Liver On Chip : अब चिप बताएगी लिवर की नई दवाएं मानव के लिए कितनी सुरक्षित, नई डिवाइस का पेटेंट भी मिला
ट्रिपलआईटी के विज्ञानियों ने लिवर ऑन चिप डिवाइस बनाई है। यह डिवाइस प्री-क्लिनिकल परीक्षण के लिए बनाई गई है। इससे नई दवाओं को बाजार में आने में कम समय लगेगा। इसके साथ ही लागत भी 50 फीसदी तक घट जाएगी।

प्रयागराज, मृत्युंजय मिश्रा। आधी सदी से भी अधिक समय से चूहे, खरगोश, कुत्ते और बंदरों का विभिन्न प्रयोगशालाओं में दवा परीक्षण के लिए इस्तेमाल होता है। पशुओं और इंसानों की जैविक बनावट अलग होने के कारण जरूरी नहीं है कि पशुओं पर अच्छा प्रदर्शन करने वाली दवाएं इंसानों के लिए सुरक्षित भी हों। अब भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपलआईटी) के विज्ञानियों ने प्री-क्लीनिकल ट्रायल (ड्रग ट्रायल) की प्रक्रिया को आसान और भरोसेमंद बनाने के लिए 'लिवर ऑन चिप' डिवाइस तैयार की है। यह ड्रग ट्रायल के लिए ऑर्गन ऑन चिप प्रक्रिया का ही एक हिस्सा है। इससे लिवर की दवाओं के परीक्षण में पशुओं व इंसानों की जरूरत खत्म की जा सकेगी। दवा का लिवर पर वही परिणाम होगा जो इस डिवाइस पर दिखाई देगा।
अंतरराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित, मिला पेटेंट
ट्रिपलआईटी के अप्लाइड साइंस विभाग के प्रो. अमित प्रभाकर के निर्देशन में शोध छात्रा निमिषा राय ने तीन वर्ष के शोध के बाद दवा और विषाक्तता परीक्षण के लिए कम लागत वाला लिवर आन चिप प्लेटफार्म विकसित किया है। यह चिप माइक्रोफ्लुइडिक डिवाइस है, जो लिवर की बीमारियों के ड्रग ट्रायल की प्रक्रिया को ही बदल देगा।
इस खोज को अंतरराष्ट्रीय जर्नल एसीएस ओमेगा ने प्रकाशित किया है। साथ ही इसको अप्रैल 2022 में ऑस्ट्रेलियाई इनोवेशन पेटेंट भी मिल चुका है। निमिषा ने बताया कि दवा तैयार कर बाजार में उतारने में 10 से 12 वर्ष का समय और भारी रकम खर्च होती है। साथ ही दवाओं के ड्रग ट्रायल के दौरान पशुओं और वालंटियर पर परीक्षण के खतरे भी हैं। यह डिवाइस परीक्षण के खतरे को कम करेगी।
लिवर की कार्यप्रणाली का प्रतिरूप है डिवाइस
प्रो. अमित प्रभाकर बताते हैं कि लिवर ऑन चिप डिवाइस लिवर कोशिकाओं की कार्यप्रणाली का ही एक प्रतिरूप है। मानव लिवर की कोशिकाओं (हिपैटोसाइट्स) के बाहर एक सुरक्षात्मक कवच होता है। इसको ध्यान में रखते हुए फोटो लिथोग्राफी तकनीक से लिवर ऑन चिप डिवाइस तैयार की गई है । इसमें दो चैंबर हैं, जिनके बीच में एक झिल्ली होती है।
परीक्षण में नेशनल सेंटर फॉर सेल साइंस (एनसीसीएस) से सेल लाइन मंगाकर इसको डिवाइस के चेंबर में विकसित कराया गया। इसके बाद इसमें पोषक तत्व व दवा डालकर परीक्षण किया गया। दवा झिल्ली के जरिए कोशिकाओं तक पहुंची और प्रभाव दिखाया। कोशिकाओं के मरने या फिर उनकी वृद्धि से दवा के लिवर पर परिणाम का पता लग सकता है।
यह है ऑर्गन ऑन चिप प्रक्रिया
दवाओं के परीक्षण के लिए ऑर्गन ऑन चिप एक प्रक्रिया है। इसके तहत शरीर के अंदरूनी अंगों (लिवर, किडनी, हृदय, आंत, पेट, फेफड़े सहित सभी अंग) पर दवा और बीमारियों के प्रभाव को जांचा जा सकता है। शरीर के अंदरूनी अंगों की कार्यप्रणाली के अनुसार एक चिप तैयार की जाती है, ताकि बिना अंगों को क्षति पहुंचाए दवा के सटीक प्रभाव का अध्ययन किया जा सके। हर आंतरिक अंग के अनुसार चिप तैयार करने का काम विभिन्न संस्थानों में विज्ञानी कर रहे हैं। इसी कड़ी में लिवर के लिए यह चिप तैयार की गई है।
लिवर ऑन चिप डिवाइस दवाओं के परीक्षण में क्रांतिकारी कदम है। इससे दवा के बाजार में आने में लगने वाले समय व लागत दोनों में पचास प्रतिशत तक कमी आ जाएगी। - प्रो. अमित प्रभाकर, अप्लाइड साइंस विभाग, ट्रिपलआईटी
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