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    37वीं इंदिरा मैराथन की विजेता सुधा सिंह कौन हैं, उनका रिकार्ड जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान

    By Brijesh SrivastavaEdited By:
    Updated: Sat, 19 Nov 2022 06:20 PM (IST)

    प्रयागराज में इंदिरा मैराथन में विजेता बनने के बाद उन्होंने बताया कि पढ़ने के बजाय उन्हें खेल से बहुत लगाव था। परिवार के लोग माने तो लखनऊ प्रशिक्षण के लिए भेजा। 2010 के एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक आया तो इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा।

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    37वीं इंदिरा मैराथन में महिला वर्ग की विजेता बनींओलंपियन सुधा सिंह के नाम कई रिकार्ड हैं।

    प्रयागराज, जेएनएन। मुंबई मैराथन की पांच बार की विजेता रायबरेली एक्सप्रेस के नाम से पहचान बनाने वाली सुधा सिंह मूलत: अमेठी की रहने वाली हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि करियर में रिकार्ड और पुरस्कार खुद उनका पीछा करते हैं। अब वह 37वीं इंदिरा मैराथन की चैंपियन बनकर एक और उपलब्धि हासिल करने में सफल रहीं।

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    एथलीटों की नई पौध तैयार करेंगी सुधा सिंह : प्रयागराज में इंदिरा मैराथन में विजेता बनने के बाद उन्होंने बताया कि पढ़ने के बजाय उन्हें खेल से बहुत लगाव था। परिवार के लोग माने तो लखनऊ प्रशिक्षण के लिए भेजा। 2010 के एशियन गेम्स में स्वर्ण पदक आया तो इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा। 2012 में ओलंपिक में नेशनल रिकार्ड तोड़ा। 2014 में हुए एशियन गेम्स का भी कांस्य, 2016 में आईएएएफ डायमंड लीग मीट में नेशनल रिकार्ड बनाया। रियो ओलंपिक में हिस्सा लेने के बाद एशियन गेम्स 2018 में भी रजत पदक जीता। सुधा के नाम अर्जुन अवार्ड, रानी लक्ष्मी बाई अवार्ड, पद्मश्री सम्मान है। सुधा इस समय माडर्न कोच फैक्टरी रायबरेली में तैनात हैं। कहती हैं कि उन्‍हें एक अकादमी खोलनी है। एथलीटों की नई पौध तैयार करनी है।

    किसान की बेटी अश्विनी जाघव का कमाल, इंदिरा मैराथन की उप विजेता बनीं : महाराष्ट्र के परबनी जिला निवासी किसान की बेटी अश्विनी जाधव ने पहले पहले मैराथन में ही शानदार प्रदर्शन करते हुए दूसरा स्थान पाया। अश्विनी ने कहा कि उनकी मुकाबला अंतराष्ट्रीय स्तर की धावक सुधा सिंह और इंदिरा मैराथन के छह संस्करण की विजेता अपने ही राज्य की ज्योति गवते के साथ था।यह मेरा पहला मैराथन था इसलिए मैने दौड़ना शुरू किया। अपनी उर्जा का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करना चाहती थी, इसलिए जल्दबाजी नहीं की। मैराथन के मध्य में मैने लीड लेने का प्रयास शुरू कर दिया और आखिरी दौर में अपनी उर्जा का इस्तेमाल करते हुए गति बढ़ा दी।

    अश्विनी 1500 मीटर दौड़ की नेशनल मेडलिस्‍ट हैं : अश्विनी ने कहा कि इंदिरा मैराथन के अनुभव से आगे होने वाली लंबी दूसरी की दौड़ में अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिलेगी। अश्विनी के पिता मदन जाधव किसान और मां संगीता गृहिणी हैं। अश्विनी 1500 मीटर दौड़ में नेशनल मेडलिस्ट हैं। उनका सपना एशियन गेम्स और ओलंपिक में पदक जीतना है।

    छह बार की विजेता ज्‍योति शंकर राव गवते को तीसरा स्‍थान : इंदिरा मैराथन में लगातार छह बार की चैंपियन महाराष्ट्र के परबनी जिला निवासी ज्योति शंकर राव गवते 37वीं अखिल भारतीय प्राइजमनी इंदिरा मैराथन में तीसरे स्थान पर रहीं। गवते कहती हैं कि इस मैराथन के लिए काफी तैयारी की थी। इस बार भी जीत की उम्मीद थी पर आखिरी दौर में यह जीत हाथ से फिसल गई।पोलैंड की सीमा से बर्लिन तक 100 किमी की अल्ट्रा रन को आठ घंटे 20 मिनट में पूरा कर राष्ट्रीय रिकार्ड बनाने वाली ज्योति गवते ने कहा कि दौड़ में प्रथम रही सुधा और दूसरे स्थान पर आईं अश्विनी जाधव के साथ काफी कड़ी प्रतिस्पर्धा हुई। अंतिम दौर में सुधा और अश्विनी ने बढ़त बनानी शुरू कर दी। 2013 से 2018 तक लगातार विजेता रहीं।उम्मीद थी कि सातवीं बार जीत का रिकार्ड बनेगा पर दूसरे धावकों ने अच्छा प्रदर्शन किया।