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    Navratri 2022: सुबह ऐंद्र योग में स्‍थापित करें कलश, दोपहर में अभिजीत मुहूर्त भी शुभ फल देगा

    By Brijesh SrivastavaEdited By:
    Updated: Fri, 01 Apr 2022 02:22 PM (IST)

    Navratri 2022 ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार शनिवार को दिन में 11.29 बजे तक प्रतिप्रदा तिथि रहेगी। ऐसी स्थिति में घट स्थापना इसी समयावधि के अंदर करना उत्तम है। सुबह 8.26 बजे तक ऐंद्र योग है। यह योग घट स्थापना के लिए सर्वोच्च है। साधना निर्विघ्न पूर्ण होगी।

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    Chaitra Navratri 2022 नौ दिवसीय नवरात्र में कलश स्‍थापना का शुभ मुहूर्त ज्‍योतिर्विद बता रहे हैं।

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता। Navratri 2022 चैत्र शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि से मां दुर्गा का स्तुति पर्व नवरात्र आरंभ हो जाएगा। सनातन धर्मावलंबी मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए नौ दिन तक दुर्गा सप्तशती का पाठ करके मइया की भक्ति में लीन रहेंगे। प्रयागराज में संगम, गंगा व यमुना के पवित्र जल में स्नान करके घरों में घट (कलश) की स्थापना करके मां के शैलपुत्री स्वरूप का पूजन किया जाएगा। मान्यता है कि नवरात्र का व्रत रखकर साधना करने वालों के अंदर व्याप्त काम, क्रोध, मोह, लोभ, अहंकार जैसे शत्रुओं का शमन करके मां भगवती उन्हें वैभव, यश-कीर्ति प्रदान करती हैं।

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    ऐंद्र योग में सुबह 8.26 बजे तक कलश स्‍थापना, दोपहर में भी मुहूर्त है

    ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार शनिवार को दिन में 11.29 बजे तक प्रतिप्रदा तिथि रहेगी। ऐसी स्थिति में घट स्थापना इसी समयावधि के अंदर करना उत्तम है। सुबह 8.26 बजे तक ऐंद्र योग है। यह योग घट स्थापना के लिए सर्वोच्च है। ऐसा करने से साधना निर्विघ्न पूर्ण होगी। वहीं, दिन में 11.35 से 12.25 तक अभिजीत मुहूर्त है। अभिजीत मुहूर्त को महत्व देने वाले साधक उक्त समयावधि में घट स्थापित कर सकते हैं।

    राक्षस नाम नवसंवत्‍सर का आरंभ कल से

    नवरात्र नौ दिनों की नवरात्र होने से प्रतिदिन मां के अलग-अलग स्वरूप की स्तुति की जाएगी। नवरात्र के साथ 'राक्षस' नामक नवसंत्वसर का आरंभ भी शनिवार को हो रहा है। घरों में भगवा झंडा लगाकर शंख, घंटा-घडिय़ाल की ध्वनि के बीच संवत्सर का स्वागत किया जा रहा है।

    पूजन सामग्रियों का है विशेष महत्व : आचार्य विद्याकांत

    पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि मां दुर्गा की स्तुति पवित्र व निष्काम भाव से करनी चाहिए। क्रोध व लोभ नहीं करना चाहिए। उन्‍होंने बताया कि मां दुर्गा के पूजन में कई प्रकार की सामग्रियों का प्रयोग होता है। हर सामग्री का विशेष महत्व है, जिसका प्रयोग किए बिन साधना पूर्ण नहीं होती।

    पूजन सामग्री का महत्व

    -रोली से रक्त विकार दूर होता है।

    -अक्षत से धन की वृद्धि।

    -लाल फल से प्रसन्नता व प्रतिष्ठा की प्राप्ति।

    -अखंड ज्योति जलाने से ज्ञान की वृद्धि।

    -लौंग व इलायची से रोग से मुक्ति।

    -नारियल से सर्वगुण संपन्नता की प्राप्ति।

    -कपूर से आयु में वृद्धि।

    -पंचामृत से मनोकामना पूर्ति होती है।

    -मिष्ठान अर्पण करने से आरोग्यता की प्राप्ति होती है।