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प्रयागराज से जुड़ी हैं प्रख्यात साहित्यकारों की स्मृतियां, आप भी जानिए कौन हैं ये विभूतियां

अधिवक्ता शरदेंदु सौरभ कहते हैं कि मैं नीर भरी दुख की बदली की रचनाकार महादेवी की याद आते ही अशोकनगर मोहल्ले में उनका पता ठिकाना खोजने निकला तो मकान नंबर 17 पहुंच गया। यह बंगला एक बड़े क्षेत्र में विस्तार लिए हुए है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Published: Tue, 14 Sep 2021 10:54 AM (IST)Updated: Tue, 14 Sep 2021 05:45 PM (IST)
प्रयागराज से जुड़ी हैं प्रख्यात साहित्यकारों की स्मृतियां, आप भी जानिए कौन हैं ये विभूतियां
अधिवक्‍ता शरदेंदु सौरभ कहते हैं कि प्रख्‍यात कलमकारों की निशानियां प्रयागराज में सिमटी है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। सन्नाटे को चीरती हुई कलमकारों की आवाज को कोई दबा नहीं सकता। भले ही उनके आलीशान भवन या इमारतों की फेहरिस्त न रही हो, लेकिन उधर से गुजरने पर एक-एक पथिक बता देता कि यहीं से उन वरदपुत्रों के कदम पड़े हैं। फिर शुरू हो जाती है उनसे जुड़ी यादें और उनका पुलिंदा जो उस क्षेत्र का एक-एक शब्द बयान करता है। ऐसी ही सूर्यकांत त्रिपाठी निराला (मकान नंबर 265) अंकित है। निराला निवास देखते ही कदम ठिठक जाते हैं। एक बानगी लेने के लिए जब पूछा गया कि और कुछ संस्मरण निराला से जुड़े हुए बताए तो उत्तर मिला वैसे तो निराला का जीवन दारागंज के किराए के कमरे में गुजरा है, परंतु अंतिम श्वास उन्होंने इसी मकान में लिया है। यह घटना बयां करते हुए अधिवक्ता शरदेंदु सौरभ कहते हैं कि पंडित नेहरू से लेकर पृथ्वीराज कपूर तक निराला से मिलने दारागंज आ चुके हैं। उनके शोहरत में न उस समय कोई कमी थी और न आज भी कोई कमी है।

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महादेवी के बंगले की मुंडेर पर जमी है घास

अधिवक्ता शरदेंदु सौरभ कहते हैं कि मैं नीर भरी दुख की बदली की रचनाकार महादेवी की याद आते ही अशोकनगर मोहल्ले में उनका पता, ठिकाना खोजने निकला तो मकान नंबर 17 पहुंच गया। एक बड़े क्षेत्र में विस्तार लिए हुए है यह बंगला। बंगले के मुंडेरों पर घास जमी हुई है। आवाज लगाने पर एक महिला बड़े आदर के साथ महादेवी से अपने संबंधों का जिक्र किया। उनसे जुड़े संस्मरण सुनाए। चूंकि यह बड़ा बंगला अब न्यास बन चुका है, उनसे जुड़े कुछ लोग यहां जगह लिए हैं। यहां पर प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, रामकुमार वर्मा, शिवमंगल सिंह सुमन प्राय: आते रहते थे।

धर्मवीर भारती का भी संबंध दारागंज से

शरदेंदु कहते हैं कि गुनाहों के देवता उपन्यास के लेखक धर्मवीर भारती का भी दारागंज से नाता रहा है। युवाओं में उनके उपन्यास की चहक देखी जाती रही है। जगदीश गुप्त के साथ धर्मवीर भारती यहां रहा करते थे, ऐसा खंगालने पर पता चला। उन संकरी गलियों में उनका कोई निश्चित पता नहीं लगाया जा सका कि वह कौन सा घर था जहां इस लेखक का जीवन गुजरा दशाश्वमेध घाट के आस-पास का उल्लेख लेखक से जुड़ा माना जाता है। जिस फाटक के पास से गुजरते हुए अंग्रेज अफसर भी सिर झुका कर जाते थे, जहां राष्ट्रपति, गवर्नर और जाने-माने विभिन्न क्षेत्रों के लोग आ चुके है, वह पंडित मदन मोहन मालवीय का आवास भारती भवन के आस-पास चौक क्षेत्र में है। पूजा स्थल आदि की स्थिति अच्छी नहीं है, यहीं पर महामना ने श्रीमद् भागवत व संस्कृति के अनेक ग्रंथों का प्रणयन किया है।

किराए के दो कमरे में हरिवंशराय बच्चन रहते थे

मधुशाला के रचनाकार डा. हरिवंश राय बच्चन का सरोकार इस शहर में जगजाहिर है। राजापुर मोहल्ले में एक बड़ा बंगला जो डीआईजी कार्यालय के आस-पास है, इसमें दो किराए के कमरे लेकर बच्चन रहते थे। इलाहाबाद इंटर कॉलेज में भी शिक्षण कार्य करने का जिक्र मिलता है। मुट्ठीगंज अवस्थित बच्चन का मकान अब बिक चुका है परंतु करीब से गुजरते हुए बरबस ही कदम ठिठक जाते हैं। 

महावीर प्रसाद द्विवेदी भी प्रायग की धरती से जुड़े रहे

सरस्वती पत्रिका के संपादक आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी प्रयाग की धरती से जुड़े रहे। इंडियन प्रेस चौराहे से छपने वाले साहित्य के संपादन का कार्य द्विवेदी जी द्वारा ही किया गया। चौराहे पर लगी उनकी मूर्ति ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को उजागर करती है। पंत कालोनी के नाम से शहर में मशहूर वह जगह जो मिशन रोड पर अवस्थित है वह सुमित्रानंदन पंत का आवास है जो कुछ निजी प्रयासों से भव्यता लिए हुए है।

दारागंज में है डा. जगदीश गुप्त की यादें

नागवासुकी मंदिर से चंद कदम दूरी पर डा. जगदीश गुप्त के ठिकाने का पता चलता है जहां पर सुबह से ही साहित्यकारों का जमघट लग जाता। वो लेखक के रूप में ही नहीं वरन एक चित्रकार के रूप में भी जाने जाते हैं। जनमानस में अपनी अलग शैली के लिए मशहूर कवि कैलाश गौतम का जिक्र करना लाजिम है, जिन्होंने अपनी रचना को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने की कोशिश की, प्रीतम नगर में उनके आवास का जिक्र है। कथाकार अमरकांत बीमारी से जूझते हुए भी सृजन थमने नहीं दिया। अशोक नगर में, पंचपुष्प फ्लैट नंबर एफ 6 में आज कुछ सन्नाटा सा है। परंतु कभी यह कलमकारों से गुलजार रहता था। ये ऐसे लोग रहे हैं, जिन्हेंं समय के परत पर और निखरा हुआ देखा जा सकता है।


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