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    Nag Panchami 2022: नागवासुकि दर्शन के बिना अधूरी है प्रयागराज की तीर्थयात्रा, रोचक है मंदिर महात्‍म्‍य

    By Brijesh SrivastavaEdited By:
    Updated: Tue, 02 Aug 2022 11:11 AM (IST)

    Nag Panchami 2022 प्रयागराज में गंगा तट पर स्थित नागवासुकि मंदिर का पुराणों में भी उल्लेख है। सदियों से यह मंदिर सनातन धर्म को मानने वालों के लिए आस्था का केंद्र रहा है। मान्यता है कि यहां आकर पूजा करने से कालसर्प दोष हमेशा के लिए समाप्त हो जाते हैं।

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    Nag Panchami 2022: नागवासुकी मंदिर जुड़ी मान्‍यता है कि हर दोष के लिए अनुष्ठान का त्वरित फल प्राप्त होता है।

    प्रयागराज, जेएनएन। Nag Panchami 2022 यूपी का प्रयागराज यानी तीर्थराज प्रयाग। यहां ऐतिहासिक, पौराणिक व धार्मिक स्थल हैं। उन्हीं में से एक है नागों के राजा माने जाने वाले नागवासुकि मंदिर (Nagvasuki Mandir) है। मान्यता है कि प्रयागराज की तीर्थयात्रा पर आने वाले श्रद्धालु जब तक नागवासुकि देव के दर्शन-पूजन न कर लें, उनकी तीर्थ यात्रा पूरी नहीं मानी जाती है।

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    गंगा तट पर स्थित है मंदिर : प्राचीन नागवासुुकि मंदिर पवित्र गंगा तट के समीप शहर के दारागंज मुहल्ले में स्थित है। यहां नागदेव के दर्शन-पूजन को वैसे तो वर्ष भर श्रद्धालु आते रहते हैं लेकिन नागपंचमी के पर्व पर यहां भक्‍तों की भीड़ उमड़ती है। कुंभ, अर्धकुंभ और माघ मेले में प्रयागराज आने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। नागवासुकि देव के दर्शन कर अपनी मनोकामना पूरी करते हैं। नागवा‍सुकि मंदिर में वासुकि नाग के अलावा शेषनाग की मूर्ति है। नागवासुकि देव की पत्थर की मूर्ति मंदिर के बीचोबीच विराजमान है।

    दूर होता है कालसर्प दोष : आस्‍थावानों का कहना है कि इस मंदिर का पुराणों में भी उल्लेख है। सदियों से यह मंदिर सनातन धर्म को मानने वालों के लिए आस्था का केंद्र रहा है। पौराणिक मान्यता है कि यहां आकर पूजा करने से कालसर्प दोष हमेशा के लिए समाप्त हो जाते हैं। नागवासुकि को शेषराज, सर्पनाथ, अनंत और सर्वाध्यक्ष भी कहा गया है। शिव और श्रीगणेश इन्हें अपने गले में धारण करते हैं। पद्म पुराण में इनको संसार की उत्पत्ति और विनाश का कारक बताया गया है।

    सावन मास में जुटती है भारी भीड़ : पूरे सावन मास में यहां पूजन और जलाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है। नागपंचमी के दिन तो यहां पर दर्शनार्थियों की भीड़ के चलते तिल रखने तक की जगह नहीं मिलती। श्रद्धालु यहां पर रुद्राभिषेक, महाभिषेक व काल सर्पदोष की शांति के लिए भी अनुष्ठान कराते हैं।

    औरंगजेब ने किया था मंदिर तोडऩे का प्रयास : जनश्रुति के मुताबिक मुगल शासक औरंगजेब ने नागवासुकि मंदिर को तोडऩे का प्रयास किया लेकिन वह सफल नहीं हो सका था। मान्‍यता है कि औरंगजेब मंदिर पहुंचा और तलवार से नागवासुकि की मूर्ति पर वार किया तभी नागवासुकि ने अपना विकराल स्वरूप दिखाया जिसे देख औरंगजेब डरकर बेहोश हो गया।

    मंदिर और घाट का हुआ जीर्णोद्धार : मंदिर और घाट का जीर्णोद्धार सरकार ने कराया था। पिछले कुंभ के दौरान भी पर्यटन विभाग की ओर से मंदिर का रंगरोगन कराने के साथ टाइल्स लगवाया गया। गंगा घाट की ओर जाने वाली सीढिय़ों का जीर्णोद्धार भी कराया गया। घाट की तरफ अब बक्शी बांध से एक सड़क निकलती है जिससे अब गंगातट की तरफ से मंदिर में दर्शन के लिए जाना आसान हो गया है।

    अष्टमाधव भी यहां विराजमान : प्रयागराज के ईष्ट देवता बारह माधव में आठवें माधव भी यहां पर विराजमान हैं। पिछले कुंभ मेला में मंदिर परिसर में ही इनका एक छोटा सा मंदिर अलग से बनवा दिया गया। मंदिर के मुख्य द्वार पर रक्षक के रूप में भीष्म पितामह की मूर्ति भी यहां स्‍थापित है।

    मंदिर के पुजारी ने बताया महात्‍म्‍य : नागवासुकी मंदिर के पुजारी श्‍यामधर त्रिपाठी ने कहा कि हर सनातन धर्मावलंबी की आस्था का केंद्र यह मंदिर है। कालसर्प दोष सहित हर दोष के लिए हुए अनुष्ठान का त्वरित फल प्राप्त होता है। मंदिर के व्‍यवस्‍थापक अंशुमान त्रिपाठी का मानना है कि नागवासुकी मंदिर में अनुष्ठान कराने वाले को दैहिक, दैविक व भौतिक कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। श्रद्धालुओं को अनुष्ठान में दिक्कत न हो उसका विशेष प्रबंध है।

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