Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    पहले कैनिंग टाउन के नाम से जाना जाता था Prayagraj का सिविल लाइंस, भारत के पहले वायसराय कैनिंग के नाम पर बसाया गया था

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Sun, 31 Jan 2021 02:00 PM (IST)

    तीन प्रमुख इलाकों में सिविल लाइंस भी शुमार है। दो अन्य प्रमुख क्षेत्र चौक एवं कटरा हैं। सिविल लाइंस शहर का बड़ा आर्थिक केंद्र है। यह मोहल्ला पहले कैनिंग टाउन (कैनिंगगटन) के नाम से जाना जाता था। वायसराय चार्ल्स कैनिंग के नाम पर इस मोहल्ले को बसाया गया था।

    Hero Image
    भारत के पहले वायसराय चार्ल्स कैनिंग के नाम पर इस मोहल्ले को बसाया गया था।

    प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज शहर के तीन प्रमुख इलाकों में सिविल लाइंस भी शुमार है। दो अन्य प्रमुख क्षेत्र चौक एवं कटरा हैं। सिविल लाइंस शहर का बड़ा आर्थिक केंद्र है। ब्रिटिश काल में बसा यह मोहल्ला पहले कैनिंग टाउन (कैनिंगगटन) के नाम से जाना जाता था। भारत के पहले वायसराय चार्ल्स कैनिंग के नाम पर इस मोहल्ले को बसाया गया था। उस समय के कमिश्नर थार्नहिल के प्रबंधन में इस इलाके की डिजाइन बनायी गई थी। यह इलाका ग्रिड आयरन रोड पद्धति पर बसा है। इसके तहत सड़के व गलियां आपस में समकोण पर मिलती है। बड़ी व चौड़ी सड़कों पर वर्गाकार व आयताकार चौक बने हुए हैं। इसके अतिरिक्त कर्ण रेखीय सड़के भी इसकी विशेषता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें


    किसी गांव सरीखा था सिविल लाइन इलाका

    इतिहासकार प्रो.विमल चंद शुक्ल बताते हैं कि सिविल लाइन आजादी के पहले एक गांव सरीखा एवं पिछड़ा इलाका था। 1858 में इसका विकास शुरू हुआ था। उस समय इसे कैनिंग टाउन (कैनिंगटन) कहा जाता था। इस इलाके के सौंदर्यीकरण में तब 17 साल लग गए थे। उस समय के कमिश्नर थार्नहिल के नेतृत्व में यह इलाका बसाया गया था। सिविल लाइंस में एक सड़क थार्नहिल के नाम पर भी थी। हालांकि अब इसका नाम दयानंद मार्ग हो गया है। भारत के पहले वायसराय चार्ल्स जॉन कैनिंग के नाम पर इस इलाके का नामकरण किया गया था। कैनिंग का गवर्नर के रूप में कार्यकाल 1856 से 1862 तक रहा था। हालांकि उसी के समय गवर्नर आफ इंडिया 1858 एक्ट पास हुआ था। जिसके तहत गवर्नर जनरल आफ इंडिया को ही वायसराय घोषित किया गया था। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश ताज को हस्तांरित करने के बाद भारत सरकार के पुनर्गठन की कार्रवाई लार्ड कैनिंग के समय ही हुई थी। प्रो.शुक्ल बताते हैं कि 1857 के विद्रोह के समय कैनिंग ही भारत का गवर्नर जनरल था। बाद में कैनिंग टाउन का नाम सिविल लाइन पड़ गया। यह नाम भी अंग्रेजों ने दिया था।

    अंग्रेजों ने सैर के लिए बनाया था अल्फ्रेड पार्क

    पहले अंग्रेजों की आबादी किले के पश्चिम यमुना के किनारे पर रहती थी। उसी दौरान कर्नलगंज के पूर्व और उत्तर में सिविल स्टेशन बना। तत्कालीन कमिश्नर थार्नहिल ने सिविल स्टेशन के एक बस्ती भी बनाई। डेढ़ मील लंबा और इतना ही चौड़ा इलाका अंग्रेजों के रहने के लिए आवासीय बनाया गया। इस बस्ती को बहुत सुंदर बसाया गया। पास ही अंग्रेजों की सैर के लिए अल्फ्रेड पार्क की स्थापना की गई। जिसका नाम अब चंद्रशेखर आजाद पार्क हो गया है। गदर के समय यहां के कई गांव वालों ने विद्रोहियों का साथ दिया था। अंग्रेजों ने इन गांव को तहसनहस करके यहां अल्फ्रेड पार्क बना दिया था। इसी इलाके में प्रधान शैक्षिक संस्थान, महालेखाकार कार्यालय, पुलिस मुख्यालय, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग, राजस्व परिषद, इलाहाबाद हाईकोर्ट, छावनी क्षेत्र है। आधुनिक शॉपिंग माल और मल्टीप्लेक्स बने हैं।