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    टेक्नोलाजी के इस्तेमाल में उत्तर मध्य रेलवे बना देश में नंबर वन, आप भी जानिए क्या है खास बात

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Thu, 07 Apr 2022 09:20 AM (IST)

    तकनीक उन्नयन में एनसीआर पूरे देश में पहले स्थान पर पहुंच गया है। यानी टेक्नोलाजी के मामले में एनसीआर सबसे आगे है और हो भी क्यों न देश के सबसे व्यस्त रूट दिल्ली हावड़ा का अधिकाश हिस्सा एनसीआर के ही पास है

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    नई तकनीक से आ रहे बदलाव के बीच उत्तर मध्य रेलवे ने बड़ी उपलब्धि हासिल की।

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता। हाईटेक हो रहे रेलवे और लगातार नई तकनीक से आ रहे बदलाव के बीच उत्तर मध्य रेलवे ने बड़ी उपलब्धि हासिल की। तकनीक उन्नयन में एनसीआर पूरे देश में पहले स्थान पर पहुंच गया है। यानी टेक्नोलाजी के मामले में एनसीआर सबसे आगे है और हो भी क्यों न देश के सबसे व्यस्त रूट दिल्ली हावड़ा का अधिकाश हिस्सा एनसीआर के ही पास है और यहां सभी एडवांस टेक्नोलाजी का इस्तेमाल सबसे पहले किया जा रहा है।

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    सर्वाधिक निवेश का रिकार्ड

    160 की गति और कवच के ट्रायल के साथ एनसीआर ने 2021-22 में ट्रेन संचालन में संरक्षा, तकनीक उन्नयन में 317 करोड़ का निवेश कर सभी जोन को पीछे छोड़ा। एनसीआर देश भर के सभी जोनों के सापेक्ष टेक्नोलाजी उन्नयन में सर्वाधिक निवेश करने वाला जोन बन गया है।

    एनसीआर ने 108 किमी की स्वचालित सिग्नलिंग, 37 इलेक्ट्रानिक इंटरलाकिंग के साथ अपने पूरे ब्राड गेज नेटवर्क को आप्टिकल फाइबर केबल से जोड़ दिया है।

    क्या हैं उपलब्धियां

    एनसीआर ने टेक्नोलाजी की स्थापना में सर्वश्रेष्ठ बनने के लिए बीते वित्तीय वर्ष में भी खूब काम किया। पूरे रिकार्ड को देखें तो पूरे देश में 218 किमी स्वचालित सिग्नलिंग स्थापित हुई, जिसमें 108 किमी एनसीआर में हुआ। इसमें 74 किमी नई कमीशनिंग, 34 किमी पुरानी सिग्नलिंग बदली गई। 10 समपार, 395 लेवल क्रासिंग गेट इंटरलाक हुए। 17 पुराने यांत्रिक गेटों की जगह पावर आपरेटेड लिफ्टिंग बैरियर लगा। 121.3 किमी आप्टिकल फाइबर केबल लगी। 14 स्टेशनों समेत 296 स्टेशन वाई-फाई से जुड़े। 37 स्टेशन ट्रेन डिस्प्ले बोर्ड से लैस हुए।

    क्या होती है स्वचालित सिग्नलिंग

    दो प्रकार की सिग्नलिंग प्रणाली होती है। पहली एबसोल्यूट ब्लाक प्रणाली, इसमें एक समय में ब्लाक (दो स्टेशनों के बीच की दूरी) में एक ट्रेन होती है। ब्लाक से पहले ट्रेन हटने पर दूसरी आती है। एडवांस रूप में यह इंटरमीडिएट ब्लाक स्टेशन (आईबीएस) बनी। इसमें दो ट्रेनें दो स्टेशनों के बीच होती है। दूसरी स्वचालित सिग्नलिंग प्रणाली है। इसमें 1-1.5 किलोमीटर के बाद सिग्नल होता है। दो सिग्नल के बीच में एक ट्रेन हो सकती है। इसमें स्वचालित सिग्नल की संख्या के आधार पर दो स्टेशनों के बीच कई ट्रेनें हो सकती हैं। इसमें एक ट्रैक पर कई ट्रेनें चल सकती है।

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