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    राजा उदयन-वासवदत्ता की प्रेम कहानी का गवाह है कौशांबी का किला, पर्यटक भग्‍नावशेष देखने खिंचे चले आते हैं

    By Brijesh SrivastavaEdited By:
    Updated: Thu, 22 Sep 2022 04:06 PM (IST)

    कौशांबी जिला के मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर मंझनपुर तहसील के यमुना के किनारे कौशांबी में राजा उदयन का किला आज भी अपने अस्तित्व का जलवा बिखेर रहा है। किले के संरक्षण के लिए उस समय के वास्तुकारों ने यमुना में एक पिलर (बुर्ज) बनाया था।

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    महाराजा उदयन का किला कौशांबी जिले की विरासत है। राजा उदयन-वासवदत्त की प्रेम कहानी का यहां अनूठा इतिहास है।

    प्रयागराज, जेएनएन। कौशांबी जिले की विरासत संभाले है कौशांबी में महाराजा उदयन का किला। इतिहास को खंगालें तो पता चलता है कि महाराजा उदयन का वर्तमान कौशांबी वत्स राज्य हुआ करता था। महाराजा उदयन के किले का अस्तित्व आज भी एक बुर्ज के सहारे बचा है। यमुना नदी के किनारे बना यह बुर्ज महाराजा उदयन व वासवदत्ता के प्रेम का यह भग्नावशेष लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र है। देश-विदेश से आने वाले पर्यटक इस किले के अस्तित्व को देखकर वत्स राज्य की राजधानी के वैभव का अंदाजा लगाते हैं।

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    कौशांबी जिला मुख्‍यालय से 40 किमी दूर स्थित है किला : जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर मंझनपुर तहसील के यमुना के किनारे कौशांबी में राजा उदयन का किला आज भी अपने अस्तित्व का जलवा बिखेर रहा है। किले के संरक्षण के लिए उस समय के वास्तुकारों ने यमुना में एक पिलर (बुर्ज) बनाया था। यह बुर्ज यमुना के पश्चिमी छोर पर बना है, क्योंकि यमुना की जलधारा पश्चिम से पूरब की ओर है। तमाम झंझावतों के बाद भी यह बुर्ज अपने अस्तित्व को बचाए हुए है।

    अनूठी है उदयन और वासवदत्‍ता की प्रेम कहानी : अगर हम इतिहास को खंगालें तो महाराजा उदयन का यह वत्स राज्य हुआ करता था। महाराजा के पास एक वीणा घोषवती था, जिसकी चर्चा उस समय पूरे देश में थी। एक बार वीणावादन की ख्याति सुनकर एक राजा ने उदयन को कैद कर लिया और उन्हें अपनी बेटी वासवदत्ता को वीणा सिखाने के लिए रख दिया। वीणा के वादन से वासवदत्ता राजा पर आशक्त हो गई फिर उदयन के मंत्री योगंधरायण ने वासवदत्ता के सहयोग से राजा को मुक्त करा लिया। इसके बाद कौशांबी के इसी किले में यमुना के सुरम्य वातावरण में वीणा का वादन होने लगा। महाराजा उदयन और वासवदत्ता की प्रेम कहानी देश भर में फैल गई।

    स्‍थापत्‍य कला के भग्‍नावशेष आज भी : शिक्षक अरुण कुमार मिश्रा का कहना है कि सोचने वाली बात यह है कि उस समय की स्थापत्य कला कितनी मजबूत थी, जिससे भग्नावशेष अब तक मौजूद है। यह क्षेत्र इतिहास के विरासत को संभाले है। बता दें कि पुरातत्व विभाग ने कुछ दिनों पहले तीन-चार लेयर में बुर्ज का जीर्णोद्धार कराया था।