Physics Wallah: ट्यूशन मास्टर से अरबपति बने अलख पांडेय की मां बोलीं- सपने सरीखी है ये सफलता
दिल्ली में बेटे संग रह रहीं रजत पांडेय इन दिनों बेटे की उपलब्धियों की बधाई बटोरते हुए फूले नहीं समां रही हैं। कभी वह अलख की बचपन की यादों में खो जाती हैं तो उसके किशोरवय की शरारतों के किस्से सुनाती हैं। कहती हैं कि अलख हद तक जूनूनी था।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। कल तक जो बेटा छोटी-मोटी हरकतों में लगा था, आज उसने बुलंदियों को छू लिया। विश्वास ही नहीं होता है कि यह वहीं अलख है जो आम बच्चों की तरह खेलकूद या दूसरे बच्चों के साथ शैतानी में लगा रहता था। शुरू की कक्षाओं में पढ़ाई में भी कुछ खास बात नहीं थी, लेकिन बोर्ड की परीक्षाओं के दौरान जो गंभीरता आई उसने जीवन को बदलकर रख दिया। धीरे-धीरे किताबों से रिश्ता गहरा होता गया। एक समय ऐसा भी आया उसके आसपास के दर्जनों बच्चे पढ़ने के लिए जुटने लगे। यह बात देश की 101वीं यूनिकार्न कंपनी फिजिक्स वाला के मालिक प्रयागराज के मूल निवासी अलख पांडेय की मां रजत पांडेय ने दैनिक जागरण से गूगल मीट पर खास बातचीत में बताईं। वह मौजूदा समय में दिल्ली में हैं।
बचपन से जुनूनी था अलख- बताया मां ने
दिल्ली में अपने बेटे के साथ रह रहीं रजत पांडेय इन दिनों बेटे की उपलब्धियों की बधाई बटोरते हुए फूले नहीं समां रही हैं। कभी वह अलख की बचपन की यादों में खो जाती हैं तो उसके किशोरवय की शरारतों के किस्से सुनाती हैं। कहती हैं कि अलख हद तक जूनूनी था। एक बार लक्ष्य तय कर लेता था तो पूरा करके ही दम लेता था। इसी जिद और लगन ने उसे आज यह मुकाम दिया है। वह सफलता के जिस मुकाम तक पहुंचा है, उसकी मुझे उम्मीद नहीं थी। उसकी यह सफलता मुझे आज भी सपना लगती हैं।
पहले ऑलराउंडर था, अब चैंपियन बन गया अलख
अलख की मां कहतीं हैं कि वह पहले आलराउंडर था अब चैंपियन बन गया है। किताबों के साथ अलख को अभिनय और खेल दोनों का शौक था। किताबों के साथ सुबह और नाटक मंडली के साथ शाम गुजरती थी। दोपहर क्रिकेट के मैदान में बीतती थी। बेटा एक साथ कई काम लेकर बैठता था और सभी काम पूरा करके ही दम लेता था। उसकी इसी खासियत ने उसे शोहरत की बुलंदियों तक पहुंचाया।
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