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    पुलिस के गले की फांस बना अलकमा हत्याकांड

    By JagranEdited By:
    Updated: Thu, 09 Aug 2018 11:32 AM (IST)

    धूमनगंज का अलकमा-सुरजीत हत्याकांड का अभी तक पुलिस खुलासा नहीं कर सकी है। अदालत ने एसएसपी को आदेश दिया है। ...और पढ़ें

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    पुलिस के गले की फांस बना अलकमा हत्याकांड

    जागरण संवाददाता, इलाहाबाद : धूमनगंज का बहुचर्चित अलकमा-सुरजीत हत्याकांड पुलिस के गले की फांस बन गया है। पुलिस ने दो साल से फरार हत्यारोपियों की न तो गिरफ्तारी की न ही कुर्की जबकि मामले में कई बार पुलिस अफसर तलब हो चुके हैं। अब अदालत ने एसएसपी को तत्काल गिरफ्तारी का आदेश दिया है। यह मामला पूर्व सांसद अतीक अहमद के करीबियों से जुड़ा है। मामले में पुलिस ने पुराने आरोपियों के नाम निकाल नए के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की है। ऐसे में अदालत पहले की चार्जशीट पर कार्रवाई का निर्देश दे रही है। यह मामला लगातार पुलिस की किरकिरी करा रहा है।

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    25 सितंबर 2015 को धूमनगंज में आबिद प्रधान की बहन अलकमा और उसके ड्राइवर सुरजीत को गोलियों से भून दिया गया था। मामले में साबिर, वसी, मकसूद, इंतखाब, तौसीफ, कम्मू और जाबिर के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। सभी पर चार्जशीट फ्रेम हो गई। इसमें से कई अतीक अहमद के करीबी कहलाते हैं। आबिद प्रधान भी अतीक का करीबी रहा है। अब अदालत से कई आरोपितों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी हुआ। पुलिस ने पुर्नविवेचना कर सभी आरोपितों का नाम निकाल दिया। मामले में नए आबिद प्रधान समेत नए आरोपितों पर चार्जशीट दाखिल हो गई। पुलिस अपनी कार्रवाई करती रही और अदालत पुराने आरोपितों के घर की कुर्की आदि जारी करने का आदेश देती रही। अब अदालत ने एसएसपी को आदेश दिया है कि आरोपितों की तत्काल गिरफ्तारी कराएं। दो साल से कार्रवाई क्यों नहीं की गई यह स्पष्ट करें।

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    हाईकोर्ट ने भी खारिज की याचिका

    -बहुचर्चित अलकमा-सुरजीत हत्याकांड हाईकोर्ट भी पहुंचा है। पुराने आरोपितों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल किया कि नए आरोपितों पर चार्जशीट फ्रेम हुई है, ऐसे में पुराने आरोपितों की चार्जशीट खत्म की जाए। हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा है कि इसके लिए ट्रायल कोर्ट में ही जाएं।

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    दुश्मन दुश्मन मिले, लखनऊ तक गूंजा मामला

    इस हत्याकांड के आरोपित पूर्व सांसद अतीक अहमद के करीबी दो गुटों के लोग हैं। पुराने आरोपितों को बचाने, नए आरोपितों का नाम शामिल करने का यह मामला लखनऊ तक गूंजा था। मामले ने राजनीतिक रंग भी लिया था।