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    मां वाराही धाम: प्रतापगढ़ के इस मंदिर में दिख रही आस्था और भक्ति संग सेवा की त्रिवेणी

    By Ankur TripathiEdited By:
    Updated: Thu, 14 Oct 2021 09:00 AM (IST)

    Navratri 2021 प्रेम शंकर गिरि के नेतृत्व में गिरि परिवार बड़ोदरा से अपने कार्य व्यवसाय को 10 दिन तक बंद करके धाम में ही रमा रहता है। श्रद्धालुओं की लाइन लगवाना हो या उनको प्रसाद दिलवाना। परिसर की साफ-सफाई करने से भी इनको संकोच नहीं होता।

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    गुजरात से आकर रमा रहता है गिरि परिवार, जन-जन को पढ़ा रहे मानवता का पाठ

    प्रतापगढ़, जेएनएन। नर सेवा-नारायण सेवा। भगवान को पाना है तो पहले भक्त को प्रसन्न करो। उसकी सेवा करो। इस तरह का संदेश आयु की रक्षा करने वाली मां वाराही के दरबार में गूंज रहा है। यहां आने पर लोगों को आस्था और विश्वास संग सेवा की त्रिवेणी के दर्शन भी होते हैं। मां की पूजा करने के साथ ही गिरि परिवार ने श्रद्धालुओं की सेवा में भी अपने को समर्पित कर रखा है। गुजरात में फैले अपने व्यवसाय को 10 दिन तक छोड़कर परिवार के लोग मां और उनके भक्तों की सेवा में लग जाते हैं।

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    आदिकाल से गिरि परिवार कर रहा मां वाराही की सेवा

    चौहर्जन वाराही धाम आल्हा-ऊदल की स्मृतियों से भी खास स्थान रखता है। उनका पुराना कुआं भी यहां है, जहां वह अपने हथियार रखा करते थे। मां का आशीष लेकर शत्रुओं पर कहर बनकर टूटते थे। यहां पर मां की सेवा आदिकाल से गिरि परिवार के लोग करते आ रहे हैं। इस परिवार के प्रेम शंकर गिरि दादा भाई, मनीराम, सुरेंद्र गिरि, धीरज गिरि, कृपा शंकर गिरि जैसे बहुत से लोग बड़ोदरा गुजरात में व्यवसाय करते हैं। वहां पर इन्होंने अपनी लगन व मेहनत से खुद को काफी मजबूत बनाया है। लगातार विकास कर रहे हैं, लेकिन अपनी जन्मभूमि और संरक्षण देने वाली मां वाराही को नहीं भूले। इन्होंने अपनी जिम्मेदारी को निभाते हुए वाराही मंदिर और मूर्ति का कई बार सुंदरीकरण कराया। देवी का स्वरूप बहुत आकर्षक और भव्य हो गया।

    नवरात्र पर गुजरात से आ जाते हैं वाराही धाम

    प्रेम शंकर गिरि के नेतृत्व में गिरि परिवार बड़ोदरा से अपने कार्य व्यवसाय को 10 दिन तक बंद करके धाम में ही रमा रहता है। श्रद्धालुओं की लाइन लगवाना हो या उनको प्रसाद दिलवाना। परिसर की साफ-सफाई करने से भी इनको संकोच नहीं होता। भंडारे में प्रसाद बांटना अपना सौभाग्य मानते हैं। इस तरह की सेवा के बहुत से कार्य यह लोग बड़ी प्रसन्नता से स्वयंसेवक की तरह करते नजर आते हैं। वह कहते हैं कि मां की कृपा से ही सब मिला है। हम लोग उनको क्या दे सकते हैं। उनकी सेवा करके अपने जीवन को धन्य बनाने का मौका मिल रहा है, यही हमारे लिए बहुत है।