प्रयागराज के सोहबतियाबाग में बिज्जुओं से लोगों में दहशत, वन विभाग ने कहा- डरने की जरूरत नहीं
प्रयागराज शहर की घनी आबादी वाले इलाके सोहबतियाबाग में कबर बिज्जू निकलने से करीब पांच-छह दिनों से स्थानीय लोगों में दहशत है। इनके भय से क्षेत्र के लोग घर के खिड़की-दरवाजे बंद करके रहने को मजबूर हैं। हालांकि वन विभाग ने कहा कि यह नुकसान पहुंचाने वाले जानवर नहीं हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। शहर की घनी आबादी वाले इलाके सोहबतियाबाग में कबर बिज्जू निकलने से करीब पांच-छह दिनों से स्थानीय लोगों में दहशत है। इनके भय से क्षेत्र के लोग घर के खिड़की-दरवाजे बंद करके रहने को मजबूर हैं। वन विभाग और पुलिस में शिकायत के बावजूद अब तक कबर बिज्जू पकड़े नहीं जा सके है। वहीं, विभागीय अधिकारी और पुलिस ने पकड़ने में लाचारी जाहिर कर दी। वन विभाग का कहना है कि यह नुकसान पहुंचाने वाले जानवर नहीं हैं। इनसे लोगों को डरने की जरूरत नहीं है।
लोग घर में खिड़की दरवाजे बंद करके रहने को मजबूर
लगभग पांच-छह दिन हुए, दो बड़े कबर बिज्जू और उनके तीन बच्चे सोहबतियाबाग मोहल्ले में दिखाई दिए थे। ये पांचों कभी आसपास के घरों में घुसकर छिप कर रहने लगे। लोगों को जानकारी हुई तो दहशत फैल गई। तत्काल इसकी सूचना वन विभाग के अधिकारियों और स्थानीय पुलिस को दी गई। वन विभाग के कर्मचारी और पुलिस भी मौके पर अलग-अलग समय पर पहुंची, लेकिन उसे पकड़ने में सफलता नहीं मिली। मोहल्ले के कमलाकांत तिवारी के मुताबिक कबर बिज्जुओं के डर से लोग घरों के खिड़की-दरवाजे बंद करके रहने को बाध्य हैं। उन्होंने बताया कि एक प्राइवेट व्यक्ति को एक हजार रुपये देकर तीन बच्चों को पकड़वाया था।
मोहल्ले के लोगों ने दो बिज्जुओं को पिंजरे में किया था कैद
मोहल्ले के लोगों ने दो बिज्जुओं को पिंजरे में कैद करने में सफलता पाई थी, लेकिन बिज्जुओं ने रस्सी काटकर छूट गए। लोगों का कहना है कि विभागीय अधिकारी और पुलिस इन्हें पकड़ने से हाथ खड़े कर दिए हैं। बिज्जू मोहल्ले में कहां से आए, इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है। डीएफओ वाईपी शुक्ला ने बताया कि यह नुकसान पहुंचाने वाले जानवर नहीं हैं। इनसे लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। बिज्जुओं टीम भेजकर को पकड़वाया जाएगा।
रात में ही निकलते हैं कबर बिज्जू
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार कबर बिज्जू (इंडियन रेटल) की आंखें बेहद छोटी होती है। तालाबों और नदियों के कगारों में 25-30 फीट लंबी मांद बनाकर रहता है। इसके शरीर का ऊपरी भाग भूरा, बगल और पेट काला तथा माथे पर चौड़ी सफेद धारी होती है। अपने लड़ाके स्वभाव और मोटी चमड़ी के कारण अन्य जानवर इस से दूर ही रहते हैं। पूर्णतया मांसाहारी होते हैं। ये जानवर रात में कब्रों को खोदकर मुर्दो को निकालकर उसका भक्षण करते हैं। आमतौर पर ये जानवर मनुष्य को देखते ही भागते हैं, लेकिन यदि ये अधिक संख्या में हो तो घेरकर हमला बोल देते हैं। इन्हें वन्य जीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची-1 के भाग (एक) में रखा गया है।
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