प्रयागराज के सरकारी अस्पतालों की OPD का हाल...डाक्टर से हाल बताने में मरीजों को घंटों लग जाते हैं
प्रयागराज के काल्विन अस्पताल में डाक्टरों के कुल 42 पद हैं 19 काम कर रहे हैं। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. नानक सरन बोले कि डाक्टरों की कमी निश्चित रूप से है। सामान्य बीमारियों में मरीजों पर डाक्टरों का समय कम लगता है। अनुभव इसमें काम आता है। दवाएं सभी उपलब्ध हैं।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। इन दिनों संक्रामक बीमारियों के मरीजों से प्रयागराज के सरकारी अस्पतालों की ओपीडी भरी है। डाक्टरों की कमी से मरीजों को चेकअप कराने में घंटों इंतजार करना पड़ता है। डाक्टर भी परेशान हैं। अस्पतालों की ओपीडी में एक दिन में डाक्टरों पर भी काफी दबाव है। वार्ड में भर्ती मरीज की हालत खराब हुई तो वहां भी जाना होता है। ऐसे में वे एक मरीज पर आधा मिनट ही समय दे पाते हैं। ऐसे में मरीजों की शायद पूरी बात भी वे नहीं सुन पाते।
एक डाक्टर पर 150 मरीजों अटेंड करने का दबाव : मानक एक दिन में 40 मरीजों के उपचार का है लेकिन डाक्टरों पर लोड औसतन 150 मरीजों का है। यानी क्षमता से लगभग चार गुना। डाक्टरों की मजबूरी को मानें तो एक मरीज पर वे 20 से 30 सेकेंड ही दे पा रहे हैं।
बेली अस्पताल का हाल : तेज बहादुर सप्रू चिकित्सालय यानी बेली अस्पताल में बीमारी पूछते हुए डाक्टर की कलम पर्चे पर दवा और जांच के लिए चलने लगती है। फिजीशियन डा. प्रशांत पांडेय कहते हैं कि बीमारी समझने में कम से कम दो मिनट तो लगना ही चाहिए लेकिन भीड़ अधिक होने पर जैसे-तैसे काम कर पा रहे हैं। सहायकों के भी जुटे रहने से कुछ राहत रहती है।
काल्विन अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की भीड़ : काल्विन अस्पताल के फिजीशियन डा. केके मिश्रा ने कहा कि संक्रामक बीमारियों में मरीजों की परेशानी लगभग एक जैसी होती है। डाक्टरों की संख्या और बढ़ जाएं, मरीजों का लोड कम हो तो इलाज और भी अच्छे से हो सकता है।
डाक्टरों की कमी से जूझ रहे अस्पताल : काल्विन अस्पताल में डाक्टरों के कुल 42 पद हैं, 19 काम कर रहे हैं। बेली अस्पताल में भी 16 पद रिक्त चल रहे हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में अधीक्षक समेत आठ डाक्टरों के पद सृजित हैं। इनमें कहीं छह तो कहीं पांच डाक्टर ही तैनात हैं।
30 प्रतिशत मरीजों की बढ़ी संख्या : काल्विन अस्पताल में 1200 पंजीकरण प्रत्येक दिन होने का औसत है, आजकल औसतन 1550 हो रहे हैं।। बेली अस्पताल में औसत 900 मरीजों का पंजीकरण होता है। आजकल 1200 नए मरीजों के पर्चे बन रहे हैं।
संकट में काम आता है अनुभव : मुख्य चिकित्साधिकारी डा. नानक सरन ने कहा कि डाक्टरों की कमी निश्चित रूप से है। सामान्य बीमारियों में मरीजों पर डाक्टरों का समय कम लगता है। अनुभव भी इसमें काम आता है। दवाएं सभी उपलब्ध हैं।
डायरिया, टायफाइड से बचने को क्या करें : सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भी लग रही है। बुजुर्ग और बच्चे भी इलाज के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं। बच्चों के डाक्टर मेजर आरपी सिंह ने बताया कि आजकल डायरिया और टायफाइड अधिक होता है। उल्टी, दस्त, पेट दर्द और बुखार की शिकायत होती है। बच्चों को पानी उबाल कर ठंडा होने पर पिलाएं और ताजा भोजन करें।
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