प्रयागराज के चिल्ड्रेन अस्पताल आएं तो सुविधाएं साथ लाएं, जानिये क्यों
सरोजनी नायडू बाल चिकित्सालय यानी चिल्ड्रेन अस्पताल प्रयागराज में मरीजों की सुविधाओं का टोटा है। चिल्ड्रेन अस्पताल के बाथरूम के दरवाजे टूटे हैं और शीट भी जमीन टूटने से अस्तव्यस्त हो गई है। यहां मरीजों के तीमारदारों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

प्रयागराज, जेएनएन। सरोजनी नायडू बाल चिकित्सालय यानी चिल्ड्रेन अस्पताल, प्रयागराज में एकमात्र ऐसा सरकारी अस्पताल है जहां आसपास के 15 जिलों से लोग अपने बीमार बच्चों का इलाज कराने के लिये आते हैं। इतना महत्वपूर्ण अस्पताल होने के बावजूद यहां सुविधाएं किसी ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जैसी हैं। मूल रूप से टीचिंग इंस्टीट्यूट इस चिल्ड्रेन अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग के अफसरों की अपेक्षाएं बड़ी बड़ी हैं। लेकिन वास्तविकता है कि इसमें जनसुविधाओं में शौचालय तक टूटे फूटे हैं। इससे मरीजों के साथ आने वाले तीमारदारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लेकिन बच्चों के इलाज की मजबूरी में इतनी बेबसी के बाद भी चुप रहते हैं। ग्रामीण परिवेश से आने वाले गरीब तबके के लोगों के लिए यहां इलाज कराना मजबूरी है। क्योंकि प्राइवेट अस्पतालों में इलाज कराने के लिए उनके पास इतने पैसे नहीं होते।
दरवाजे टूटे, सीट ध्वस्त
चिल्ड्रेन अस्पताल के बाथरूम के दरवाजे टूटे हैं और शीट भी जमीन टूटने से अस्तव्यस्त हो गई है। यहां मरीजों के तीमारदारों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
वेंटिलेटर है इसलिये महत्वपूर्ण
चिल्ड्रेन अस्पताल में अति गंभीर बच्चों के लिये जीवन रक्षक उपकरण यानी वेंटिलेटर है इसलिये यहां ज्यादा मरीज आते हैं लेकिन यहां आने पर कभी कभी तो बेड के लिये ही घंटों इंतजार करना पड़ता है।
एमसीआई के नियमों की दुहाई
मेडिकल कालेज के प्रचार्य डॉक्टर एसपी सिंह का कहना है कि एमसीआई के नियमों के अनुसार सभी सुविधाएं दी जा रही हैं। शौचालय कुछ खराब हैं जिन्हें बनवाया जाएगा।

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