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    Mahamana Death Anniversary 2022: प्रयागराज की तंग गलियों में महामना का घर, आंगन में है 300 वर्ष पुराना मंदिर

    By Jagran NewsEdited By: Brijesh Srivastava
    Updated: Sat, 12 Nov 2022 10:55 AM (IST)

    Mahamana Death Anniversary 2022 महामना मदन मोहन मालवीय का प्रयागराज में पैतृक घर है। यहां के भारती भवन पुस्तकालय हिंदी साहित्य सम्मेलन की स्थापना में ...और पढ़ें

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    महामना मदन मोहन मालवीय का प्रयागराज में पुस्‍तैनी मकान आज भी है।

    प्रयागराज, जागरण संवाददाता।  Mahamana Death Anniversary 2022 महामना पं. मदन मोहन मालवीय की आज 12 नवंबर को पुण्‍यतिथि है। प्रयागराज में आज भी पैतृक घर उनकी यादें ताजा कर रहा है। महामना के जन्म वाले कमरे में ताला लगा रहता है। आंगन में राधा-कृष्ण का करीब 300 वर्ष पुराना मंदिर है। इसी घर को संग्रहालय बनाने का प्रयास हो रहा है। उनके पौत्र सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय इसके लिए प्रयासरत हैं।

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    महामना का पैतृक घर आज भी पुराने स्‍वरूप में है : 25 दिसंबर 1861 को अहियापुर (अब मालवीय नगर) माेहल्ले में जन्मे महामना मदन मोहन मालवीय का स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, कानूनविद, शिक्षाविद, साहित्यकार, पत्रकार, समाजसेवी व राजनीत में उनका अतुलनीय योगदान रहा है। यहां भारती भवन पुस्तकालय, हिंदी साहित्य सम्मेलन की स्थापना में उनका अहम योगदान था। शिक्षा और हिंदी के उत्थान के लिए जीवन न्यौछावर कर दिया था। उनका पैतृक घर आज भी पुराने स्वरूप में है। महामना का निधन 12 नवंबर 1946 को बीएचयू में हुआ था।

    कोशिश हुई कामयाब तो संग्रहालय बन जाएगा महामना का घर : बीएचयू के संस्थापक भारत रत्न महामना पं. मदन मोहन मालवीय आर्दशों, सनातन धर्म व संस्कृति तथा राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण से भावी पीढ़ी को जोड़ने के लिए उनके पैतृक घर को संग्रहालय बनाने की दिशा में कदम बढ़े हैं। प्रयागराज की तंग गलियों में स्थित महामना के घर को संग्रहालय के रूप में विकसित करने के लिए उनके पौत्र सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिख चुके हैं। न्यायमूर्ति गिरिधर ने 11 नवंबर 2022 को मुख्यमंत्री को दोबारा पत्र लिखकर 25 दिसंबर को महामना की जन्मतिथि पर उनके पैतृक घर में आने का आग्रह किया है।

    महामना के पौत्र न्‍यायमूर्ति गिरिधर मालवीय बोले : महामना के पौत्र सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति गिरिधर मालवीय का कहना है कि अक्सर लोग यह जानना चाहते हैं कि महामना कहां, किस घर में पैदा हुए। ऐसी दशा में मुख्यमंत्री उनकी जन्मस्थली आकर को सार्वजनिक रूप से मान्यता देने का कदम उचित कदम उठाएं। बाबा के जन्मस्थान को विकसित किए जाने से हिंदी के विद्वानों, वर्तमान पीढ़ी के युवा लेखकों को भी प्रेरणा व ऊर्जा मिलेगी।

    पार्क के शिलापट में अंकित वर्ष कर रहा भ्रमित : महामना मदन मोहन मालवीय की यादों को ताजा करने के लिए यमुना नदी के किनारे स्थित महामना मालवीय पार्क भी है। इसी पार्क में एक नवंबर 1858 को रानी विक्टोरिया का घोषणा पत्र पढ़ा गया था। उसे यादगार बनाने में महामना का बड़ा योगदान था। लार्ड मिंटो के नाम से प्रसिद्ध उक्त पार्क का नाम आजादी के बाद महामना मालवीय उद्यान कर दिया था। साहित्यिक चिंतक व्रतशील शर्मा बताते हैं कि इस पार्क में दो स्थानों पर शिलापट्ट लगे हैं। दोनों में एक ही विवरण है। पार्क में आने वाले लोग इस शिलापट्ट को गौर से पढ़ते हैं, जिससे उक्त स्थान की ऐतिहासिक के बारे में पता चलता है। इसमें सन से लोगों में भ्रम उत्पन्न हो रहा है। शिलापट्ट में उल्लेख है कि नवंबर 1958 में इस स्थान के विकास के लिए महामना की अध्यक्षता में बैठक हुई थी, जबकि महामना का निधन 12 नवंबर 1946 को हो गया था।