Move to Jagran APP

अब घर बैठे एक क्लिक में खुलेगी पांडुलिपि और पुस्तकें

घर बैठे एक क्लिक पर ही सैकड़ों साल पुरानी पुस्तकों और पांडुलिपियों को आप पढ़ सकते हैं। इसके लिए पन्नों को पलटने की जरूरत नहीं पड़ेगी।

By Edited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 05:33 PM (IST)Updated: Thu, 25 Apr 2019 05:34 PM (IST)
अब घर बैठे एक क्लिक में खुलेगी पांडुलिपि और पुस्तकें
अब घर बैठे एक क्लिक में खुलेगी पांडुलिपि और पुस्तकें
शरद द्विवेदी, प्रयागराज : सैकड़ों साल पुरानी पांडुलिपि व किताबें पढ़ने के लिए अब पन्ना नहीं पलटना होगा, न ही इसके लिए किसी पुस्तकालय का चक्कर काटना पड़ेगा। आप घर बैठे उसका अध्ययन कर सकेंगे, और वह भी सिर्फ एक क्लिक पर। यह संभव होगा हिन्दुस्तानी एकेडमी के प्रयास से।

हिंदुस्तानी एकेडमी अपनी लाइब्रेरी की पुस्तकों व पांडुलिपियों को ऑनलाइन करेगा
एकेडमी प्रशासन अपनी लाइब्रेरी में रखी पुस्तकों व पांडुलिपियों को ऑनलाइन करने की तैयारी कर रहा है। सारी सामग्री एकेडमी की वेबसाइट पर डाली जाएगी जिससे देश-विदेश में बैठे लोग आसानी से उसे पढ़ सकेंगे। हिन्दुस्तानी एकेडमी द्वारा 25 हजार पुस्तकें प्रकाशित की गई हैं। यह पुस्तकें देश के बड़े-बड़े रचनाकारों की हैं। जबकि सात सौ के लगभग पांडुलिपियां संस्कृत, हिंदी, अवधी जैसी भाषाओं में लिखी हैं। सैकड़ों साल पुरानी होने के चलते पांडुलिपियों के कागज खराब हो रहे हैं। पुरानी हो चुकी पुस्तकों को सुरक्षित करना एकेडमी के लिए बड़ी चुनौती है। इसके मद्देनजर उसे स्कैन करके ऑनलाइन करने की तैयारी की जा रही है।

बोले हिंदुस्‍तानी एकेडमी के अध्यक्ष
हिंदुस्तानी एकेडमी के अध्यक्ष डॉ. उदय प्रताप सिंह का कहना है कि एकेडमी के पास काफी ज्ञानवर्धक पुस्तकें व पांडुलिपियां हैं। उन्हें सुरक्षित करने के लिए सारी सामग्री ऑनलाइन करने की तैयारी चल रही है। इसके पूर्ण होने से पाठकों को सहूलियत मिलेगी।

वेबसाइट में रहेगा ब्योरा
हिंदुस्तानी एकेडमी की वेबसाइट पर सारी पुस्तकें व पांडुलिपियों की सामग्री डाली जाएंगी। पाठक आसानी से उसे पढ़ सकें, उसके लिए वेबसाइट में एकेडमी की लाइब्रेरी बनाई जाएगी। उसमें पुस्तकों व पांडुलिपियों का अलग-अलग ब्योरा व सामाग्री होगी।

खास बातें
-17वीं शताब्दी में जनकवि द्वारा अवधी भाषा में लिखा गया सूफी काव्य।
-नीलाद्रि महोक की संस्कृत में 244 पन्नों में लिखा वेद भास्य।
-अनुभूति स्वरूपाचार्य द्वारा संस्कृत व्याकरण में लिखी गई 67 पेज की आख्यात प्रक्रिया।
-धर्मदास द्वारा संस्कृत आयुर्वेद पर आधारित विदग्ध मुख मंडल।
-संस्कृत भाषा की रामाश्वमेघ।
-श्रीधर स्वामी का 434 पेज का संस्कृत में भागवत टीका।
-माघ कवि द्वारा 136 पेज की संस्कृत भाषा में शिशुपाल वध।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.