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    एक स्कूल ऐसा... जो मम्मियों को स्वरोजगार से जोड़ रहा है, महिलाएं बन रहीं आत्‍मनिर्भर

    By Brijesh SrivastavaEdited By:
    Updated: Mon, 04 Jul 2022 07:57 AM (IST)

    प्रयागराज के महर्षि पतंजलि विद्या मंदिर इंटर कालेज में कक्षा एक से 12वीं तक के बच्चों की पढ़ाई होती है। इस विद्यालय के प्रबंधन की तरफ से परिसर में महि ...और पढ़ें

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    प्रयागराज का महर्षि पतंजलि विद्या मंदिर इंटर कालेज बच्चों की शिक्षा के साथ महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ रहा है।

    प्रयागराज, [अमलेंदु त्रिपाठी]। विद्यालयों में बच्चों के पढ़ने और उनके आगे बढ़ने का क्रम आम है। प्रयागराज यानी संगम नगरी में ऐसा भी एक स्कूल है, जहां बच्चों की मम्मियों को विभिन्न तरह के प्रशिक्षण देकर स्वरोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भरता की राह दिखाई जा रही है। अब तक यहां कुल 5991 महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, कम्प्यूटर, ब्यूटीशियन, बैग बनाने व क्राफ्ट आदि के प्रशिक्षण दिए जा चुके हैं। इनमें से 800 महिलाएं किसी न कसी तरह से अपना रोजगार शुरू कर चुकी हैं। कुछ निजी कंपनियों में भी नौकरी कर रही हैं।

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    महर्षि पतंजलि विद्या मंदिर इंटर कालेज की पहल : महर्षि पतंजलि विद्या मंदिर इंटर कालेज यूं तो कक्षा एक से 12वीं तक बच्चों की पढ़ाई कराता है। इस विद्यालय के प्रबंधन की तरफ से परिसर में महिला स्वावलंबन प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित किया गया है। यहां विभिन्न तरह के निश्शुल्क प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। इसके लिए 25 महिलाओं का बैच बनाकर तीन शिफ्ट में मातृशक्तियों को सिलाई, कढ़ाई, क्राफ्ट, कंप्यूटर, आर्टिफीशियल ज्वैलरी, ब्यूटीशियन आदि का कौशल सिखाया जा रहा है। यह प्रशिक्षण छह माह तक चलता है। उसके बाद उन्हें प्रमाणपत्र भी दिया जाता है। उसके बाद भी यदि महिलाएं चाहें तो केंद्र पर आ सकती हैं। उन्हें कौशल बढ़ाने के साथ स्वरोजगार शुरू करने के तरीके भी बताए जाते हैं।

    उपलब्ध कराते हैं आर्थिक सहायता व संसाधन : केंद्र प्रभारी गीता श्रीवास्तव ने बताया कि प्रशिक्षण पूरा करने के बाद महिलाओं को अपना रोजगार शुरू करने के लिए जीरो इन्ट्रेस्ट पर लोन संस्थान की तरफ से दिया जाता है। यदि कोई आर्थिक रूप से बहुत कमजोर होता है उसे अनुदान भी दिया जाता है। कुछ प्रशिक्षुओं को सिलाई मशीन, बुटीक संचालन संबंधी उपकरण आदि भी निश्शुल्क दिए जाते हैं। पूरी कोशिश होती है कि प्रशिक्षण के बाद सभी किसी न किसी तरह से रोजगार से जुड़ जाएं। इसके लिए उन्हें काम भी दिलाया जाता है। कई महिलाओं ने सिलाई सेंटर खोला है। उनके लिए अलग अलग जगहों से बच्चों के लिए ड्रेस, कर्मियों के लिए यूनिफार्म बनाने के आर्डर भी दिलाए जाते हैं। कोरोना काल में भी मास्क बनाने, बैग बनाने संबंधी आर्डर दिलाए गए।

    खुद प्रशिक्षण लिया, मां को भी सिखाया और अब अपना बुटीक है : प्रयागराज शहर के नवापुरवा निवासी अंजलि ने बताया कि पिता सब्जी बेचते थे। आर्थिक तंगी से उबरने के लिए महिला स्वावलंबन प्रशिक्षण केंद्र से 2014 से 2016 तक सिलाइ, कढ़ाई सीखा। अपनी मां को भी सिखाया। अब बुटीक खोल लिया है। इससे 12 से 15 हजार रुपये की आय हो रही है। बुटीक में अन्य लड़कियों को भी हम प्रशिक्षण दे रही हैं। वह भी कुछ न कुछ अपनी आय कर रही हैं। इसी क्रम में कटरा निवासी नीतू कहती हैं कि उन्होंने सिलाई कढ़ाई के साथ कई अन्य कोर्स का प्रशिक्षण लिया। वर्तमान में वह एक एनजीओ के साथ जुड़कर ड्रेस बनाने, ज्वेलरी बनाने, साफ्ट ट्वाय, फैंसी बैग आदि बनाने के साथ दूसरों को भी प्रशिक्षित कर रही हैं। इससे करीब 15 हजार रुपये की आय प्रत्येक माह हो जाती है।