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    जनता दरबार में लेफ्टीनेंट गवर्नर म्योर ने की थी इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्थापना की घोषणा, पढ़िए यह रोचक खबर

    इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्थापना की कहानी दिलचस्प है। आज के नेताओं की तरह अंग्रेज शासक भी जनता दरबार लगाते थे। इसमें जनता से उनकी समस्या पूछते थे। 24 मई 1867 को संयुक्त प्रांत अब का उत्तर प्रदेश के लेफ्टीनेंट गवर्नर विलियम म्योर ने प्रयागराज (इलाहाबाद) में जनता दरबार लगाया था।

    By Ankur TripathiEdited By: Updated: Sun, 10 Jan 2021 02:00 PM (IST)
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    इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्थापना की कहानी दिलचस्प है। आज के नेताओं की तरह अंग्रेज शासक भी जनता दरबार लगाते थे।

    प्रयागराज, जेएनएन। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्थापना की कहानी दिलचस्प है। आज के नेताओं की तरह अंग्रेज शासक भी जनता दरबार लगाते थे। इसमें जनता से उनकी समस्या पूछते थे। 24 मई 1867 को संयुक्त प्रांत अब का उत्तर प्रदेश के लेफ्टीनेंट गवर्नर विलियम म्योर ने प्रयागराज (इलाहाबाद) में जनता दरबार लगाया था। इस दरबार में यहां के लोगों ने उच्च शिक्षा के लिए शिक्षण संस्थान खोले जाने की मांग उठाई थी। उस समय कलकत्ता से लेकर प्रयागराज, पंजाब, और बलूचिस्तान इलाके के उच्च शिक्षा के क्रियाकलाप कलकत्ता विश्वविद्यालय से संचालित होते थे। प्रयागराज के छात्रों को कलकत्ता विश्वविद्यालय ही स्नातक की डिग्री देता था। ऐसे में स्थानीय नागरिकों ने लेफ्टिनेंट गर्वनर म्योर से कहा कि यहां उच्च शिक्षा के लिए महाविद्यालय या विश्वविद्यालय स्थापित किया जाए। म्योर ने उसी जनता दरबार में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के स्थापना की घोषणा की थी।

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    1869 में उच्च शिक्षा शुरू करने के लिए बनी थी एक समिति

    इतिहासकार प्रो.हेरम्ब चतुर्वेदी बताते हैं कि 1869 में प्रयागराज के कमिश्नर श्री कोर्ट की अध्यक्षता में यहां उच्च शिक्षा को प्रारंभ करने के लिए एक समिति बनाई गई। समिति के सचिव बाबू प्यारे मोहन बनर्जी बने। लाला गया प्रसाद, मौलवी फरीदुद्दीन हुसेन, राय रामेश्वर चौधरी आदि इस समिति के सदस्य बनाए गए। संयुक्त प्रांत के जन शिक्षा निदेशक कैंपसन ने प्रस्तावित महाविद्यालय का प्रस्ताव तैयार किया। विलियम म्योर ने इस पर अपनी मुहर लगाई। 9 नवंबर 1869 को लखनऊ के राजभवन में यूरोपियनों और प्रभावशाली भारतीयों की बैठक में महाविद्यालय के गठन पर अहम निर्णय लिए गए।

    1872 को भेजा गया था महाविद्यालय के गठन का प्रस्ताव
    इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र एवं कई किताबों के लेखक श्याम कृष्ण पांडेय बताते हैं कि 22 जनवरी 1872 को संयुक्त प्रांत सरकार ने महाविद्यालय के गठन का मसविदा भारत सरकार को भेजा था। एक जुलाई 1872 से किराये के भवन में म्योर सेंट्रल कालेज में शिक्षण कार्य प्रारंभ हुआ। 9 सितंबर 1873 को म्योर सेंट्रल कालेज के वर्तमान भवन की आधार शिला भारत के वायसराय एवं गवर्नर जनरल टामस जार्ज बैरिंग बैरन ने रखी थी। 8 अप्रैल 1886 को म्योर कालेज के सेंट्रल ब्लाक का औपचाारिक उद्घाटन तत्कालीन वायसराय लार्ड डफरिन ने किया। पांडेय बताते हैं कि 23 सितंबर 1887 को इलाहाबाद विश्वविद्यालय स्थापित किया गया। इसके बाद से यह कलकत्ता, मुंबई तथा मद्रास विश्वविद्यालय की भांति उपाधि प्रदान करने वाला विश्वविद्यालय बन गया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की प्रथम परीक्षा मार्च 1889 में हुई थी।