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    Khushi Death Case: यूनाइटेड मेडिसिटी अस्पताल के गेट पर ग्रामीणों और किसान यूनियन का प्रदर्शन, डॉक्‍टर के डिग्री की हो जांच

    By Rajneesh MishraEdited By:
    Updated: Tue, 09 Mar 2021 03:27 PM (IST)

    Khushi Death Case जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर मांग किया है कि अस्‍पताल के लाइसेंस की जांच होनी चाहिए। बच्‍ची का आपरेशन करने वाले डॉक्‍टर के डिग्री की जांच हो साथ ही यह भी जांच की जाए कि वह सर्जन है या नहीं।

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    Khushi Death Case यूनाइटेड मेडिसिटी अस्पताल रावतपुर के गेट पर प्रदर्शन करते ग्रामीण और किसान यूनियन के कार्यकर्ता।

    प्रयागराज, जेएनएन। तीन वर्षीय बालिका खुशी मिश्रा की मौत के विरोध में मंगलवार को किसान यूनियन के कार्यकर्ताओं ने ग्रामीणों के साथ यूनाइटेड मेडिसिटी अस्पताल रावतपुर के गेट पर प्रदर्शन किया और अस्‍पताल प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शन को देखते हुए भारी पुलिस बल मौके पर तैनात रही। पुलिस और प्रशासन के अफसरों के अफसरों ने किसी तरह समझाबुझाकर ज्ञापन लेकर प्रदर्शन समाप्‍त कराया।  

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     भारतीय किसान यूनियन के जिलाध्‍यक्ष अनुज सिंह ने कहा कि आए दिन इस अस्‍पताल में मरीजों की मौत होती है। पांच मार्च को भी अस्‍पताल प्रशासन की लापरवाही से बच्‍ची खुशी मिश्रा की मौत अस्‍पताल के गेट पर हुई। लेकिन अस्‍पताल प्रबंधन न तो गेट खोला गया और न ही उपचार किया गया।

    जिलाधिकारी को संबोधित ज्ञापन देकर की ये मांग

    उन्‍होंने जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर मांग किया है कि अस्‍पताल के लाइसेंस की जांच होनी चाहिए। बच्‍ची का आपरेशन करने वाले डॉक्‍टर के डिग्री की जांच हो साथ ही यह भी जांच की जाए कि वह सर्जन है या नहीं। दोषी डॉक्‍टर के खिलाफ दर्ज मुकदमें की राजपत्रित अधिकारी से जांच कराई जाए। अस्‍पताल प्रबंधक के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया जाए। इसके अलावा अस्‍पताल के निर्माण की पीडीए से जांच कराई जाए कि नक्‍शा पास है या नहीं है।

    यह था मामला

    प्रयागराज में करेली के करेहदा निवासी मुकेश मिश्रा मजदूरी करते हैं। 15 फरवरी को उनकी  बेटी खुशी को पेट में दर्द हुआ। मुकेश बेटी को यूनाइटेड मेडिसिटी अस्पताल में भर्ती कराया। आंत में इंफेक्शन बताते हुए डाॅक्टरों ने आपरेशन किया। आरोप है कि एक सप्‍ताह बाद भी ड्रेसिंग नहीं की गई जिससे पस आ गया। दोबारा उसी स्थान पर दूसरा आपरेशन कर दिया गया। सर्जन अंकित गुप्ता ने बिना टांका लगाए ही छोड़ दिया। मासूम की हालत में जब सुधार नहीं हुआ तो तीन मार्च को किसी दूसरी जगह इलाज कराने के लिए कहकर उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। आखिरकार अस्पताल गेट पर ही खुशी की मौत हो गई । लेकिन उसे दोबारा भर्ती नहीं किया गया।