प्रयागराज के किसान कर रहे हैं Lemon Gross की खेती, स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है इसकी कड़क चाय
कृषि विज्ञानी डॉ. हिमांशु दुबे का कहना है कि लेमन ग्रास के कई औषधीय गुण हैं। दो पत्ती चाय में प्रयोग करने से नीबू वाली चाय का टेस्ट मिलता है। इसके तेल से विटामिन ए मिलता है जिसका प्रयोग दवाओं के बनाने में किया जाता है।

प्रयागराज, [अमलेंदु त्रिपाठी]। जिले में बेसहारा पशुओं और मौसम की मार के कारण खेती से दूरी बना रहे किसानों के लेमन ग्रास की खेती उम्मीदों की हरियाली लेकर आई है। लॉकडाउन के दौरान जहां देश की अर्थव्यवस्था पटरी से उतरी थी वहीं, यहां के तीन ब्लॉक के 30 किसानों ने करीब 40 हेक्टेयर में इसकी रोपाई कर अपनी आर्थिक उन्नति कर राह बुलंद कर ली। इसे न बेसहारा जानवर खाते हैं और न मौसम का प्रभाव पड़ता है। उपज फार्मर प्रोड्यूशर आर्गेनाइजेशन (एफपीओ) खरीदेगा।
कौडि़हार विकासखंड के बुदौना निवासी सुनील तिवारी बताते हैं कि अब तक सिंचाई का साधन न होने व बेसहारा पशुओं की वजह से खेती नहीं हो पा रही थी। 1.5 एकड़ में लेमन ग्रास के पौधों का रोपण करा दिया है। पौधे भी तैयार हो चुके हैं। कुछ पौधे जो सूख गए हैं, उनकी जगह दूसरे पौधों का रोपण करा रहे हैं। इसी तरह राम चंद्र पटेल, बालकृष्ण ओझा, चिंतामणि मिश्र, ब्रह्म्दीन दुबे ने भी लेमन ग्रास की खेती शुरू की है। बहादुरपुर विकासखंड के संतोष कुमार, सुरेश कुमार और रीना देवी ने कहा कि आय बढ़ाने के उद्देश्य से नई फसल से जुड़ रहे हैं। लॉकडाउन के समय ही पौधे रोपे गए हैं। फसल तैयार होने के बाद उसकी कटाई कर तेल निकाला जाएगा। इसके लिए स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित किया जा रहा है। इन महिलाओं से तेल की खरीद फार्मर प्रोड्यूशर आर्गेनाइजेशन (एफपीओ) करेगा।
औषधीय गुण समेटे है लेमन ग्रास
कृषि विज्ञानी डॉ. हिमांशु दुबे का कहना है कि लेमन ग्रास के कई औषधीय गुण हैं। दो पत्ती चाय में प्रयोग करने से नीबू वाली चाय का टेस्ट मिलता है। इसके तेल से विटामिन ए मिलता है, जिसका प्रयोग दवाओं के बनाने में किया जाता है। इत्र, साबुन बनाने के साथ ही सौंदर्य प्रसाधन बनाने में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
एक बार बुआई, चार बार कटाई
सिंचाई के साधन हों तो कभी भी लेमन ग्रास के पौधे रोपे जा सकते हैं। फरवरी-मार्च में सबसे उपयुक्त समय है। एक बार लगाए गए पौधे से पांच वर्ष तक फसल काटी जाती है। करीब सौ दिन में तैयार होने वाली इस फसल को साल में चार बार काटा जा सकता है।
प्रति एकड़ 30 हजार रुपये की लागत
एक एकड़ में हर बार 25 से 30 किग्रा तेल निकलता है, जिसकी बाजार में कीमत 12 से 14 सौ होती है। एक एकड़ में करीब 30 हजार रुपये की लागत आती है।
किसानों को मुफ्त में दिए जाते हैं पौधे
कृषि विज्ञानी डॉ. हिमांशु कहते हैं कि महात्मा गांधी कृषक समतलीकरण परियोजना के तहत लेमन ग्रास के पौधों को मुफ्त में दिया जा रहा है। खेत में काम करने वाले श्रमिकों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत काम भी दिया जाता है।
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