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    बड़ी चूक, साहित्यकार की जीवनी में गायत्री परिवार के संस्थापक का लगा दिया चित्र, यूपी बोर्ड ने पल्‍ला झाड़ा

    अग्रवाल ग्रुप आफ पब्लिकेशन की ओर से प्रकाशित यूपी बोर्ड की कक्षा नौ की हिंदी की किताब के पांचवे अध्याय स्मृति में पंडित श्रीराम शर्मा की जीवनी प्रकाशित की गई है। इसमें साहित्यकार के परिचय के साथ आजीविका के लिए लेखन-पत्रकारिता जैसी बातें मुद्रित हैं।

    By Brijesh SrivastavaEdited By: Updated: Sun, 10 Jul 2022 12:21 PM (IST)
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    साहित्यकार की जीवनी में गायत्री परिवार के संस्थापक का चित्र लगा। अब बोर्ड इससे पल्‍ला झाड़ रहा है।

    प्रयागराज, [अमलेंदु त्रिपाठी]। यूपी बोर्ड की नवीं कक्षा की किताब में साहित्यकार पं. श्रीराम शर्मा की जीवनी में गायत्री परिवार के संस्थापक का चित्र प्रकाशित कर दिया गया है। गलती स्वीकार कर सुधारने के बजाय अब जिम्मेदार मुंह छिपा रहे हैं। लेखक प्रकाशक की गलती बता रहे हैं और बोर्ड निजी प्रकाशक की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ रहा है। किताब बाजार में बिक रही है और विद्यार्थी फिलहाल गलत ही पढ़ रहे हैं। ऐसी ही गलती उत्तराखंड में भी हुई है। हिंदी और शिक्षा के प्रति लापरवाही से अभिभावकों के साथ गायत्री परिवार और साहित्यकार दोनों के अनुयायी भी आहत हैं।

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    कक्षा नौ की हिंदी किताब में पंडित श्रीराम शर्मा की जीवनी प्रकाशित है : अग्रवाल ग्रुप आफ पब्लिकेशन की ओर से प्रकाशित कक्षा नौ की हिंदी की किताब के पांचवे अध्याय 'स्मृति' में पंडित श्रीराम शर्मा की जीवनी प्रकाशित की गई है। इसमें साहित्यकार के परिचय के साथ आजीविका के लिए लेखन-पत्रकारिता जैसी बातें मुद्रित हैं। पृष्ठ संख्या 55 पर प्रकाशित अध्याय पांच में सबसे ऊपर ही अखिल विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य (शांति कुंज हरिद्वार) का आशीर्वाद मुद्रा वाला चित्र प्रकाशित है। फिर स्मरणीय तथ्य शीर्षक वाले बाक्स पर नजर पड़ते ही विद्यार्थी ही नहीं, शिक्षक भी चकरा जाते हैं। इसमें जन्मतिथि, जन्मस्थान गलत है। यानी चित्र और जीवनी एक दूसरे से मेल नहीं खा रहे हैं। इस संबंध में शांति कुंज हरिद्वार से जुड़े लोगों ने बताया कि आचार्य ने तो कभी पत्रकारिता नहीं की थी, उनका अध्यात्म से ही नाता रहा है।

    दैनिक जागरण की पड़ताल : दैनिक जागरण की पड़ताल में पता चला कि यह पाठ मैनपुरी निवासी साहित्यकार पं. श्रीराम शर्मा के जीवन पर केंद्रित है। उनके पौत्र सुनयन शर्मा कहते हैं कि पुस्तक में दर्शाई गई जानकारी मैनपुरी में जन्मे साहित्यकार पं. श्रीराम शर्मा की ही है। उनका जन्म शिकोहाबाद तहसील के गांव किरथरा में हुआ था। उस समय शिकोहाबाद तहसील, मैनपुरी जिला में थी। बताया कि पिता जी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थे।

    लेखक डा. राम प्रभाकर का कहना है कि मुझे प्रकाशित चित्र के बारे में कोई जानकारी नहीं है। मैंने केवल प्रकाशक द्वारा उपलब्ध कराई गई सामग्री का प्रूफ देखकर उन्हें वापस कर दिया था। फोटो को लेकर त्रुटि किस स्तर से हुई मुझे पता नहीं है।

    प्रकाशक ने नहीं की बात, बोर्ड ने बताया छोटी सी भूल : डा. राम प्रभाकर धर द्विवेदी (गोरखपुर) तथा रमेशचंद्र (अंबेडकरनगर) द्वारा संयुक्त रूप से लिखित कुल 292 पेज वाली 149 रुपये कीमत की इस पुस्तक को छापने के दौरान गलती किस स्तर पर हुई, यह साफ नहीं हो पा रहा है। प्रकाशक से उनका पक्ष जानने की लिए कई बार टेलीफोनिक संवाद करने की कोशिश की गई। फोन उठाने वाले ने जिम्मेदार से बात कराने का आश्वासन तो दिया, लेकिन बात नहीं कराई।

    क्‍या कहते हैं शांति कुंज हरिद्वार से जुड़े योगाचार्य धर्मचंद्र : शांति कुंज हरिद्वार से जुड़े बाबूगंज (प्रयागराज) निवासी योगाचार्य धर्मचंद्र कहते हैं कि इसे छोटी सी भूल बता कर पर्दा नहीं डालना चाहिए। जिन हाथों में किताब है, वह क्या पढ़ेंगे? किताब वापस ली जानी चाहिए। गायत्री शक्तिपीठ मीरापुर के मुख्य ट्रस्टी रामआसरे यादव बताते हैं कि ऐसी ही भूल उत्तराखंड में भी हुई है। वहां आश्रम के लोगों ने शिक्षा विभाग से वार्ता कर ली है, यहां भी बात करेंगे। माध्यमिक शिक्षा के शोध विभाग से जुड़े एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर इतना ही कहा कि बोर्ड का इस प्रकरण से सीधे कोई वास्ता नहीं है। यह निजी प्रकाशकों की छोटी सी भूल है, इसे ठीक करने के लिए निर्देशित किया जाएगा।