इतिहास और आस्था का संगम है मानिकपुर गंगा घाट, मुगलिया सल्तनत से ब्रिटिश हुकूमत तक का है गवाह
मानिकचंद के नाम से अपनी पहचान बनाने वाला नगर पंचायत मानिकपुर मुगलिया सल्तनत से लेकर ब्रिटिश हुकूमत तक का गवाह है। मानिकपुर में शाहाबाद गंगा तट आदिकाल से अलग पहचान बनाए है। यह गंगा घाट श्रृंगवेरपुर (प्रयागराज) से 20 किलोमीटर और हौदेश्वर नाथ धाम से महज 14 किलोमीटर दूर है।
प्रयागराज, जेएनएन। प्रतापगढ़ जनपद के कुंडा तहसील से होकर मां गंगा प्रवाहित होती हैं। गंगा के घाट आस्था संघ इतिहास का संगम है। मानिकचंद के नाम से अपनी पहचान बनाने वाला नगर पंचायत मानिकपुर मुगलिया सल्तनत से लेकर ब्रिटिश हुकूमत तक का गवाह है।
मानिकपुर में शाहाबाद गंगा तट आदिकाल से अपनी अलग पहचान बनाए हुए हैं। यह गंगा घाट सुप्रसिद्ध राम धाम श्रृंगवेरपुर (प्रयागराज) से मात्र 20 किलोमीटर दूर और हौदेश्वर नाथ धाम से महज 14 किलोमीटर दूर है। प्रमुख घाट पर राम जानकी मंदिर एवं भोले बाबा का शिवालय स्थित है। शाहाबाद गंगा तट को अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जिसमें प्रमुख रूप से अमेठी घाट, राम जानकी घाट, सरस्वती घाट, किलाघाट और अठेहा घाट स्थित है।
अलग-अलग घाट पर अलग इलाके से आते हैं श्रद्धालु
तीर्थ पुरोहित पंडित नंदलाल मिश्र के अनुसार इन सभी घाटों पर अलग-अलग क्षेत्र से लोग आते हैं। अपने-अपने तीर्थ पुरोहितों के यहां बनाए गए धर्मशाला में रात्रि विश्राम एवं पर्व पर स्नान और अन्य, द्रव्य आदि दान अर्पित करते हैं। उन्होंने बताया कि अमेठी से लेकर किलाघाट तक लगभग एक किलोमीटर की परिधि में प्रतिमाह अमावस्या और पूर्णिमा पर इन घाटों में स्नान किया जाता है। साथ ही यहां से तीन किलोमीटर दूर स्थित नगर पंचायत के उत्तरी छोर पर स्थित सिद्ध पीठ मां ज्वाला देवी धाम में भी लोग पूजन अर्चन के लिए जाते हैं। सारे श्रद्धालु धर्मशाला में रुका करते थे। यहीं से नावों के माध्यम से कौशांबी जिले में स्थित कड़ा धाम भी जाया करते थे। लेकिन, स्नान के बाद वापस चले जाते हैं।
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