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    अब पेट्रोल पंप पर भी मिलेगा अमृत फल, अमेरिका तक प्रतापगढ़ी आंवला के कैंडी, मुरब्बा, बर्फी की सप्लाई

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Wed, 27 Jul 2022 06:30 AM (IST)

    बेल्हा यानी प्रतपागढ़ की पहचान आंवले से है। यहां के मुरब्बे लड्डू बर्फी कैंडी चूरन चटनी की डिमांड अमेरिका नेपाल मलेशिया इंग्लैंड और बैंकाक सहित अन्य देशों तक है। इसलिए अब पेट्रोल पंप पर भी लोगों को अमृत फल मिलेगा।

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    पेट्रोल पंप पर खुलेगी दुकान, गोदाम में डंप होगा आंवले का उत्पाद

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता। लोगों की सेहत सुधारने और आय बढ़ाने के साथ सरकार एक जनपद-एक उत्पाद योजना के तहत अमृत फल आंवला के उत्पादन को बढ़ावा दे रही है। बेल्हा यानी प्रतपागढ़ की पहचान आंवले से है। यहां के मुरब्बे, लड्डू, बर्फी, कैंडी, चूरन, चटनी की डिमांड अमेरिका, नेपाल, मलेशिया, इंग्लैंड और बैंकाक सहित अन्य देशों तक है। इसलिए अब पेट्रोल पंप पर भी लोगों को अमृत फल मिलेगा। जनपद की पांचों तहसील में 250 से अधिक पेट्रोल पंप चल रहे हैं।

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    जंक्शन पर भी बर्फी, कैंडी खरीद सकेंगे यात्री

    आंवला के उत्पाद की अधिक बिक्री हो, इसके लिए प्रतापगढ़ रेलवे जंक्शन पर भी स्टोर खोला जाएगा। रेल विभाग ने रोस्टरवार तीन उद्यमियों को उत्पाद की बिक्री करने के लिए अनुमति दी है। एक स्टेशन-एक उत्पाद के अंतर्गत 15-15 दिन पर एक-एक उद्यमी यहां पर उत्पाद की बिक्री करेगा। जल्द ही स्टोर खुल जाएगा।

    किसानों को मिलने लगा उचित मूल्य

    पांच साल पहले किसानों को आंवले की उपज का सही मूल्य नहीं मिल रहा था। ऐसे में दर्जनों किसानों ने आंवले की बाग को काटकर गेहूं, धान आदि की खेती करने लगे थे। एक जनपद-एक उत्पाद में आंवले का चयन होने से किसानों को इसका अच्छा मूल्य मिलने लगा। पहले आंवला पांच से 10 रुपये किलो में बिकता था, अब 15 से 22 रुपये किलो में बिक्री हो रही है।

    हुआ है करार

    पेट्रोल पंपों पर भी आंवले का उत्पाद बेचने के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय का सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) से करार हुआ है। प्रत्येक पंप पर आंवले के उत्पाद की दुकान खोली जाएगी। पंप पर बने गोदाम में उत्पाद को डंप किया जाएगा। जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केंद्र के उपायुक्त दिनेश चौरसिया ने बताया कि सभी पेट्रोल पंपों पर आंवले की दुकान खोलने का फैसला शासन ने लिया है।

    आंवले की उन्नति किस्में

    चकैया, फ्रासिंस, कृष्ण, कंचन, एनए-6, एनए-7, एनए-10, बनारसी

    ये हैं खास आंकड़े

    -40 टन से ज्यादा का माल निर्यात होता है प्रति वर्ष

    -215 छोटी-बड़ी इकाइयां आंवले की यहां चल रही हैं जनपद

    -7,710 हेक्टेयर में होती है आंवले की खेती

    -3,321 किसान जुड़े हुए हैं आंवले की खेती से

    -60,190 मीट्रिक टन उत्पादन होता है प्रतिवर्ष बेल्हा में