अंतहीन है। कोविड वार्ड के बेड पर संक्रमितों की जान निकली, नियत प्रोटोकाल के अनुरूप अंतिम संस्कार हुआ। इस दौरान स्वास्थ्य कर्मी पीपीई किट पहने रहे लेकिन उनके घर वालों को जो डेथ सर्टिफिकेट मिले, उसमें कहीं कोरोना का उल्लेख नहीं है। ज्यादातर डेथ सर्टिफिकेट में बस यही है कि कार्डियक पल्मोनरी अरेस्ट यानी हार्ट अटैक।
प्रयागराज में लूकरगंज निवासी जय प्रकाश मध्यान्ह (49) ने 16 अप्रैल को एसआरएन कोविड हास्पिटल में दम तोड़ा था। पैकिंग कर जो शव मिला उस पर चस्पा स्लिप में स्पष्ट लिखा है कोविड पाजिटिव। उनके मृत्यु प्रमाण की गाथा सिस्टम को कठघरे में खड़ा करती है। भाई हरीश मध्यान्ह के अनुसार 15 अप्रैल की रात भर्ती कराया गया था। भर्ती करते समय पर्चे पर कोविड पॉजिटिव लिखा गया और मृत्यु की वजह कार्डियक पल्मोनरी अरेस्ट बताई गई। डेथ सर्टिफिकेट में कारण ही नहीं लिखा गया। 15 अप्रैल की रात में ही जय प्रकाश की मां सत्या देवी की भी कोविड वार्ड में मृत्यु हुई थी। भर्ती के समय आरटीपीसीआर रिपोर्ट पॉजिटिव थी परंतु मृत्यु प्रमाण पत्र में कोरोना नहीं है।
प्रतापगढ़ के संग्रामगढ़ थानांतर्गत पूरे कुंदन फतेहशाह गांव निवासी देवकांत (32) को कोरोना पॉजिटिव होने पर 17 अप्रैल को जिला अस्पताल से एसआरएन रेफर कर दिया गया था। उनकी रिपोर्ट 23 अप्रैल को निगेटिव आई तो उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। देवकांत की तबियत 25 अप्रैल को फिर बिगड़ी तो एसआरएन ले जाया गया जहां 26 अप्रैल को मौत हो गई। देवकांत के भाई प्रदीप कुमार कहते हैैं कि मृत्यु प्रमाण पत्र पर मौत का कारण कोविड नहीं लिखा है।
प्रयागराज में झूंसी के हवेलिया निवासी निखिल श्रीवास्तव ने 14 अप्रैल को मां सुमन लता को एसआरएन में भर्ती कराया। कोविड जांच रिपोर्ट पॉजिटिव रही इसलिए वार्ड 14 में भर्ती कर ली गई। यहां15 अप्रैल को मौत हो गई। अंतिम संस्कार कोविड प्रोटोकाल के तहत हुआ। मैनुअल मृत्यु प्रमाण पत्र एसआरएन में ही जमा करा लिया। निखिल ने 10 दिन बाद पोर्टल से जो प्रमाण पत्र डाउनलोड किया उसमें मौत का कारण नहीं लिखा है।
मृत्यु प्रमाणपत्र में स्पष्ट तौर पर मौत की वजह कोरोना नहीं
ऐसे कई मामले हैैं जिसमें मृत्यु प्रमाणपत्र में स्पष्ट तौर पर कोरोना वजह नहीं है। बड़ा सवाल यह है कि ऐसे में पीडि़त परिवार सरकारी सहायता का लाभ कैसे पाएंगे? वैसे प्रतापगढ़ के सीएमओ डा. एके श्रीवास्तव कहते हैैं कि जिले में कोविड लेवल टू अस्पताल में अप्रैल और मई 2021 में 68 मौतें हुईं। डेथ सर्टिफिकेट में मौत की वजह कोविड उल्लेखित है। कौशांबी में दूसरी लहर में 40 लोगों ने जान गंवाई। यहां भी मुख्य चिकित्साधिकारी डा. पीएन चतुर्वेदी का कहना है कि संबंधितों के डेथ सर्टिफिकेट में कोविड ही वजह बताई गई है। डाक्टरों का कहना है कि पेच इस बात पर फंस रहा है कि कई लोगों की रिपोर्ट इलाज के दौरान निगेटिव आ गई थी। सवाल यहीं उठता है कि जब शुरुआत कोरोना से हुई और बाद में शरीर के अन्य अंगों पर उसका दुष्प्रभाव जानलेवा हुआ तो कोरोना क्यों नहीं लिखा जा रहा है। हालांकि राज्य सरकार ने पंचायत चुनाव के दौरान मरने वाले कर्मचारियों, शिक्षकों के लिए यह मान लिया है कि जिनकी रिपोर्ट बाद में निगेटिव भी रही है, और उनकी मौत हुई, वह कोरोना पीडि़त के रूप में मुआवजे के हकदार होंगे। अब यही बात सब मामलों में कब लागू होगी, यह सिस्टम को तय करना होगा।
सीएमओ बोले, विशेषज्ञ तय करते हैं मौत की वजह
सीएमओ प्रयागराज डॉ प्रभाकर राय ने बताया कि मौत किन वजहों से हुई, यह चिकित्सा के संबंधित विशेषज्ञ तय करते हैैं। हम लोग तो सरकारी की गाइड लाइन ही फालो करते हैैं। यदि सरकार इसमें कुछ बदलाव करती है तो उसका पालन किया जाएगा।
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