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    यहां पूजे जाते हैं नागराज तक्षक, प्रतापगढ़ में भाद्रपद षष्ठी पर कई पीढिय़ों से लग रहा आस्था का मेला

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Sat, 28 Aug 2021 05:45 PM (IST)

    बारह गांवों मे पूजा होने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही हैं। यह परंपरा लोक मेले का रूप ले चुकी है। बारौ व रोर में तक्षक धाम है। बारौ में प्राचीन सरोवर है वहां मेला स्थल है। वहां मेले के दिन कई जनपदों से लोग आते हैं।

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    प्रतापगढ़ के मंदिर में नागराज देवता राजा तक्षक मांगलिक कार्यों में पूजे जाते हैं।

    प्रतापगढ़, जागरण संवाददाता। नागों के राजा तक्षक का नाम एवं फुफकार सुनकर ही लोग सिहर उठते है। लोगों को राजा परीक्षित की कथा याद आने लगती है, लेकिन प्रतापगढ़ के कुंडा तहसील के बाघराय बारौ गांव में ऐसा नहीं है। यहां तो नागराज देवता राजा तक्षक  मांगलिक कार्यों में पूजे जाते हैं। विशेष तक्षक पूजा भाद्रपद षष्ठी के दिन सुबह सात बजे होती है। शनिवार को भाद्रपद षष्ठी पर इस मंदिर में श्रद्धालु जुटे और विधि विधान से पूजा अर्चना की तथा चांदनी का चढ़ावा भी भेंटकर परिवार के लिए मंगल कामना की।

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    नहीं होती यहां किसी की सांप डसने से मौत

    बारह गांवों मे पूजा होने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही हैं। यह परंपरा लोक मेले का रूप ले चुकी है। बारौ व रोर में तक्षक धाम है। बारौ में प्राचीन सरोवर है, वहां मेला स्थल है। वहां मेले के दिन कई जनपदों से लोग आते हैं। अबकी भी मेले में बड़ी संख्या में लोग जुटे हैं। बाघराय के रोर, बारौ, रायपुर, मंडल भासौ, त्रिलोकपुर समेत बारह गांवों में तक्षक की पूजा होती है। वह तक्षक को देवता के रूप में पूजते हैं। क्षेत्रीय लोगों का मानना है कि यहां किसी की मृत्यु सर्पदंश से नहीं होती। यदि किसी को सांप ने छू भी लिया तो तक्षकधाम पर पूजा कर लेने से वह बच जाता है। कहा जाता है कि हजारों वर्ष पूर्व स्वयं राजा तक्षक किसान के रूप में रोर बारौ गांव आए थे। उन्ही की प्रेरणा से तक्षकधाम बन गया। कई जनपद के लोग तक्षक की पूजा-अर्चना करने आते हैं। यहां एक तालाब है। लोगों का मानना है कि इस तालाब मे नहाने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है। भाद्रपद षष्ठी के आने के 15 दिन पहले से यहां के भक्त तक्षकपूजा की तैयारी में जुट जाते हैं। धाम के प्रमुख पुजारी प्रमेश श्रीवास्तव का कहना है कि राजा तक्षक की पूजा अर्चना आदि काल से चली आ रही है। हमारी छठवीं पीढ़ी पूजा करती आ रही है। कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं। इस कार्य में गांव के श्रीराम शुक्ला, रम्मू दुबे, चुन्नू तिवारी, निराला त्रिपाठी, दीपू, शिवकरन, शिवपूजन, संजय, पवन तिवारी, छोटे मिश्र, राम आसरे आदि लगे हैं।

    राजा की सवारी

    शनिवार को सुबह सात बजे राजा तक्षक की शोभायात्रा सवारी निकाली गई। प्रधान पति वीरेंद्र तिवारी सुग्गा ने बताया कि इसके बाद बारौ में पूजन हुआ। मंदिर को सजाया गया है।

    चांदनी का चढ़ावा

    तक्षक पूजा अक्षत, फूल लावा दूध प्रिय है। भक्त चांदनी भी चढ़ाते हैं। महिलाएं तो अपने घर में सिलाई मशीन से आकर्षक ढंग से कपड़े की चांदनी बनाकर राजा तक्षक को अर्पितकर सबकी मंगल कामना करती हैं।

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