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    Mahant Narendra Giri death: सुसाइड नोट में मठ, मंदिर और उत्तराधिकारी का जिक्र

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Tue, 21 Sep 2021 07:25 AM (IST)

    पुलिस ने बताया कि महंत के सुसाइड नोट में लिखा है कि मैं सम्मान के बिना नहीं रह सकता। मैं डिप्रेशन में हूं। मैं क्या करूं कैसे रहूं। आनंद गिरि के कारण मेरी बहुत बदनामी हुई। किस किस को सफाई दें। इससे अच्छा है कि दुनिया से चले जाएं।

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    उत्तराधिकारी के रूप में बलवीर नामक शिष्य का उल्लेख, मंदिर व्यवस्था के लिए अमर गिरि का नाम है लिखा

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के कमरे से आठ पेज का जो सुसाइड नोट मिला है, इसमें उन्होंने बहुत से बातें लिखी हैं। सभी बातें मठ, मंदिर और गद्दी के उत्तराधिकार से जुड़ी हुई हैं। बताया जा रहा है कि उत्तराधिकारी के तौर पर उन्होंने बलवीर नामक शिष्य का जिक्र किया है। साथ ही मंदिर के व्यवस्थापक अमर गिरि का उल्लेख है। यहां ये भी उल्लेखनीय है कि अमर गिरि ने ही देर रात आनंद गिरि के खिलाफ क्रिमिनल केस भी दर्ज कराया है

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    मैं डिप्रेशन में हूं, मैं क्या करूं

    पुलिस ने बताया कि महंत के सुसाइड नोट में लिखा है कि मैं सम्मान के बिना नहीं रह सकता। मैं डिप्रेशन में हूं। मैं क्या करूं, कैसे रहूं। आनंद गिरि के कारण मेरी बहुत बदनामी हुई। किस किस को सफाई दें। इससे अच्छा है कि दुनिया से चले जाएं। चंद शिष्यों को छोड़कर सभी ने मेरा बहुत ध्यान रखा है, मेरे शिष्यों का ध्यान रखिएगा। एक तरह से इस सुसाइड नोट में महंत ने अपनी वसीयत का भी जिक्र किया है। बेहद मार्मिक इस पत्र में जिन लोगों को वजह बताया गया है कि उनमें आनंद गिरि के अलावा लेटे हनुमान मंदिर के मुख्य पुजारी आद्या तिवारी और उनके पुत्र संदीप तिवारी के नाम का भी उल्लेख है। यह दोनों आनंद गिरि के खास हैं। सुसाइड नोट में तमाम बातें लिखी हुईं हैं, जिसे लेकर अधिकारी कुछ नहीं बोल रहे हैं।

    फोरेंसिक जांच से साफ होगा कि किसने लिखा

    महंत के कमरे से मिला सुसाइड नोट उनके द्वारा ही लिखा गया है अथवा नहीं, इसकी अभी तक पुष्टि नहीं हो सकी है। हालांकि, सुसाइड नोट का उनके ही कमरे से बरामद होने से पुलिस अधिकारी दबी जुबान यही मान रहे हैैं कि इसे महंत ने ही लिखा होगा। अधिकारियों का कहना है कि फोरेंसिक लैब में हैंड राइटिंग की जांच कराई जाएगी। इसके बाद ही यह साफ होगा कि यह सुसाइड नोट महंत नरेंद्र गिरी ने ही लिखा था या नहीं।