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    प्रयागराज में वायु प्रदूषण कम करने को जापानी विधि से होगा पौधरोपण, क्‍या है मियावाकी तकनीक

    By Brijesh SrivastavaEdited By:
    Updated: Sat, 18 Jun 2022 11:11 AM (IST)

    प्रयागराज शहर में वायु प्रदूषण कम करने के लिए नगर निगम अब विदेशी तकनीक से पौधारोपण कराएगा। जापान के मियावाकी पद्धति से शहर में 10 स्थानों पर पौधरोपण जुलाई से करने की तैयारी है। दो हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में 90 हजार से अधिक पौधों को लगाएगा।

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    प्रयागराज नगर निगम जापानी मियावाकी तकनीक से वायु प्रदूषण रोकने के लिए 10 स्थानों पर पौधारोपण कराएगा।

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता। बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर हर ओर लोग परेशान हैं। देश ही नहीं, विश्‍व के वैज्ञानिक भी प्रदूषण को कम करने के लिए प्रयासरत हैं। शोध भी हो रहे हैं। प्रदूषण की समस्‍या से प्रयागराज भी पीडि़त है। बढ़ते शहरीकरण की वजह से पेड़-पौधे भी काटे जा रहे हैं, इससे समस्‍या बढ़ गई है। लोगों को शुद्ध हवा मिल सके, इसके लिए प्रयागराज नगर निगम ने तैयारी कर ली है।

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    जुलाई में 10 स्‍थानों पर होगा पौधारोपण : प्रयागराज शहर में वायु प्रदूषण कम करने के लिए नगर निगम अब विदेशी तकनीक से पौधारोपण कराएगा। जापान के मियावाकी पद्धति से शहर में 10 स्थानों पर पौधरोपण जुलाई से करने की तैयारी है। दो हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में 90 हजार से अधिक पौधों को लगाएगा।

    तीन करोड़ का नगर निगम पर आएगा खर्च : जापान के मियावाकी पद्धति से पौधारोपण करने पर तीन करोड़ रुपये से अधिक का खर्च आएगा। इस विधि से पौधा रोपने से वायु प्रदूषण को रोका जा सकता है, ऐसा कहा जा रहा है।

    इन स्‍थानों पर लगाया जाएगा पौधा : नगर निगम के पर्यावरण अभियंता उत्तम वर्मा ने बताया कि झूंसी के मनिका, नीम सराय, जहांगीराबाद में तीन स्थानों पर जापानी पद्धति ,देवप्रयागम झलवा में तीन स्थान पर और ट्रांसपोर्ट नगर में दो स्थान पर मियावाकी पद्धति से पौधरोपण किया जाएगा।

    क्‍या है जापानी मियावाकी पद्धति : जापान के वनस्पति वैज्ञानिक डा. अकीरा मियावाकी ने इस पद्धति को तैयार की है। इसीलिए मियावाकी पद्धति नाम दिया गया है। इस पद्धति से लगाए गए पौधों की वृद्धि 10 गुना तेजी से होती है। सामान्य स्थिति से 30 गुना ज्यादा सघन क्षेत्र में लगाया जाता है। इसके माध्यम से बहुत कम समय में जंगलों को घने जंगलों में परिवर्तित किया जा सकता है। इस पद्धति से जहां पौधा लगाया जाता है वहां पर पहले तीन मीटर तक गड्ढ़ा खोदा जाता है। उसके बाद उसमें मिट्टी, भूंसी,गोबर,पेड़ों की पत्ती डालकर भर दिया जाता। कुछ समय बाद पौध रोपा जाता है।