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    ऐतिहासिक स्थल खुसरोबाग में आप भी टहलने जाइए, यहां कुछ खास है Prayagraj News

    ऐतिहासिक स्‍थल खुशरोबाग में इतनी भीड़ हो रही है कि शाम छह बजे के बाद लोगों को परिसर से बाहर करना पड़ता है। यहां के मकबरे 15वीं और 16वीं शताब्दी के इतिहास की गाथा बताते हैं।

    By Brijesh SrivastavaEdited By: Updated: Mon, 30 Sep 2019 03:48 PM (IST)
    ऐतिहासिक स्थल खुसरोबाग में आप भी टहलने जाइए, यहां कुछ खास है Prayagraj News

    प्रयागराज, जेएनएन। पुरातत्व विभाग से प्रयागराज में संरक्षित ऐतिहासिक स्थलों के हो रहे विकास के साथ ही यहां आने वाले पर्यटकों की तादाद भी बढऩे लगी है। खुसरोबाग इसका गवाह है। ऐसा ही एक खुशरोबाग भी है। प्रयागराज के ऐतिहासिक धरोहरों की बात हो और खुशरोबाग का नाम न आए, कुछ अधूरा सा लगता है। यहां के मकबरे 15वीं और 16वीं शताब्दी के इतिहास की गाथा कह रहे हैं। खुसरोबाग में पर्यटकों की तादाद बढऩे लगी है।

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    कंपनी बाग के बाद दूसरा सबसे बड़ा पार्क है खुशरोबाग

    कुंभ के दौरान खुसरोबाग को विकसित किया गया था। अब हालात यह है कि यहां इतनी ज्यादा भीड़ हो रही है कि शाम छह बजे के बाद लोगों को परिसर से बाहर जाने के लिए कहना पड़ रहा है। अल्फ्रेड पार्क (कंपनीबाग) स्थित महारानी विक्टोरिया पार्क में भी लोगों की भीड़ बढ़ रही है। खुसरोबाग शहर में कंपनी बाग के बाद दूसरा सबसे बड़ा पार्क है।

    15 से 16वीं शताब्दी की स्थापत्य कला का बेहतरीन नमूना

    यहां शाह बेगम का मकबरा, खुसरो का मकबरा, निसार बेगम और बीबी तैमूलन का मकबरा 15 से 16वीं शताब्दी के बेहतरीन स्थापत्य कला की गवाही आज भी दे रहे हैं। कुंभ 2019 के लिए शहर में हुए विकास कार्यों के दौरान खुसरोबाग का भी तेजी से विकास हुआ। इसके बाद तो यहां आने वाले लोगों की तादाद दोगुनी हो गई। दोपहर तीन से शाम छह बजे तक का समय खत्म होने के बाद भी यहां लोगों का जमावड़ा रहता है।

    भीड़ अधिक होने पर लोगों को बाहर भेजना पड़ रहा

    पुरातत्व विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय के कर्मचारियों का कहना है कि शाम छह बजे के बाद कर्मचारियों के जरिए लोगों को परिसर से बाहर जाने के लिए कहना पड़ रहा है। उधर कंपनीबाग स्थित महारानी विक्टोरिया पार्क का क्रेज भी बढ़ा है। इन दोनों स्थानों पर पुरातत्व विभाग अब टिकट की आवश्यकता महसूस कर रहा है। इसी साल उच्च स्तर पर प्रस्ताव भी तैयार हुआ था लेकिन, वह फाइलों में ही कैद है। अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. एनके सिन्हा ने कहा कि फिलहाल टिकट की कोई व्यवस्था नहंी है।