Shardiya Navratri 2022: प्रयागराज में प्राचीन मां कल्याणी देवी मंदिर जिसका पुराणों में भी जिक्र, देश भर से आते हैं भक्त
Kalyani Devi Temple मां कल्याणी देवी का मंदिर प्रयाग में अत्यंत पवित्रतम् स्थल है। कहा जाता है कि त्रेतायुग में महर्षि याज्ञवल्क्य ने इसी स्थल पर साधना किया था। उन्होंने 32 अंगुल की मां कल्याणी की प्रतिमा स्थापित किया। मां कल्याणी के पास शिव-पार्वती मां छिन्नमस्तिका विराजमान हैं

प्रयागराज, जेएनएन। तीर्थराज प्रयाग में कल्याणी देवी मोहल्ले में मां कल्याणी का अतिप्राचीन मंदिर स्थित है। मंदिर में वर्ष भर लगातार देशभर से श्रद्धालु दर्शन-पूजन करने आते हैं। मां कल्याणी की गिनती शक्तिपीठों में बताई जाती है। पद्म पुराण के प्रयाग महात्म्य के 76वें अध्याय का 17वें श्लोक में मां कल्याणी के स्वरूप का भव्य वर्णन है। इसके अलावा मत्स्य व ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी मां कल्याणी की महिमा का बखान किया गया है।
पढ़िए और जानिए इस प्राचीन मंदिर का इतिहास
मां कल्याणी देवी का मंदिर प्रयाग में अत्यंत पवित्रतम् स्थल है। कहा जाता है कि त्रेतायुग में महर्षि याज्ञवल्क्य ने इसी स्थल पर साधना किया था। उन्होंने 32 अंगुल की मां कल्याणी की प्रतिमा स्थापित किया। मां कल्याणी के पास शिव-पार्वती, मां छिन्नमस्तिका विराजमान हैं, जबकि ऊपर ब्रह्मा जी, भगवान गणेश व हनुमान जी हैं। पुरातत्वविदों ने यहां की प्रतिमा को सातवीं शताब्दी का बताया है। सन 1892 में चौ. महादेव प्रसाद ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया ।
क्या कहते हैं मंदिर समिति के पदाधिकारी
नवरात्र में जनकल्याण को मंदिर में शतचंडी यज्ञ 11 ब्राह्मणों द्वारा कराया जाता है। नौ दिनों तक मां के स्वरूप के अनुरूप अनुसार फल, सब्जी व रत्नजड़ित आभूषणों से भव्य श्रृंगार होता है। बच्चों का मुंडन, नाक व कान छेदन कराने दूर-दूर से भक्त आते हैं।
-श्यामजी पाठक, महामंत्री मां कल्याणीदेवी मंदिर समिति
मां कल्याणी के दरबार में सच्चे हृदय से आने वाले भक्त की हर कामना पूर्ण होती है। मां उन्हें धन, यश-कीर्ति, पुत्र देती हैं। यही कारण है कि दूर-दूर से भक्त आते हैं।
-आचार्य अनीश, पुजारी
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